इंदौर में स्वच्छता सर्वेक्षण बीते तीन दिन से जारी है। चार दिन तक शहर में टीम रहेगी और अलग-अलग पैमानों पर स्वच्छता को परखा जाएगा। पिछले साल तीन दिन में ही टीम रवाना हो गई थी, लेकिन इस बार इंदौर को स्वच्छता की प्रीमियर लीग में शामिल किया गया है, इसलिए बारिकी से मुआयना किया जा रहा है।

नगर निगम के अफसरों को पूरी उम्मीद है कि इस बार भी इंदौर स्वच्छता में पहले पायदान पर होगा, लेकिन ज्यादातर शहरवासी मान रहे है कि बीते वर्षों की तुलना में इस साल सफाई व्यवस्था थोड़ी कमजोर हुई है। इंदौर में रात के समय शहर की सड़कों और स्थानों को साफ किया जा रहा है, ताकि सुबह जब टीम सफाई व्यवस्था देखने निकले तो उन्हें शहर साफ नजर आए।

इंदौर की स्वच्छता को दस पैमानों पर आंका जा रहा है। इसमें शहर की सड़कों की सफाई, कचरा संग्रहण व्यवस्था, ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन, सीवरेज के पानी का पुर्नउपयोग, सफाईकर्मियों के उत्थान के लिए होने वाले काम और सबसे महत्वपूर्ण शहरवासियों का फीडबैक है। दिल्ली से आई टीम शहर की बस्तियों, आवासीय क्षेत्रों के अलावा ट्रेंचिंग ग्राउंड, गोबरधन प्लांट को भी देखेंगी। टीम सुबह के समय घूम रही है, जब घर-घर जाकर वाहन कचरा लेने जाते है।

इंदौर की सफाई की सबसे बड़ी ताकत डोर टू डोर कचरा कलेक्शन है। शहर में पांच तरीकों से कचरा घरों से लिया जाता है। ज्यादातर शहरों में यह व्यवस्था ही ठीक नहीं हो पाई है। इंदौर में सात साल पहले इसके दम पर ही स्वच्छता रैंकिंग में पहला पुरस्कार पाया था। वर्ष 2017 में तत्कालीन मेयर मालिनी गौड़ ने शहर की सफाई व्यवस्था सुधारने की कोशिश की थी। उन्हें साथ मिला अधिकारी मनीष सिंह का। उन्होंने सबसे पहले इंदौर को खुले में शौच से मुक्त करने पर जोर दिया।

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