इंदौर | गुना में हुए बस हादसे ने परिवहन विभाग की खामियों को उजागर किया है। जांच और निगरानी सिस्टम की कमी के कारण सड़कों पर बेलगाम बसे दौड़ रही हैं। सड़कों पर दौड़ रही खराब बसों की फिटनेस और परमिट जांचने के लिए विभाग के पास पुलिस जवान नहीं है। इंदौर परिवहन विभाग में इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर के पद स्वीकृत है, लेकिन वर्तमान में सिर्फ एक सिपाही ही तैनात है। आरटीओ सहित दो एआरटीओ विभागीय कार्यो में ही उलझे रहते हैं। संभागीय उड़नदस्ते का हाल भी कुछ ऐसा ही है, यहां भी सिर्फ पांच लोगों की ही तैनाती है।
इंदौर संभाग में हुए बस हादसों में कई बेकसूर लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके बाद भी बसों के संचालन का पुराना ढर्रा कायम है। सड़कों पर यातायात नियमों को अनदेखा कर बसें दौड़ाई जा रही हैं। परिवहन विभाग का अमला हादसा होने के बाद कुछ दिन सड़क पर बसों की पड़ताल करता है, इसके बाद फिर पुरानी प्रक्रिया शुरू हो जाती है। निजी बस आपरेटर भी बसों का उचित रखरखाव नहीं रख पा रहे। इसलिए वह सड़कों पर मौत बनकर दौड़ रही है।
संभागीय उडनदस्ते के जिम्मे जिले में संचालित हो रही एक हजार बसों की जांच का दायित्व है। इसमें ट्रांसपोर्ट सब इंस्पेक्ट (टीएसआई) जितेंद्र गुर्जर और दो सब इंस्पेक्टर, एक हेड कास्टेबल और दो सिपाही हैं। दो वाहनों से शहर से गुजरने वाले दस से अधिक रूटों पर जांच का दायित्व इनके पास है।
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