इंदौर। हर पर्व अपने आप में खास है और कुछ शहरों के उस पर्व को अलहदा अंदाज में मनाकर उसे और भी खास बना दिया है। ऐसा ही एक पर्व है होली। ब्रज की होली के साथ वाराणसी की होली भी प्रसिद्ध है और जब बात मध्य प्रदेश की होती है तो इंदौर में भी होली का पर्व कुछ खास रंगत लिए हुए नजर आता है। तभी तो यहां निकलने वाली गैर का आनंद लेने अन्य शहरों से भी लोग आते हैं।

इतिहासकार शर्वाणी ने बताया कि शहर में होली पर्व को खास बनाने की कोशिश कुछ वर्ष पहले नहीं बल्कि रियासतकाल में ही शुरू हो गई थी। होलकरकाल में राजवाड़े पर राजघराने की होली जलने पर किला मैदान से तोपों की सलामी दी जाती थी। यह सलामी शहरभर को सूचित करती थी कि अब वे अपनी होली जला सकते हैं। होली के जश्न के लिए तब 50 सेर गुलाबजल, 200 ग्राम इत्र, 200 ग्राम सेंट और 50 सेल केवड़े के जल का उपयोग कर राजवाड़ा धोया जाता था। 20 हजार पान के बीड़े, सौ मन मिठाई, 50 मन हार-फूल से पूजन होता है।

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