इंदौर। इंदौर की एक महिला ने मृत्यु के बाद अपने अंग देकर चार लोगों की जिंदगी में खुशियां दी है। इंदौर में 47 वां ग्रीन काॅरिडोर बना। पहली बार हाथ भी डोनेट हुआ, जो मुबंई में एक युवक को लगेगा। इसके लिए एक चार्टर की व्यवस्था की गई। चैन्नई से रात को एक चार्टर प्लेन अंग लेने के लिए इंदौर आ गया था। सोमवार को  अंगदान के लिए एक साथ अपोलो हॉस्पिटल चेन्नई,ग्लोबल हॉस्पिटल मुंबई चोइथराम हॉस्पिटल एवं सीएचएल हॉस्पिटल के लिए 47वां ग्रीन काॅरिडोर बना।

रतलाम कोठी इंदौर निवासी ट्रांसपोर्ट व्यवसायी सुनील खजांची की 52 वर्षीय पत्नी विनीता  को ब्रेन की बीमारी की वजह से  13 जनवरी की सुबह बॉम्बे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। डाक्टरों ने परिवार को ब्रेन डेथ के लक्षण की जानकारी दी । इसके बाद परिजनों ने अंग दान करने का फैसला लिया और डाक्टरों ने ग्रीन कॉरिडोर की तैयारी शुरू कर दी। सुबह ग्रीन कारिडोर बनाकर लंग्स अपोलो हॉस्पिटल चेन्नई, हाथ ग्लोबल हॉस्पिटल मुंबई को,लीवर चोइथराम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर को,एक किडनी बॉम्बे हॉस्पिटल को एवं दूसरी किडनी सीएचएल हॉस्पिटल को भिजवाई गई। चारों अस्पतालों में अंग पाने वाले व्यकि्तयों को पहले ही आपरेशन थिएटर में ले जाया गया था। अंगों के पहुंचते ही प्रत्यारोपण की प्रक्रिया डाक्टरों ने शुरू कर दी।

 विनिता की बेटी व अन्य परिजनों ने भीगी पलकों से अंगों को ग्रीन कारिडोर के भिजवाया और अनूठी श्रद्धाजंलि दी। मुस्कान ग्रुप के सेवादार जीतू बगानी, संदीप आर्य ने बताया की राष्ट्रीय अंग एवं टिशू प्रत्यारोपण संस्था के अधिनियम अनुसार अंगों के आवंटन का कार्य एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ संजय दीक्षित, नोडल ऑफिसर डॉ मनीष पुरोहित ने किया। खजांची परिवार में पहले भी कुछ लोग अंगदान कर चुके है।

15 मिनट में पहुंचा हाथ, 17 मिनट में फेफड़े

बांबे अस्पताल से एयरपोर्ट तक ग्रीन कारिडोर बना। मार्ग पर पुलिस जवान थे और एम्बुलैंस को प्राथमिकता से एयरपोर्ट तक भिजवाया। अस्पताल से एयरपोर्ट तक हाथ 15 मिनट मेें पहुंचा अौर फेफड़े 17 मिनट में पहुंचे। एयरपोर्ट पर बांबे  और चैन्नई जाने के लिए पहले से चार्टर तैयार खड़े थे।

अंगदान में सबसे आगे इंदौर

अंगदान के मामले में इंदौर सबसे आगे है। चार सालों में 47 ग्रीन काॅरिडोर यहां बन चुके है। इससे कई लोगों को नया जीवन मिला है। ब्रेन डेथ होने के बाद परिजनों के साथ मुस्कान ग्रुप के पदाधिकारी समन्वय बनाते है। सहमति के बाद देशभर के अस्पतालों के लिए अलर्ट भी जारी होते है।


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