अभी हाल ही में एक खबर सामने आई, जिसमें अमेरिकी जेलों में 20 हजार भारतीय कैदी अवैध रूप से बंद है और उनसे जबरन मजदूरी करवाई जाती है और उनके द्वारा मना करने पर अंधेरी कोठरी बंद कर दिया जाता है। विषय गंभीर है और हमारी सरकार की जिम्मेदारी भी बनती है कि ऐसे लोगों की मदद की जाए। वैसे ये लोग अपने किए की सजा भुगत चुके हैं, लेकिन वह इसलिए बंद है, क्योंकि उनके पास वकील हायर करने के लिए पैसे भी नहीं होते हैं। आंकड़ें बताते हैं कि 2022 में अमेरिका में गिरफ्तार हुए 60 हजार में से 40 हजार भारतीयों को तो जमानत मिल गई, लेकिन 20 हजार भारतीय अभी भी बंद है।
असल में सीमा पार कर घुसपैठ करने के अधिकतर मामलों में कैदियों को एक साल के भीतर जमानत मिल जाती है, लेकिन पैसा नहीं होने की वजह से भारतीय कैदी वहां यातनाएं सह रहे हैं। जेल में एक साल तक बंद रहे भारतीय मूल के पंजाबी के अनुसार वह कैलिफोर्निया की जेल में एक साल तक बंद रहा। उसका कहना है कि मेरे लिए किसी बुरे सपने जैसा है। हमें वहां पगड़ी और कड़ा पहनने की अनुमति भी नहीं थी। जो लोग शाकाहारी खाना खाते हैं, उन्हें भी जबरन मांस खाना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस दिशा में पहल कर भारतीयों को छुड़ाना चाहिए, जिन लोगों ने काम-धंधे को लेकर अमेरिका में जबरन घुसपैठ की है, वह अपने किए की सजा वहां भुगत चुके हैं। भारत सरकार को उनकी जमानत के लिए वकील मुहैया कराना चाहिए, ताकि उन्हें जमानत मिल सके। वहीं, शायद इसलिए भी इन्हें जमानत नहीं दी जाती है, क्योंकि मानवाधिकार जांच में खुलासा हुआ कि अमेरिकी जेल उद्योग बन चुकी हैं।
कैदियों से काम कराकर हर साल ग्यारह बिलियन डॉलर यानी 91 हजार करोड़ कमाए जाते हैं। कैदियों को केवल एक घंटे के काम का वेतन मिलता है। उनकी साल की न्यूनतम मजदूरी 450 डॉलर तय की गई है। जांचकर्ता की माने तो कैदियों से मजदूरी करवा जेल अरबों डॉलर की कमाई करते हैं। कई बार तो कैदियों के पास जेल में साबुन खरीदने या एक फोन करने के पैसे भी नहीं होते। अमेरिका में निजी कंपनियां जेल चलाती हैं। इन जेलों में जितने ज्यादा कैदी होंगे, कंपनियों को सरकार से उतना ज्यादा फायदा होगा। जेलों का 80% काम इनमें रहने वाले कैदियों से करवाया जाता है। इसमें साफ-सफाई, मरम्मत कार्य, कपड़े धोने जैसे काम शामिल हैं। बाहर की कंपनियां भी जेलों को टेबल-कुर्सी समेत अन्य सामान बनाने का ठेका देती हैं।
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