भोपाल। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को रविंद्र भवन में उत्कर्ष और उन्मेष कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में राज्यपाल मंगु भाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में कलाकारों ने लोक संस्कृति के रंग बिखेरे। वहीं, कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पदभार ग्रहण करने के बाद से अब तक मेरी सबसे ज्यादा यात्राएं मध्य प्रदेश में हुई। यह मेरी पांचवीं यात्रा है। राष्ट्रपति ने कहा कि आज 140 करोड़ देशवासियों का मेरा परिवार है। सभी की भाषाएं और बोलियां मेरी अपनी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र प्रेम और विश्व बंदुत्व हमारे देश के आदर्श संगम में दिखाई देता है। राष्ट्रपति ने कहा कि साहित्य और कला ने संवेदनशीलता और करुणा को बनाए रखा है। मानवता को बचाए रखा है। हमारा प्रयास अपनी संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित रखने का होना चाहिए।
भारत में
700 से ज्यादा से ज्यादा आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते है, लेकिन उनकी संख्या कम्यूनिटी
की संख्या से ज्यदा है। हर 50 किमी में भाषा और बोली बदल जाती है। आदिवासियों की भाषा
और बोली को संरक्षित करना हमारा दायित्व है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी
आदिवासी जाति मध्य प्रदेश में निवास करती है। इसलिए इस कार्यक्रम को मध्य प्रदेश में
करना तर्क संगत भी है।
वहीं, इससे पहले मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत का हजारो साल पुराना इतिहास है। यह वो धरती है जिसने
सारे विश्व को संदेश दिया। यह मेरा है वो तेरा है ये छोटे दिल वाली की सोच होती है।
विशाल दिल वाले बोलते है कि सारा विश्व मेरा है। सीएम ने कहा कि सभी सुखी हो और सब
निरोग का संदेश हमने दिया। रोटी कपड़ा मकान ही सब कुछ नही रोटी के साथ साथ मनुष्य को
मन और दिमाग की शांति चाहिए। दिमाग और मन की शांति संगीत कला और साहित्य देता है। यह
अलग दौर है जब हमारी राष्ट्रपति खुद स्वच्छता के लिए खुद झाड़ू लेकर निकलती है। उन्मेष
और उत्कर्ष जैसे कार्यक्रम अद्भुत है। ऐसे आयोजन सारी दुनिया को एकत्र करने में सक्षम
होते है। एमपी प्रचीन काल कला संस्कृति और संस्कारों का प्रदेश है। राजा भोज, देवी
अहिल्याबाई हो उन्होंने कला और साहित्य में अपना जीवन लगाया। सीएम ने साहित्य कला और
संगीत के क्षेत्र में एमपी का नाम विश्व पटल पर रोशन करने वाले कलाकरों का जिक्र भी
किया।
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