उज्जैन। प्राचीन नगरी उज्जैन को आने वाले दिनों में संवारने का कार्य किया जाएगा। विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय के स्वरूप को बदलने की शुरुआत हो चुकी है। इस भवन के निर्माण सहित नई विथिकाएं 14 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जाएगी। यह बात मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने बुधवार को विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय में भूमिपूजन के दौरान कही। कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल मुख्य आतिथि के रूप में शामिल हुए, जबकि राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
भारतीय ज्ञान परंपरा और भारतीय भाषा पर आधारित उज्जैन शिक्षा समागम विक्रम विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में हुआ। इसमें राज्यपाल मंगु भाई पटेल, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रकाश मणि त्रिपाठी, विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय सहित 600 से अधिक शिक्षाविद् एवं भाषाविद् भाग ले रहे हैं।
दो सत्रों में
विद्वानों ने प्रकट किए विचार
विद्या भारतीय
उच्च शिक्षा संस्थान और विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
जिसके बाद दो सत्रों में विद्वानों ने अपने विचार प्रकट किए। प्रथम सत्र में नेशनल
इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग की चेयरमैन प्रो. सरोज शर्मा, इंडस विश्वविद्यालय अहमदाबाद
के सीआईएस हेड डॉ. रितेन्द्र शर्मा, विद्यार्थी भारती उच्च शिक्षा संस्थान के जनरल
सेक्रेटरी प्रो. नरेंद्रकुमार तनेजा, विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्वेत्ता डॉ. रमन
सोलंकी ने 'द आइडिया ऑफ भारत एंड नालेज सिस्टम' विषय पर अपने विचार साझा किए। दूसरा
सत्र में जेएनयू के सेंटर फॉर इंग्लिश स्टडीज के प्रोफेसर धनंजय सिंह, मध्य प्रदेश
हिंदी ग्रंथ अकादमी के निदेशक अशोक कड़ेल, भारतीय भाषा समिति की सदस्य डा. किरण हजारिका
और अवधेशकुमार मिश्रा ने 'इंडियन लैंग्वेज एंड ग्रेड यूनिफाइंग फैक्टर ऑफ इंडिया' विषय
पर उद्बोधन दिया।
डॉ. मोहन यादव
के प्रयास से संग्रहालय का कायाकल्प
मध्यप्रदेश
के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव के प्रयास से संग्रहालय को अत्याधुनिक रूप देने
एवं संरक्षित प्रतिमाओं और अवशेषों को संरक्षित रखने के लिये उक्त राशि स्वीकृत की
गई है। स्वीकृत राशि से विक्रम विश्वविद्यालय के विक्रम कीर्ति मंदिर स्थित पुरातत्व
संग्रहालय में रखी पुरातात्विक धरोहर, जिसमें पांच लाख साल पुराना विश्व प्रसिद्ध हाथी
का मस्तक, गेंडे का सिंग, दरियाई घोड़े का दांत, जंगली भैंसे का जबड़ा एवं अन्य 200 जीवाश्म
तथा अन्य अवशेष जिन्हें विभिन्न विथिकाओं में प्रदर्शित किया जाएगा।
इसके अलावा
संग्रहालय में भीम बैटका के पुरातात्विक उत्खनन में डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा
एकत्रित आदि मानव के द्वारा निर्मित प्रस्तर औजारों को भी प्रदर्शित किया जाएगा। उज्जैन
के राजा चंडप्रद्योग के काल में निर्मित लकड़ी की दीवार एवं बंदरगाह के अवशेष के रूप
में गढ़कालिका क्षेत्र स्थित शिप्रा नदी के तट से प्राप्त 10 लट्ठे जो कि 2600 वर्ष
पूर्व के हैं, वह भी संग्रहालय में प्रदर्शित किए जाएंगे। इस तरह उज्जैन के ग्रामीण
क्षेत्रों में कायथा, महिदपुर, आजाद नगर, रूणिजा, सोडंग, टकरावदा के उत्खनन के साथ
प्राप्त चार हजार वर्ष पुरानी पुरातात्विक सामग्री प्रदर्शित की जाएगी।
7.5 करोड़ से
भवन निर्माण, 6.5 करोड़ से होगा इंटीरियर
संग्रहालय में दुर्लभ प्रस्तर
472 प्रतिमाएं जो कि मौर्यकाल से लेकर मराठाकाल तक की है, इन्हें नवनिर्मित विथिकाओं
में प्रदर्शित कर संग्रहालय को भव्य बनाने की योजना बनाई गई है। प्रथम चरण में 7.5
करोड़ रुपये की लागत से भवन निर्माण तथा 6.5 करोड़ रुपये की लागत से इंटीरियर कार्य कराया
जायेगा।
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