कुछ समय पहले फिल्म आई थी उड़ता पंजाब, जिसमें पंजाब के युवा किस तरह से नशे की वजह से बर्बाद हो रहे हैं, उसे बताया गया था। असल में सिर्फ अब सिर्फ उड़ता पंजाब ही नहीं, बल्कि अब उड़ता हिंदुस्तान हो गया है।
जवाबदेही @ इंदौर
स्कूली जीवन से बच्चों में नशे की आदत डाली जा रही है। जिस तरह लव जिहाद का मामला देशभर में चल रहा है, ठीक उसी तरह नशा जेहाद भी देशभर में चलाया जा रहा है। बड़ी मात्रा में ड्रग्स, नशीली टेबलेट्स, चरस, गांजा, अफीम, स्मैक सहित अलग-अलग तरह के नशीले पदार्थों की खेप पर खेप बड़े स्तर से लेकर छोटे स्तर तक बड़ी सुगमता से हमारे देश में पहुंच रही है।
इसी सप्ताह मुंद्रा पोर्ट पर 376 करोड़ रुपए की हेरोइन पकड़ी गई। बताया जा रहा है कि पंजाब पुलिस ने हाल ही में गुजरात आतंकवादी निरोधी दस्ते (एटीएस)को सूचना दी थी कि करीब ढाई महीने पहले मुंद्रा बंदरगाह पर पहुंचे एक शिपिंग कंटेनर में मादक पदार्थ की खेप हो सकती है।
ऐसे पहुंचा रहे मादक पदार्थ
कंटेनर में रखे कपड़े के 540 थान का बारीकी से निरीक्षण करने पर उनमें से 64 के अंदर हेरोइन पाउडर मिला था। कार्डबोर्ड से बने लंबे बेलनाकार पाइप पर एक कपड़ा लपेटा गया था। मादक पदार्थ के तस्करों ने गत्ते के पाइप पर बड़े व्यास का प्लास्टिक पाइप लगाकर थोड़ी जगह बना ली थी। हेरोइन को इसी जगह में भर दिया गया और फिर कार्बन टेप की मदद से सील कर दिया गया, ताकि एक्स-रे जांच में पकड़ में न आ सके।
इस घटना पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की और ट्वीट कर लिखा। गुजरात में अडानी का मुंद्रा पोर्ट शायद दुनिया का सबसे बड़ा ड्रग तस्करी का अड्डा बन गया है! पिछले एक साल में यहां कई मौकों पर 20 हजार करोड़ से ज्यादा की तस्करी का नशा पकड़ा गया है। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं? कोई अनुमान क्यों?
इंदौर बनता जा रहा नशे का हब
इंदौर में बड़ी मात्रा में पाउडर, गांजा सहित तमाम नशा आसानी से बेचा जा रहा है। इसकी एक बड़ी चैन है और इसके लिए पब, बार जो दे रात तक खुले रहते हैं, जहां से शहरभर में ड्रग्स सप्लाई होता है। आजाद नगर, जवाहर मार्ग, चंदन नगर, बाणगंगा, बड़ा बांगड़दा, छोटा बांगड़दा जैसे कई क्षेत्रों में नशे का पाउडर और स्मैक बेची जा रही है। बायपास और रिंग रोड पर तो खुलेआम नशाखोरी करते युवाओं को देखा जा सकता है।
भंवरकुआं क्षेत्र
भंवरकुआं क्षेत्र में सबसे ज्यादा कोचिंग इंस्टीट्यूट हैं और यहां बाहर से आकर छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं और होस्टलों में रहते हैं। इन पर किसी तरह की को पाबंदी नहीं है। भंवरकुआं क्षेत्र के आसपास की कॉलोनियों में छोटे-छोटे मकानों में होस्टल बना लिए हैं। साथ ही यहां सबसे ज्यादा नशे की शिकायत मिलती है। सूत्र बताते हैं कि यहां सबसे ज्यादा पाउडर बेचा जाता है।
रेव पार्टियों का बढ़ा चलन
इंदौर में रेव पार्टियों का चलन बढ़ता जा रहा है। बायपास िस्थत कई होटलों में कार्रवाई हो चुकी है और बड़ी मात्रा ड्रग सहित ड्रग सप्लायर भी पकड़ाए गए थे। हम मेट्रों शहरों की बात करें तो मुंबई, पुणे, बेंगलुरु, कोलकाता और दिल्ली-एनसीआर जैसे कॉस्मोपॉलिटन शहरों में ऐसी रेव पार्टिंया होती रहती हैं। ज्यादातर रेव पार्टीज में खाने-पीने के साथ डांस, मस्ती, धमाल तो होता ही है। साथ ही ड्रग्स और सेक्स के इंतजाम भी होते हैं। बस आपकी जेब में पैसे होने चाहिए।
रेव पार्टी क्या है, कब हुई शुरुआत?
यूरोपियन कंट्रीज में 60 के दशक में होने वाली पार्टियां शराब और शबाब तक सीमित थी, लेकिन 80 के दशक में इसका स्वरूप बदलने लगा और इसने रेव पार्टी का रूप ले लिया। 90 के दशक में आते-आते दुनियाभर के कई देशों में रेव पार्टियों का चलन बढ़ने लगा। ‘रेव’ शब्द की बात करें तो मौज-मस्ती से भरी जोशीली महफिलों को रेव कहा जाता है। लंदन में होने वाली ऐसी जोशीली पार्टियों को ‘रेव पार्टी’ कहा जाने लगा।
हमारे देश मेंं रेव पार्टियों का चलन
हमारे देश में रेव पार्टियों का चलन गोवा से शुरू हुआ। हिप्पियों ने गोवा में इसकी शुरुआत की थी। इसके बाद कई शहरों में ऐसी पार्टियों का ट्रेंड बढ़ता चला गया। पिछले कुछ सालों में हिमाचल की कुल्लू घाटी, बेंगलुरु, पुणे, मुंबई समेत कई शहर रेव हॉटस्पॉट के रूप में उभरे हैं? मुंबई, पुणे जैसे शहरों में ऐसी रेव पार्टियों के गिरफ्तारियां होती रहती हैं। इसी तरह इंदौर के आसपास के जंगलों में भी गुपचुप तरीके से ये पार्टियां आयोजित हो रही हैं और जमकर नशा होता है। सेक्स करने के लिए जगह उपलब्ध कराई जा रही है।
रेव पार्टियों में आखिर होता क्या है?
डांस, मस्ती, धमाल, शराब, शबाब, बेरोकटोक हर बात की छूट… लंबी चलने वाली ऐसी पार्टियों का यही मतलब है। ऐसी पार्टियों लाउड साउंड में संगीत बजते रहते हैं और युवा मस्ती में चूर होते हैं। खाना-पीना, ड्रिंक्स, शराब, सिगरेट वगैरह के अलावा कोकीन, हशीश, चरस, एलएसडी, मेफेड्रोन, एक्सटसी जैसे ड्रग्स का इंतजाम रहता है। कुछ रेव पार्टियों में सेक्स के लिए ‘चिल रूम्स’ भी होते हैं।
नशे को लेकर एक तरह का जिहाद
जिस तरह लव जिहाद के मामले में हमारे देश में बढ़ते चले जा रहे हैं, ठीक उसी तरह नशा जिहाद भी है। हमारे देश के युवाओं को इस दलदल में धकेला जा रहा है। जो युवा नहीं जाना चाहते या जबर्दस्ती ले जाए जाते हैं, उन्हें पहले सुविधाएं मुफ्त में दी जाती है और धीरे-धीरे जब ये युवा इसके आदी हो जाते हैं तो इनसे मोटी रकम वसूली जाती है। लड़कियों के साथ तो ज्यादातर ऐसा किया जाता है। ड्रग्स की लती लड़की को इसके लिए कहा जाता है तो अन्य लड़कियों को फांसती है और किसी न किसी बहाने उसे पार्टियों में ले जाती है। वहां अच्छा खाना-पीना और रंगत देखर लड़की बहकावे में आ जाती है और उसे धीरे-धीरे ड्रग्स की आदी बना दिया जाता है। इसके बाद उसे जिस्मफरोशी के दलदल में धकेल दिया जाता है। इसके पहले उसे फ्री में नशा उपलब्ध कराया जाता है, जैसे-जैसे उसकी आदत नशे की होती जाती है तो फिर नशे के लिए उसका जिस्म बेचा जाता है।
इंदौर में बिगड़ते हालात
इंदौर में अब पान की दुकानों पर नशा मिलने लगा है। जवाबदेही ने सामाजिक सरोकार के तहत ये बात भी प्रशासन के सामने प्रमुखता से रखी थी कि शहर में पान की गुमटियों ने अचानक लक्जरी रूप ले लिया है। पान-गुटखा बेचने के लिए 10-15 हजार रुपए लगाकर लोग व्यवसाय करते थे। लेकिन अब इस धंधे में लाखों रुपया लगाया जा रहा है। लक्जरी दुकानों पर 10-20 लाख रुपए खर्च किया जा रहा है...। ...और इन दुकानों पर लड़के-लड़कियों की काफी भीड़ रहती है। जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन सभी आंख बंद कर बैठे हैं, जब तक कहीं कोई अपराध घटित नहीं होता, तब तक इनमें से कोई भी विभाग नहीं जागता। लड़कियों ने मर्यादाएं लांघ दी है। दो पहिया वाहन पर भी उन्हें आसानी से सिगरेट के छल्ले उड़ाते हुए देखा जा सकता है। इतना ही नहीं। बायपास पर तो हर नशा करते इन्हें देखा जा सकता है।
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