इंदौर में शुक्रवार से रविवार तक हुई महापौर केसरी प्रतियोगिता विवादों में आ गई है। इस मामले में दो विवाद सामने आए हैं। दोनों ही महिला-पुरुष वर्ग के फाइनल को लेकर हैं। फाइनल में महिला वर्ग में विजेता दिव्या काकरान रहीं। वहीं पुरुषों में मुदस्सिर खान पहले नंबर पर रहे। दोनों ही मामलों का विरोध शुरू हो गया है। सेमीफाइनल में मुकाबला को लेकर पहलवान आशीष यादव ने मांग की है कि प्रतियोगिता के परिणाम को शून्य घोषित किया जाए। मुकाबला फिर से आयोजित कराया जाए। ऐसा नहीं होने पर मैं नगर निगम के सामने आमरण अनशन पर बैठ जाऊंगा।

पहला विवाद - महिला फाइनल विजेता दिव्या काकरान के डोप टेस्ट का

महिला वर्ग में फाइनल मैच जीतने वाली दिव्या काकरान के डोप टेस्ट को लेकर अर्जुन अवॉर्ड विजेता कृपाशंकर पटेल मोर्चा खोला है। दैनिक भास्कर से चर्चा में कृपाशंकर पटेल ने बताया कि, आयोजन सभी को गुमराह कर रहा है। वे नियमों को अपने हिसाब से तोड़-मरोड़ रहे हैं। दूसरी कई लड़कियों ने उसके अगले दिन वजन लेने पर आपत्ति भी जताई थी, पर आयोजन समिति ने सभी परेशानियों को नजरअंदाज कर दिया।

पटेल का कहना है कि, जब दिव्या का नाम डोप टेस्ट में आया और उसे क्लीन चिट नहीं मिली तो उसे मैच में कैसे शामिल किया गया? यह एक तरह से प्रतिस्पर्धा में नशे को बढ़ावा देने जैसा है। पटेल ने कहा, एक ओर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय नशे के खिलाफ काम कर रहे हैं।

दूसरी ओर महापौर केसरी कुश्ती प्रतियोगिता के जरिए नशे को बढ़ावा दिया जा रहा है। आयोजक, निर्णायक मंडल, चयनकर्ता कमेटी, भारतीय कुश्ती संघ जानते हुए भी इस पर मौन रहा। आयोजकों ने महापौर केसरी कुश्ती प्रतियोगिता को नशेड़ी पहलवानों का अड्डा बना दिया है।

दिव्या काकरान को यह पत्र देकर आमंत्रित किया गया

दिव्या के पिता सूरजमल ने इस मामले में कहा कि उस पर अंतरराष्ट्रीय खेलों में शामिल होने पर जुलाई 2024 में चार साल के लिए प्रतिबंध लगा है। उसने कई प्रदेशों में कुश्ती लड़ने के लिए हिस्सा लिया है। हमने राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले में अभी फैसला आना बाकी है।

दूसरा विवाद - निर्धारित वजन से ज्यादा के खिलाड़ी को खड़ा कर दिया

पुरुष वर्ग में विजेता मुदस्सिर खान के विरोध में उनके प्रतिस्पर्धी आशीष यादव उतर आए हैं। आशीष ने कहा कि, रविवार दोपहर में सेमीफाइनल मुकाबला होना था। मेरे सामने इंदौर के ही मुदस्सिर थे। वे मेरे साथ विजय बहादुर व्यायामशाला में नेशनल चैम्पियनशिप के लिए तैयारी कर रहे हैं।

इसलिए मुझे पता है उनका वजन 137 किग्रा है। लेकिन वे 125 किग्रा वाले वर्ग से मैदान में उतरे। मेरे विरोध के बाद रविवार दोपहर में हमारी स्पर्धा को टाल दिया गया। आयोजकों ने कहा कि, दोनों के बीच मुकाबला शाम को होगा। लेकिन अर्जुन अवॉर्ड प्राप्त पहलवान पप्पू यादव ने मैट पर आकर मुझसे धमकी भरे अंदाज में कहा कि, तुझे लड़ना ही पड़ेगा।

मंच से अनाउंस कराएंगे, यदि नहीं आया तो मुदस्सिर को एक तरफा विजेता घोषित कर दिया जाएगा। उन्होंने इस मामले में निर्णायक कमेटी में शामिल विजय मिश्रा, नंदू पहाड़िया, विनय कुमार, वेद प्रकाश सिंह, गोविंद गुर्जर और विकास यादव पर मिलीभगत के आरोप लगाए। कहा कि, पप्पू यादव जब मुझे मैट पर ले गए तब उनके साथ चयन कमेटी के गोविंद गुर्जर, विकास यादव तो थे ही उनके अलावा रमेश यादव सहित दो-तीन अन्य लोग भी थे।

ऐसे चला पूरा घटनाक्रम

आशीष ने बताया कि, रविवार दोपहर दो बजे मेरा सेमीफाइनल होना था। मेरे सामने जैसे ही मुदस्सिर का नाम लिया मैंने लिखित में चयन कमेटी के नंदू पहाड़िया के सामने विरोध दर्ज कराया। मैंने कहा कि 80+ किग्रा की कॉम्पीटिशन है और मेरा वजन 97 किग्रा है। WFI (रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया) के नियमों के अनुसार मैं 125 किग्रा तक के पहलवान के साथ खेलने को तैयार हूं।

मैंने कहा कि 130 किग्रा के पहलवान के साथ भी खेल लूंगा, पर मुदस्सिर का वजन 137 किग्रा है। यह पूरी तरह से नियम विरुद्ध है। निर्णायक मंडल इस मामले में बंटा हुआ था। वेद प्रकाश ने कहा कि हम नियमों को नहीं मानते। जबकि विनय मिश्रा ने मुझे सही बताया।

विवाद लगातार बढ़ा तो हमारी कुश्ती को शाम तक के लिए टाल दिया गया। इस बीच पहलवान पप्पू यादव को मुदस्सिर की ओर से मुम्बई से आनन-फानन में बुलाया गया और उनके दबाव में आकर निर्णायक कमेटी ने भी नियमों से हटकर अपना फैसला सुनाकर मुदस्सिर को फाइनल खेलने के लिए आगे बढ़ा दिया।


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