नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा को शुक्रवार को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया। यह फैसला उनके खिलाफ मामले की जांच कर रही विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक लागू रहेगा। निलंबन का प्रस्ताव पीयूष गोयल द्वारा पेश किया गया था, जिन्होंने कहा कि राघव चड्ढा की कार्रवाई अनैतिक थी। गोयल ने चड्ढा पर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाते हुए कहा कि चड्ढा का आचरण अप्रत्याशित और संसद सदस्य के लिए अशोभनीय है। गोयल ने कहा कि राघव चड्ढा ने यह भी कहा कि उनके सहयोगी संजय सिंह को सवाल पूछने के कारण निलंबित किया गया। जबकि वह अच्छी तरह जानते थे कि संजय सिंह को अमर्यादित व्यवहार के कारण निलंबित किया गया था।
यह है आरोप
चड्ढा पर आरोप है कि उन्होंने राज्यसभा में के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, को पारित कराने की प्रक्रिया के दौरान प्रवर समिति के गठन का प्रस्ताव दिया था। इस समिति के लिए चार सांसदों.. सस्मित पात्रा, एस फान्गनॉन कोन्याक, एम थंबीदुरई और नरहरि अमीन के नाम उनकी अनुमति लिए बिना शामिल किए थे। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने नौ अगस्त, बुधवार को इन सांसदों की शिकायतों को विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया था, जिनमें आरोप लगाया गया है कि चड्ढा ने नियमों का उल्लंघन करते हुए उनकी सहमति के बिना सदन की प्रवर समिति में उनका नाम शामिल करने का प्रस्ताव किया।
राज्यसभा के एक बुलेटिन में कहा गया था कि सभापति को उच्च सदन के सदस्य सस्मित पात्रा, एस फांगनोन कोन्याक, एम थंबीदुरई और नरहरि अमीन से शिकायतें मिली हैं। इन सभी ने चड्ढा पर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया है और अपनी शिकायत में सात अगस्त को एक प्रस्ताव में प्रक्रिया एवं नियमों का उल्लंघन करते हुए उनकी सहमति के बिना उनके नाम शामिल किए जाने का जिक्र किया है।
राघव चड्ढा
ने ऐसे किया था बचाव
हालांकि राघव चड्ढा ने आरोपों
का खंडन किया। उन्होंने कहा कि एक सांसद किसी भी समिति के गठन के लिए नाम का प्रस्ताव
कर सकता है। जिस व्यक्ति का नाम प्रस्तावित है, उसके न तो हस्ताक्षर और न ही लिखित
सहमति की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मान लीजिए कि मैं जन्मदिन की पार्टी आयोजित करता
हूं और 10 लोगों को आमंत्रित करता हूं। उनमें से आठ आते हैं, और दो मेरे निमंत्रण को
स्वीकार नहीं करते हैं। इसके बजाय, वे मुझसे आरोप लगाते हैं कि आपने हमें अपने जन्मदिन
पर आमंत्रित करने की हिम्मत कैसे की? यही हुआ। मैंने उन्हें (सांसदों को) समिति का
हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया है।
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