इंदौर। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई UAE) की राजधानी अबु धाबी में भारतीय इस्लामिक शैली से विशाल स्वामीनारायण मंदिर का निर्माण हो रहा है। इंदौरियों को इस मंदिर की नींव का पूजन करने का सौभाग्य मिला। यूएई में रहने वाले इंदौरियों ने इस दौरान मंदिर का भ्रमण किया और जाना कि वहां पर कैसी तैयारियां चल रही हैं। साल 2015 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले आधिकारिक दौरे पर यूएई गए थे तब इस मंदिर के लिए जमीन देने का ऐलान किया गया था। यह मंदिर दिल्ली और न्यू जर्सी में स्थित अक्षरधाम मंदिर के जैसा बन रहा है। कुछ समय पहले तीन दिनी यूएई यात्रा पर पहुंचे विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी तेजी से हो रहे मंदिर निर्माण पर खुशी प्रकट की थी। वे इसके निर्माण कार्य पर पूरी नजर रख रहे हैं। अबूधाबी में स्वामीनारायण मंदिर का निर्माण बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था द्वारा किया जा रहा है। 2018 में शिलापूजन कार्यक्रम के साथ इसका निर्माण शुरू हुआ था और अब इंदौरियों के साथ इसका नींव पूजन कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
भक्तिमय माहौल में हुई पूजा अर्चना
यह मंदिर भ्रमण और नींव पूजन का कार्यक्रम इंदौरी इंटरनेशनल बिजनेस नेटवर्क (प्रोफेशनल नेटवर्क) के सदस्यों के द्वारा आयोजित किया गया। अजय कासलीवाल, अंजु भाटिया और मनोज झरिया ने बताया की वहां सभी ने साथ में प्रथम नींव का पूजन किया। सभी लोग इंदौर के थे जिन्होंने अपने परिवारों के साथ भजन कीर्तन कर पूरे माहौल को भक्तिमय कर दिया। इस अवसर पर मंदिर के प्रमुख स्वामी ने सभी का मार्गदर्शन भी किया। आयोजन में प्रमुख रूप से डॉ. धाकड़, डॉ. प्रनव जोशी और राजीव भार्गव मौजूद थे। एनआरआई अजय कासलीवाल ने बताया कि इस मौके पर सौ से अधिक इंदौरियों के परिवार मौजूद थे। यह सौभाग्य हमें इसलिए मिला क्योंकि यूएई में इंदौरी बहुत अधिक संख्या में हैं और बेहद सक्रिय भी रहते हैं।
मंदिर की खास
बातें
427 एकड़ भूमि
पर मंदिर निर्माण कार्य हो रहा है।
4पांच हजार
मजदूर कार्यरत हैं व इसे फरवरी 2024 में सभी के लिए खोल दिया जाएगा।
4यह भारतीय
और इस्लामिक शैली से बन रहा है।
4इसके निर्माण
पर 888 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च आने वाला है।
4मंदिर को
यूएई और भारत के शिल्पकारों की मदद से तैयार किया जा रहा है।
4मंदिर में
प्रार्थना हॉल, प्रदर्शनी हॉल, बच्चों के खेलने की जगह, थीम बेस्ड गार्डन, फौव्वारे,
फूड कोर्ट, किताबों और गिफ्ट की शॉप भी होगी।
4इसका निर्माण गुलाबी पत्थरों
से हो रहा है, इसलिए इसे गुलाबी मंदिर भी कहा जाने लगा है।
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