प्रशासन प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में जल्द ही अहिल्या पथ के लिए नई टीपीएस योजनाओं को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया जाएगा। इस बैठक में नए विकास कार्यों की योजना बनाई जाएगी और संबंधित अधिकारियों द्वारा इसे लागू करने की प्रक्रिया पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही प्राधिकरण अपनी सुपर कॉरिडोर की चार पुरानी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी सक्रिय रूप से जुटा है, जिसमें किसानों से अनुबंध किए जा रहे हैं। इन योजनाओं के तहत किसानों से भूमि के अनुबंध किए जा रहे हैं, जिससे विकास कार्यों को तेजी से पूरा किया जा सके।

सुपर कॉरिडोर पर प्राधिकरण की चार पुरानी योजनाओं में से दो योजनाओं में लगभग 99 प्रतिशत आपसी करार संपन्न हो चुके हैं, जिनमें धारा 56 के तहत किसानों के साथ अनुबंध किए गए हैं। वहीं, अन्य दो योजनाओं 169, 169 ए और 169 बी में करीब 125 एकड़ भूमि पर अनुबंध नहीं हो पाया है। इस मामले में अब प्राधिकरण ने उन किसानों की सूची तैयार की है, जिन्होंने पहले अनुबंध के लिए पत्र भेजने के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इन किसानों को अब अंतिम नोटिस भेजे जाने का निर्णय लिया गया है, और अगर फिर भी वे अनुबंध के लिए नहीं आते, तो भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

प्राधिकरण ने अपनी पुरानी योजनाओं में भूमि मालिकों के साथ आपसी करार करके नकद मुआवजे के बदले 20 से 30 प्रतिशत तक विकसित भूमि के भूखंडों का आवंटन किया था। लेकिन, इसके बाद शासन ने लैंड पुलिंग एक्ट लागू किया, जिसके कारण अब प्राधिकरण को टीपीएस योजनाओं के तहत भूमि का विकास करना पड़ता है। इसके तहत जमीन मालिकों को 50 प्रतिशत भूमि वापस दी जाती है, और प्राधिकरण मास्टर प्लान के तहत सड़कों और इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास करता है। सुपर कॉरिडोर सहित अन्य क्षेत्रों में टीपीएस योजनाओं के तहत काम हो रहा है, और इन योजनाओं में 60 प्रतिशत किसानों के साथ सहमति हो चुकी है।

प्राधिकरण के सीईओ, आरपी अहिरवार के अनुसार, सुपर कॉरिडोर पर योजना 151 के अलावा 169-ए, 169-बी और 166 मेडिकल हब की योजनाएं भी शामिल हैं। योजना 151 में 236 हेक्टेयर भूमि शामिल है, जिसमें 99 प्रतिशत भूमि पर अनुबंध हो चुका है। इसी तरह, योजना 166 में 169 हेक्टेयर भूमि है, जिसमें 98 प्रतिशत अनुबंध हो चुके हैं। योजना 169-ए और 169-बी में भी क्रमशः 66 प्रतिशत और 76 प्रतिशत भूमि पर आपसी करार हो चुका है। अब उन किसानों को अंतिम नोटिस भेजे जा रहे हैं, जिनकी भूमि अनुबंध से बची हुई है, और उसके बाद भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

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