भिंड। भिंड के एक गांव में आशियाने उजड़ रहे हैं। कई घरों की दीवारों में दरार आ चुकी है, कुछ दीवारें गिर चुकी हैं। कुछ की ढहने की कगार पर है। गोहद अनुविभाग के डांग सरकार क्षेत्र के दिलीप सिंह का पुरा बंजारे का पुरा गांव में। यहां करीब साढ़े तीन हजार आबादी का गांव है। ये गांव को पत्थर माफियाओं ने उजाड़ने की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। इन गांव के रहवासियों के घरों से सौ कदम दूरी पर खदानों की सरहद शुरू हो जाती है। जहां पत्थर माफिया आए दिन कभी भी खदानों में विस्फोटक लगाकर पत्थर को तोड़ते है। जब खदानों से पत्थर निकाले जाते है तो कई किलोमीटर दूर तक आवाज सुनाई देती है। वहीं इन गांव के रहवासियों को इस का दर्द झेलना होता है। जब दैनिक भास्कर की टीम इस गांव में पहुंची तो लोग बारी-बारी से अपने आशियाने के दर्द को बयां करते दिखे।
गोली मारने
की देते धमकी
गांव के बंटी
शाक्य का कहना है कि मेरे परिवार इस गांव में करीब पचास साल रह रहा है। मेरे घर तक
पत्थर माफिया खदान से पत्थर निकालते हुए आ गए है। खदान में विस्फोट होने पर मेरे घर
की दीवार गिर गई है। खदानों में होने वाले विस्फोट के पत्थर के टुकड़े मेरे घरों में
आते है। कुछ भी सुनाई नहीं देता है। खदान से टूटकर आने वाले पत्थर से मेरा दो बार सिर
फूट चुका है। मैंने एक बार शिकायत की थी तो पत्थर माफियाओं ने गोली मारने तक की धमकी
दे दी थी। कई बार शिकायत की पर कोई सुनने वाला नहीं है। बंटी एक पैर से विकलांग है।
वहीं उसके भाई का भी सड़क हादसे में एक पैर खराब हो गया। इसलिए दोनों ही ज्यादा चलने
फिरने में असमर्थ है। उनका कहना है कोई भी सुनने वाला नहीं है।
विस्फोट की
धमक से गिरी दीवार
गांव के रामप्रसाद
जाटव का कहना है कि दो दिन पहले खदान में ब्लास्ट हुआ। ब्लास्ट की धमक इतनी तेज थी
कि घर की दीवार ढह गई। ये ब्लास्ट दो दिन पहले हुआ था। अब फिर से दीवार बनवाना पड़ेगा।
पीड़ित का कहना है कि इस गांव में हर एक घर की दीवार, छतों दरार आ चुकी है। ये दरार
आने की मुख्य वजह खदान में होने वाले ब्लास्टिंग है। मेरे पड़ोसी पहले दिल्लीराम के
घर की दीवार टूटी थी अब रामप्रसाद की दीवार टूट चुकी है। पिछले कई सालों से इसी तरह
से रहते आ रहे है। पहले कलेक्टर आए थे। हम सभी ने मिलकर शिकायत की थी। वे लिख लिखकर
चले जाते है परंतु कोई सुनवाई नहीं होती। अब शिकायत क्यों करें कोई करता है तो मर जाएं।
इसके बाद बकरी
चरा रहे बाबूराम जाटव को पता चला कि गांव में कुछ लोग है जाे ब्लास्टिंग के कारण घरों
में दीवार टूटने की जानकारी ले रहे हैं। इस पर बकरियां को खेतों में छोड़कर किसान अपने
घर में ले गया। पीड़ित ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि ब्लास्टिंग की वजह से मेरे
घर में दरार आईं है। दीवार गिरने की कगार पर है। इससे पहले दो बार छत, खदानों की धमक
से वजह से टूट चुकी है। अब टीन की चादर ढाली है।
ईंटों की नहीं
पत्थर की बनाते दीवार
इस गांव के बगल में खदान संचालित
होती है। खदानों में होने वाली ब्लास्टिंग से आशियाने गिर रहे है। इस गांव के लोग अपने
घरों को कम ऊंचाई व ज्यादा से ज्यादा मजबूत बनाने के लिए पत्थर व खंडों की दीवार बनाते
है। ये खंडों की दीवार भी खदानों की ब्लास्टिंग की धमक के आगे ज्यादा दिनों तक टिक
नहीं पाती है। वहीं छतों पर पटिया या फिर आरसीसी नहीं डलवाते है। वे टीन व लोह की चादर
डलवा रहे हैं।
Post a Comment