मध्यप्रदेश में ग्वालियर जिले के समीप बीहड़ों में बना 64 योगिनी मंदिर तंत्र-मंत्र का विश्वविद्यालय माना जाता है। इस मंदिर से कई रहस्य ग्रामीणों के किस्से कहानियों में तैरते हैं। कहा जाता है कि देश के पुराने संसद भवन का आइडिया ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस को इस मंदिर से देखकर मिला। कहा जाता है कि वे अपने एक सहयोगी के साथ आए थे और मंदिर की बनावट से प्रेरित हुए थे।

बता दें कि इसकी बनावट गोल है और 64 कमरे मंदिर में हैं। इस कारण इसे गोल मंदिर भी कहा जाता है। मध्य में भगवान शिव का मंदिर है, ऊंचाई से देखने पर मंदिर शिव लिंग जैसा लगता है। इस मंदिर का निर्माण राजा भोजपाल ने साल 1323 में सुनसान पहाड़ी पर कराया था। तब यहां तंत्र-मंत्र की क्रिया सिखाई जाती थी। आज भी मंदिर जागृत माना जाता है, इस मंदिर में सूरज ढलने के बाद कोई नहीं जाता है।

क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीण बताते हैं कि इस मंदिर में तंत्र-मंत्र से प्राचीन काल में लोगों ने सिद्धियां पाई हैं। यहां एक तलघर भी है, जहां गुप्त पूजा होती है। लेकिन आज तक ग्रामीणों ने तलघर को नहीं देखा। आज भी कई लोग खजाने की तलाश में इस मंदिर की पहाड़ी पर आते हैं। 64 कक्षों में कालरात्रि, तारा, सूर्यपुत्री, अघोर भद्र, अजीता, महालक्ष्मी, स्तुति, उमा और काली सहित 64 मूर्तियां थी। मुगलकाल में इस मंदिर की मूर्तियां हटा दी गई थी। कुछ तोड़ दी गई। बची मूर्तियों को ग्वालियर के संग्रहालय में रखा है। यह मंदिर जमीन से 100 मीटर ऊंची पहाड़ी पर बना है। पत्थरों से बनी 200 सीढ़ियों को चढ़ने के बाद मंदिर में जाया जा सकता है।

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