प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तमिलनाडु के दो दलित किसानों को जारी समन के खिलाफ आक्रोश के बाद मनी लॉन्ड्रिंग मामले को बंद करने का फैसला किया है। 5 जुलाई 2023 को 72 वर्षीय कृषक और उनके 67 वर्षीय भाई को समन जारी किया गया था लेकिन अब मामला बंद कर दिया गया है। इस फैसले का विरोध राजनीतिक दलों के साथ-साथ जनता भी कर रही थी।

क्या था मामला?

एस कन्नैयन और उनके भाई एस कृष्णन ने अपने खेत के चारों ओर अनधिकृत बिजली की बाड़ लगाई थी। इसके कारण दो भारतीय बाइसन की मौत हो गई थी। वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 2(16), 2(36), और धारा 51(1) के साथ धारा 9 के तहत 2017 में एफआईआर दर्ज की गई थी।

एक ट्रायल कोर्ट ने 28 दिसंबर 2021 को किसान कृष्णन और कन्नैयन दोनों को बरी कर दिया था। हालांकि ईडी ने बरी होने के बाद भी एफआईआर का संज्ञान लिया और घटना के संबंध में तमिलनाडु वन विभाग से एक पत्र के आधार पर मार्च 2022 में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत जांच शुरू की थी।

विवाद तब खड़ा हुआ जब 5 जुलाई 2023 को जारी किया गया छह महीने पुराना समन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फिर से सामने आया। तमिलनाडु में राजनीतिक दलों और एक्टिविस्ट्स ने ईडी द्वारा समन और ईसीआईआर (Enforcement Case Information Report) दोनों में दो किसानों की जाति बताने पर विशेष आपत्ति जताई, जो एक एफआईआर के बराबर है। हालांकि ईडी ने जाति को एक टाइपो बताया था, लेकिन विरोध बढ़ता रहा।

किसानों के वकील ने दावा किया कि ईडी की कार्रवाई उनके क्लाइंट पर दबाव डालने का एक प्रयास था, जो स्थानीय भाजपा नेता जी गुणशेखर के साथ एक अलग कानूनी लड़ाई में उलझे हुए हैं। उन्होंने न केवल ईडी की मंशा पर सवाल उठाया, बल्कि मामले को संभालने के एजेंसी के तरीके पर असंतोष व्यक्त करते हुए ईडी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि तमिलनाडु पुलिस ईडी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे और उन्हें गिरफ्तार करे। हमने पहले ही पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी है।”

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