इंदौरे। बाघों की गणना को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को आंकड़े सार्वजनिक कर दिए। चार साल में होने वाली गणना दिसंबर 2021 में हुई। इसमें इंदौर और आसपास के जंगलों में बाघ की मौजदूगी से जुड़े प्रमाण मिले थे। दो वर्षों में आठ से दस बार बाघ के पंजों के निशान नजर आए हैं। इसके अलावा ग्रामीणों ने बाघ की दहाड़ भी कई बार सुनी है। खास बात यह है कि देवास-इंदौर और बड़वाह से लगे जंगल में तीन से चार बाघ घूमते रहते हैं। इनकी सुरक्षा को लेकर वन विभाग सतर्कता बरत रहा है। वनक्षेत्र में घूमने वाले संदिग्ध लोगों पर नजर रखने ग्रामीणों का भी सहयोग लिया जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक वन्य प्राणियों की गतिविधियों के लिए जंगल में नाइट विजन कैमरे लगाए जाते हैं। इसमें दो बार बाघ कैद हो चुके हैं। उनके मुताबिक दो वयस्क और एक शावक के पंजों के निशान स्पष्ट हैं, जबकि एक अन्य छोटे पैरों के निशान थोड़े धुंधले हैं।

दिसंबर 2021 में इंदौर वृत्त में बाघ गणना को लेकर सर्वे हुआ। उस दौरान इंदौर से महज 30 किमी दूर नहार झाबुआ, चोरल रेंज में आने वाले उमठ-बेका और महू रेंज के मलेंडी व मांगलिया वनक्षेत्र में बाघ की उपस्थिति के प्रमाण मिले हैं। इनमें पगमार्क यानी पंजों के निशान, विष्ठा (मल), पेड़ों पर नाखूनों के निशान, शिकार होने जैसे प्रमाण शामिल थे। इंदौर वनमंडल के वरिष्ठ अधिकारियों ने तत्काल इन प्रमाणों को इंस्टीट्यूट आफ वाइल्ड लाइफ देहरादून को मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से भेजे। ऐसे ही देशभर से बाघ से जुड़ी जानकारी भेजी गई। इसका आकलन कर संस्थान ने बाघ की गणना को लेकर रिपोर्ट बनाई। उसके आधार पर बाघ की संख्या 3167 तक पहुंच चुकी है।

स्टाफ भी रखे है नजर

जंगल में बाघ की उपस्थिति को लेकर संकेत अच्छे हैं। इंदौर और आसपास के जंगल में तीन से चार बाघ होने की पुष्टि हुई है। हालांकि इनकी सुरक्षा के लिए ग्रामीणों को जागरूक किया गया है। वे जंगल में संदिग्ध व्यक्तियों पर नजर रखते हैं। यहां तक कि स्टाफ को भी जंगल में विशेष तौर से निगरानी करने पर जोर दिया है। हालांकि दो बार बाघ कैमरे में कैद हुए हैं।

प्रदेश में बाघों की स्थिति

= 2006 : 300

= 2010 : 257

= 2014 : 308

= 2018 : 526

= 2022 : 711

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