सागर। बदलते दौर में लोगों को पेड़ों का महत्व भी समझ रहा है। यही वजह है कि लोग पर्यावरण को बचाने के लिए लगातार आगे आ रहे हैं। दो कल्पवृक्ष को बचाने की पहल सागर में देखने को मिली। करीब 700 साल पुराने दो कल्प वृक्ष कलेक्ट्रेट के निर्माण की बलि चढ़ने वाले थे, लेकिन अधिकारियों ने कल्पवृक्ष को बचाने के लिए भवन का नक्शा बदल दिया। अब कलेक्ट्रेट परिसर में दो कल्पवृक्ष सुरक्षित हैं।

कल्पवृक्ष का जोड़ा सालों से कलेक्ट्रट परिसर की सुंदरता में चार चांद लगा रहा है। कलेक्ट्रेट परिसर में निर्माण के चलते एक वृक्ष अतिक्रमण की जद में आ रहा था, यानि एक कल्पवृक्ष का काटा जाना तय था, जब अधिकारियों को पता चला कि कल्पवृक्ष बेहद दुर्लभ हैं, तो कल्पवृक्षों को बचाने भवन का नक्शा ही बदल दिया गया, जिससे दोनों कल्पवृक्ष सुरक्षित हैं। तीन कलेक्टरों के गाइडेंस में बनकर तैयार हुए भवन से 40 साल पुराना अतिक्रमण हटाना जाना था। हालांकि अधिकारियों के नक्शे में बदलाव से दुर्लभ कल्पवृक्षों को बचा लिया गया।

अफ्रीक, आस्ट्रेलिया और भारत में ही मिलता है दुर्लभ कल्पवृक्ष

दुर्लभ कल्पवृक्ष करीब 700 साल पुराने हैं। विश्व भर में केवल अफ्रीक, आस्ट्रेलिया और भारत में ही दुर्लभ कल्पवृक्ष पाए जाते है। कल्पवृक्ष की खासियत यह है कि इनकी शाखाएं नीचे और जड़े ऊपर की तरफ होती हैं। यह जीवन का प्रतीक और शीतलता प्रदान करने वाला वृक्ष है। इसके फल और पत्ती से बीमारियां दूर होती है। सागर जिले में केवल दो ही दुर्लभ कल्पवृक्ष है। शंकाराचार्य भी कल्पवृक्ष के दर्शन करने के लिए आ चुके हैं।

आधिकारियों की जागरूकता से इन दोनों 700 साल पुराने कल्प वृक्ष को बचा लिया गया, अगर इसी प्रकार से अधिकारी और लोग जागरूक रहें तो पर्यावरण को बचाया जा सकता है।

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