इंदौर। प्रदेश की मंडियों में खाद्य सुरक्षा अधिनियम, लीज समस्या, मंडी शुल्क 1% करने, निराश्रित शुल्क समाप्त करने आदि को लेकर इंदौर सहित प्रदेशभर की अनाज मंडियों के व्यापारी आज से हड़ताल पर हैं। इसे लेकर इंदौर की छावनी अनाज मण्डी, लक्ष्मीबाई नगर और मालवा मिल अनाज मंडियों में कामकाज नहीं हुआ। चूंकि तीन दिन पहले इसकी घोषणा कर दी गई थी इसलिए किसी भी अनाज मण्डी में किसान नहीं पहुंचे। मण्डी प्रशासन ने किसानों से एमपी फॉर्म गेट एप के माध्यम से ऑनलाइन ब्रिकी करने के विकल्प अपनाने का निवेदन किया है।
अनाज व्यापारियों
का दावा है कि वे मंडी बोर्ड की मनमानी से त्रस्त हैं। सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी
महासंघ समिति के प्रदेश अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल ने बताया कि मप्र सरकार द्वारा गठित
मंडी बोर्ड की मनमानी चरम पर है। मंडी बोर्ड द्वारा लीज के मामले में 5 साल से लगातार
पत्राचार करने के बाद भी उसका निराकरण नहीं हुआ। बोर्ड द्वारा मंडी व्यापारियों को
परेशान करने व उनके व्यापार को प्रभावित करने का काम किया जा रहा है। 1971 से बांग्लादेश
के प्रवासियों के लिए लगाए गए निराश्रित शुल्क को समाप्त करने की मांग की जा रही है।
इसके बावजूद व्यापारियों को निराश्रित शुल्क वसूली के नोटिस देकर ब्याज भी वसूल किया
जा रहा है।
व्यापारियों की ये हैं मांगें
= व्यापारियों का कहना है कि प्रदेश सरकार ने व्यापारियों मांग पर मंडी शुल्क 50 पैसे किया लेकिन दो माह बाद फिर 1.50 रु. कर हमारे साथ छलावा किया गया। यह कहा गया कि मंडियों में कर्मचारियों का वेतन नहीं निकल रहा है। हकीकत यह है मंडी बोर्ड की प्रदेश में अनेक मंडियों ऐसी हैं जहां काम नहीं चल रहा है। वहां पर बड़ा स्टाफ लगाकर सिर्फ बैठने का वेतन दिया जा रहा है। इस समस्या को हल किया जाएं।
= व्यापारियों की मांग है कि प्रदेश सरकार मंडी शुल्क 1% करने की व्यवस्था करें।
= मंडी बोर्ड की मनमानी व एकाधिकार वाद को देखते हुए मंडी बोर्ड को समाप्त कर कृषि विभाग या जिला स्तर पर काम कराया जाएं।
= प्रदेश के किसानों प्रतिनिधियों से चलने वाली स्थानीय निकाय (मंडियों) के अधिकार समाप्त कर मंडी समितियों के अधिकार पूर्ण रूप से लौटाए जाएं।
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