सिंहस्थ-2028 और उज्जैन रोड पर हो रहे विकास को देखते हुए इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो ट्रेन प्रस्तावित है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में सिंहस्थ के लिए हुई मंत्री समूह की बैठक में इसकी डीपीआर तैयार करने के लिए कहा है। यह कार्य दो महीने में पूरा करके इस पर निर्णय लिया जाएगा। बताया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट को बनाने में करीब 7 हजार करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान है।

इंदौर से मेट्रो को रिंग रूट के साथ ही उज्जैन तक भी चलाने की कवायद एक साल से चल रही है। मेट्रो रेल कॉपोर्रेशन ने इंदौर से उज्जैन और पीथमपुर, देवास के बीच मेट्रो के लिए फिजिबिलिटी सर्वे कर रिपोर्ट तैयार की थी। प्रोजेक्ट से धार्मिक पर्यटन के लिए आने वाले यात्रियों के लिए आसानी होगी। 58 किमी के कॉरिडोर में 7 स्टेशन प्रस्तावित हैं। मेट्रो ट्रेन यह दूरी करीब 50 से 60 मिनट में तय कर लेगी। इधर, सरकार ने बायपास पर हो रहे आवासीय विकास को देखते हुए इसका नया विकास प्लान मंजूर कर दिया है।

बायपास के कंट्रोल एरिया की जमीनों के लिए लैंड यूज में बदलाव करते हुए इसके मिश्रित उपयोग की अनुमति दी जाएगी। इस पहल से बायपास के दोनों ओर सर्विस लेन फोर लेन हो जाएगी, जो वर्तमान में टू लेन है। जमीन मालिक भी अपनी जमीनों का उपयोग आवासीय, व्यवसायिक व अन्य उपयोग के लिए कर सकेंगे। इसका बड़ा फायदा बायपास के दोनों ओर आवासीय विकास को होगा। कॉलोनी-टाउनशिप में रहने वालों के लिए आवाजाही भी आसान हो जाएगी। इस कवायद से मेट्रो के लिए भी राह आसान रहेगी।

सरकार ने बायपास विकास योजना को मंजूरी देने के साथ ही नगर व ग्राम निवेश विभाग को इस पर अमल के लिए भी कहा है। इस पर जमीन मालिकों की सुनवाई के लिए आपत्तियां व सुझाव बुलाए गए हैं। करीब 350 आपत्ति व सुझाव आए हैं। जिन पर जल्द ही सुनवाई होगी। इस पर निर्णय के बाद योजना का नोटिफिकेशन करके जमीन मालिकों से एग्रीमेंट किए जाएंगे। दूसरी ओर नगर निगम ने 450 करोड़ का प्लान तैयार करके एनएचएआई को भेज दिया है।

31 किमी की सर्विस रोड फोर लेन होने से इनको आवाजाही में आसानी होगी। इससे 200 से ज्यादा टाउनशिप के 4 लाख से ज्यादा आबादी को राहत मिलेगी। दुर्घटनाओं में कमी आएगी। वहीं भविष्य के लिहाज से इसमें मेट्रो ट्रैक का प्रावधान भी रहेगा।

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