फ्री की रेवड़ी वाली परेशानी अकेले मध्यप्रदेश की नहीं है, बल्कि पूरे देश की है। हर राज्य में फ्री में बांटों की योजनाओं के दम पर सरकारें बनाने का काम किया जा रहा है। लोग आलसी हो रहे हैं, और कामचोर भी बनते जा रहे हैं....।

 सीएम हेल्पलाइन 181 पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ही शिकायत

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जवाबदेही @ इंदौर। मुफ्त बांटने की योजना को लेकर देशभर के टैक्स भरने वाले लोग परेशान है, चाहे वो व्यापारी हो, उद्योगपति हो या फिर सरकारी नौकर या निजी कंपनी में काम करने वाले लोग। शिकायत है कि मुफ्त बांटने की योजना से लोग आलसी और कामचोरी कर रहे हैं। ज्ञात हो कि जवाबदेही इस मुद्दे पर लगातार अपनी बात रख रहा है कि ऐसी योजनाओं से सिर्फ देश का ही नुकसान हो रहा है। चाहे पार्टी भाजपा की हो, कांग्रेस की या फिर आप पार्टी इन पार्टियों ने  लोगों को निकम्मा बनाने का सोच लिया है। इसी कड़ी में प्रदेश के एक व्यक्ति ने सीएम हेल्पलाइन पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की ही शिकायत की है। व्यक्ति की पीड़ा है कि वह जो टैक्स दे रहा है, उस टैक्स से देश का विकास कीजिए, अच्छे अस्पताल, शिक्षा आदि पर जोर दिया है....।

इस शिकायत को जवाबदेही आपके सामने अक्षरश: प्रस्तुत कर रहा है।

मध्यप्रदेश शासन की सीएम हेल्प लाइन सेवा में आपका स्वागत है.... आपकी कॉल प्रतिक्षण एवं गुणवत्ता हेतु रिकॉर्ड की जा सकती है...।

माननीय,

नमस्कार मैं सीएम हेल्पलाइन से नेहा बात कर रही हूं, समस्या बताएं मैं आपकी क्या सहायता कर सकती हूं।

मैडम नमस्कार, आपको बहुत-बहुत जी, बताइए...सर क्या समस्या हैं,

मैं गणेश मालवीय बोल रहा हूं, मैडम में थोड़ा सा निवेदन कर रहा था। मैडम मैंने जो कॉल लगाई है, वह शिकायत के लिए नहीं है मेरा एक सुझाव भी है और थोड़ा सा माननीय मुख्यमंत्री से आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता था कि मुख्यमंत्रीजी मुफ्त की जो योजनाएं चला रहे हैं, (जी..जी) उस योजना को लेकर थोड़ा सा मेरे मन में ऐसा एक द्वंद दौड़ रहा है कि आखिर ये योजनाएं जब सरकार मुफ्त की चलाती है और सरकार खुद बोलती है आगे रहकर कि मुफ्त की रेवड़ियां न बांटी जाए। तो मैं यह जानना चाहता हूं कि ये जो सरकारें, जो माननीय मुख्यमंत्रीजी घोषणा कर रहे हैं, जो जिस प्रकार से लाड़ली बहना है, इसके उपर आप पैसा दे रहे हो, कोई दिक्कत नहीं, दे रहे हो उसके लिए धन्यवाद है आपको। ये चुनावी मसला है, मैं समझ रहा हूं और आप भी समझ रहे हो। मैडम मैं ये चाहता हूं कि लाड़ली बहनों को जब आप 1 हजार रुपए दे रहे हों तो क्या किसी सरकारी कर्मचारी की पत्नी लाड़ली बहन नहीं है। उसके साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है। उसको भी 1 हजार रुपए दे सकते हो आप, वो कौनसा काम कर रही है, वो तो गृहिणी है। है न,

दूसरी बात, जब हम  कर्मचारी काम करते हैं, हम काम करते हैं तो टैक्स का जो स्लैब होता है, उस टैक्स स्लैब के बाद में हम टैक्स दे देते हैं।  तो मैंने इस साल 36 हजार रुपए टैक्स गर्वनमेंट को  दिया। जितना आपका बनता है ....तो मैंने ये 36 हजार रुपया गवर्नमेंट को टैक्स क्यों दिया? भारत चलाने के लिए, मध्यप्रदेश चलाने के लिए दिया कि मुफ्त की रेवड़ियां बांटने के लिए? क्या मध्यप्रदेश की लाड़ली बहनों को खुश करने के लिए आप दे दो एक-एक हजार रुपए दे दो हमारा पैसा। जब कोरोना काल में मैडम भारत की स्थिति पूरी खराब थी तो पूरे भारत के कर्मचारियों ने संकट का सामना किया था। माननीय मुख्यमंत्री और माननीय मोदीजी प्रधानमंत्री खुद बोलते हैं कि सरकारी कर्मचारियों के सहारे ही पूरा भारत टिका रहा, क्योंकि उस समय जनसेवी संस्थाएं आगे रहीं, सरकारी कर्मचारी आगे रहे, क्योंकि उनकी जेब, तनख्वाह का पैसा निकालकर आम जनता में बांटा है। घर चलाने के अलावा कोरोना काल में सहयोग किया है तो मैडम मेरा कहना है कि जैसे मैं नौकरी कर रहा हूं तो मैं तनख्वाह लेकर के नौकरी कर रहा हूं क्या बताइये तो मैं टैक्स दे रहा हूं तो क्या मैं टैक्स मुफ्त घोषणाएं करने के लिए दे रहा हूं... ।

नहीं सर,

आप सरकार चलाने के लिए पैसा ले रहे हो, पेट्रोल खरीद रहे हो, डीजल खरीद रहे हो, देश की सड़कें बनाइए, बिजली बनाइए, आप देश को उन्नत बनाइये, शिक्षा व्यवस्था, रोजगार व्यवस्था, स्वास्थ्य व्यवस्था पर इस पर पैसा खर्च ...खर्च कीजिए न। जैसा एक परिवार चलता है मैडम, जैसा मैं एक परिवार का मुखिया हूं और मुझे पांच लोगों को चलाना है तो पांच लोगों को चलाने के लिए मुझे घर का मुख्यमंत्री मान लिया जाए तो गलत थोड़े न हूं। अब प्रदेश के मुख्यमंत्री अगर मान लो ऐसे भेदभाव करेंगे कि भई सरकारी कर्मचारियों से पैसा टैक्स के रूप में लेते रहो, व्यापारियों से टैक्स ले लो और गरीब आम जनता को ढाई-ढाई लाख रुपए फ्री का दे दो। वो काम कुछ भी नहीं करते हैं। एक हजार रुपए महीना लाड़ली बहना में दे दीजिए आप। कुछ योजनाएं अच्छी है, मैं मानता हूं जैसे विधवा पेंशन योजना, दिव्यांग पेंशन, इसके लिए मैं मना नहीं कर रहा हूं, ये लोग लाचार हैं, बेबस हैं, गरीब है, उनको दो आप। लेकिन लाड़ली बहना योजना जैसी एक प्रधानमंत्री मकान बनाने जैसी ढाई-ढाई लाख रुपए जैसी योजना और ऐसी योजना है, मैडम जिसके घर में एक सरकारी कर्मचारी नौकरी करता है और उसका लड़का 18 साल का या 20 साल का है, उसने अपना अलग परिवार बना लिया और वो गरीबी रेखा कूपन में अपना नाम लिखवा लेता है और उसको मकान मिल जाता है। उसकी मिसेस को लाड़ली योजना में जोड़ देते हो।

मेरी बात पूरी सुन लीजिए मैडम, मेरी कोई शिकायत नहीं है। मैं जब काम करके सरकार को पैसा देकर के टैक्स देकर के और मेरा देश और मध्यप्रदेश  चलाने के टैक्स देता हूं जब मैं मेहनत कर रहा हूं, मै इलेक्शन का बीएलओ हूं। मुझे सालभर में 500 रुपए के हिसाब 6 हजार रुपए सालभर के मिलते हैं। जब मैं बीएलओ की नौकरी अतिरिक्त कर रहा हूं, मुझे काम करने के 6 हजार रुपए देती है सरकार और लाड़ली बहना को घर बैठे 1 हजार रुपए देती है तो क्यों? क्या उसे काम नहीं दे सकती सरकार। सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, छोटा-मोटा किराना व्यापार, पत्तल-दौने जैसे कुछ काम भी लाड़ली बहना घर पर ही कर सकती हैं। आप उन्हें रोजगार दीजिए। मेरे इधर विधायक राजेंद्र पांडेय लगते हैं। उनसे कहिए कि आपके क्षेत्र में जितनी भी इस उम्र की जो भी लाड़ली बहनाएं हैं उनको ये काम दीजिए। उनको तन्ख्वाह मिलेगी। आप उनको बेरोजगार बना रहे हो और उनके खाते में 1 हजार रुपए डाल रहे हो तो काम कौन करेगा, यह बताओ। और आप भी मैडम मेरी बात सुनने के लिए यहां नियुक्त हैं। आप टेलीफोन पर मेरी बात सुन रहीं हैं। आप भी यहां पर फ्री में तो बैठे नहीं होंगे। आपको भी तनख्वाह मिल रही होंगी न।

जी...जी..

...तो आप काम कर रहीं हैं तो तनख्वाह मिल रही हैं कि आपको घर बैठे तनख्वाह मिल रही हैं।

सर वो तो काम करने की तनख्वाह दी जा रही है। है न, काम करने की तनख्वाह दी जा रही है मैडम..।

आज मुख्यमंत्री एकदम-से बोल देते हैं कि मैं ये करता हूं कि ढाई लाख रुपए प्रधानमंत्रीजी ने दे दिया, मैंने एक हजार रुपए लाड़ली बहनाओं को  दे दिया। आने वाले समय में 1250, 1750 रुपए और आने वाले समय में 3000 रुपए दूंगा। कहां से लाकर दोगे भाई। आपकी कोई खेती है या 1 हजार बीघा जमीन है, जो उसमें से हांक करके आप दोगे। हमारा ही पैसा है न मैडम टैक्स का। आज मैं दुखी हू मैं इस बात को लेकर के कि आज हमारे पैसे का इतना देश में दुरुपयोग होता है। कोई भी नेता आता है और लालीपॉप देता है। अभी कमलनाथ जी आ गए कहा कि हम लाड़ली बहना को 1500 रुपए देंगे, टंकी 500 रुपए में कर देंगे। हम पेट्रोल 50 रुपए का कर देंगे। अरे तुम लालीपॉप क्यों देते हो? आप जनता की क्यों रीढ़ की हड्डी से तोड़कर उसे जमीन पर सुला देते हो। उसकी रीढ़ की हड्डी मजबूत रहने दो। उसके स्वाभिमान को खड़ा करो। मोदीजी ने कहा है कि हमारा देश स्वाभिमानी देश है। ऐसे-कैसे स्वाभिमान हो जाएगा.,. मैडम।

मैं समझ पा रही हूं, सर जो आप बताना चाहते हो। इस विषय में कोई सहायता नहीं कर सकती हैं।

मैडम, आप यह सहायता कर सकते हो कि माननीय मुख्यमंत्री ने 181 पर समस्याओं को समाधान करने के लिए रखा है तो कम से कम मुख्यमंत्री जी खुद ये समस्या क्रिएट कर रहे हैं। एक आम कर्मचारी और गृहणी जो मेरी धर्मपत्नी है उसे 1 हजार रुपए दो। वैसे मैं भी नहीं चाहता कि मेरी पत्नी को 1 हजार रुपए मुफ्त में दो। मैं खुद चाहता हूं कि वो अपने पैरों पर खड़ी रहे और कुछ काम करें। मैं यह चाहता हूं मैडम कि मेरा देश, मेरा मध्यप्रदेश, मेरा शहर, और मेरा घर-मोहल्ला स्वाभिमानी हो और हाथ से कमाके खाए और शाम को जब वह पसीना पोछे तो उसे लगे कि मैंने मेहनत की। आप क्या करना चाह रहे हो, पूरे देश को पंगु करना चाह रहे हो। अभी बिजली मुफ्त कर देंगे, फिर किसानों का ऋण माफ कर देंगे। अभी व्यापारियों का लाखों-करोड़ों रुपए ब्याज माफ कर देंगे। कर्मचारियों को कोई रियायत ही नहीं। कर्मचारियों ने क्या बिगाड़ा, ये बताइए।

अभी माननीय मुख्यमंत्रीजी को लगा कि चुनाव आने वाले हैं इतने दिन से 4 पर्सेंट डीए टलता जा रहा था, टलता जा रहा था। और अभी जैसे वो मौका लगा, उन्होंने कल उस चीज की घोषणा कर दी। और घोषणा करने के बाद भी यह भी कोई गारंटी नहीं है कि वो मिल जाएगा, हम भी जानते हैं। हम भी कर्मचारी संगठन से जुड़े हैं। कर्मचारियों के प्रतिनिधि हैं। मैं भी प्रतिनिधि हूं कर्मचारी संगठन का। मध्यप्रदेश तृतीय श्रेणी कर्मचारी संगठन का सचिव हूं, मैं उसी नाते बोलना चाहता हूं कि माननीय मुख्यमंत्रीजी के कान में कम से कम  हमारी विडंबना तो जाए। शिकायत थोड़ी है, ये तो हमारी विडंबना है। हम कैसे मुख्यमंत्रीजी से बोलेंगे, बताइए। चारों तरफ गनमैन लगे रहते हैं उनके। प्रोटोकाल इतना खतरनाक रहता है कि हम उनसे बात कर नहीं सकते। हम ज्ञापन देंगे तो उनका पीए फेंक देगा। हम कैसे बात करेंगे, ये बताइए। माननीय मुख्यत्रीजी विधायक दल के नेता हैं। हमारे जावरा के विधायक हैं इन्हीं से ऐसे मुख्यमंत्री बने हुए हैं वो। हमारी समस्या मुख्यमंत्रीजी को कैसे बताएंगे। आप ही बताइए, आप ही माध्यम 181 का तो टेलीफोन पर हमारी ये भड़ास निकाल लेते हैं। तो मेरा ये निवेदन है मैडम कि मेरी ये पूरी रिकॉर्डिंग मुख्यमंत्रीजी को कहें कि पूरे मध्यप्रदेश में पहला ऐसा केस आया है माननीय मुख्यमंत्रीजी कि 181 आपने रखी शिकायत के लिए और आप ही के खिलाफ शिकायत है, आप ही के लिए कर्मचारी की विडंबना है, आप ही के कर्मचारी का दुख है, तकलीफ है, उसको सुनो और इस तरीके से आप इस समस्या को दूर करो आप। समस्या वो ही दूर कर सकते हैं मैडम। मुख्यमंत्रीजी के ऊपर कौन है जो करेगा।

जी, उन्हीं के द्वारा दूर हो सकती है सर : फिर, तो आप मेरी बात को मेरी रिकॉर्डिंग को उनके समक्ष पेश करे और मुझे संतुष्ट करे मैडम। आने वाले चुनाव में जो भी मसला रहे उससे कोई लेना देना नहीं। लेकिन मेरे दिए हुए टैक्स के पैसे का सदुपयोग होना चाहिए। देश की तरक्की में होना चाहिए न की मुफ्त की रेवड़ी बांटने में।

जी सर मैं आपको ज्यादा समय नहीं दे पाऊंगी सर

ये जो भी मैंने बात कही हैं वहां तक पहुंचाइए ये ही निवेदन। जी, जी

ठीक है न, जी ओके.... धन्यवाद।

सीएम हेल्पलाइन पर संपर्क करने के लिए धन्यवाद।


जवाबदेही इस मुद्दे पर लगातार अपनी बात रख रहा है कि ऐसी योजनाओं से सिर्फ देश का ही नुकसान हो रहा है।


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