17 जुलाई तय करेगी शहर का भाग्य
जवाबदेही @ इंदौर
17 जुलाई को तय हो जाएगा कि नगर में सरकार किसकी बनेगी। महापौर पुष्यमित्र भार्गव बनेंगे या फिर संजय शुक्ला। पुष्यमित्र भार्गव हैं कि कानून के जानकार हैं और महाधिवक्ता भी रहे हैं। रीति-नीति और शहर की नब्ज और समस्या को भी जानते हैं। वहीं, संजय शुक्ला वर्षों से राजनीति में हैं और शहर की प्रमुख समस्याओं को जानते हैं। अब जनता ने किसे पांच साल के लिए चुना है ये तो वक्त बताएगा। वहीं, शहर की जनता को समस्या को हल करने की चुनौती भी बड़ी हैं। सफाई को लेकर शहर नंबर वन तो है ही, लेकिन दूसरी समस्याओं जैसे ट्रैफिक, सड़क और अतिक्रमण को लेकर शहर की हमेशा किरकिरी होती जा रही है। नगर निगम के अफसरों और कर्मचारियों की हकीकत आप दोनों से छुपी हुई नहीं है।
अफसर है कि काम नहीं करना चाहते और कब्जेधारी है कि कब्जा छोड़ना नहीं चाहते। सड़कों की हालत दयनीय होती जा रही है। ट्रैफिक सुधरने का नाम नहीं लेता। समस्याएं कई हैं, जो बरसों से हल नहीं हुई। अब इस बार लोगों को कुछ उम्मीदें बंधी हैं आपसे। अब देखते हैं कि दोनों प्रत्याशियों में से कौन संभालेगा शहर की बागडोर और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगा। या फिर नगर निगम की चौखट छूते ही अफसरों का हो जाएगा..., क्योंकि दोनों प्रत्याशियों ने विकास को लेकर काफी दावे किए हैं। संजय शुक्ला ने तो शहर में पांच ब्रिज खुद के रुपयों से बनाने की बात कही थी... और कुछ दिनों बाद उन्होंने कहा कि जनसहयोग भी लिया जाएगा। अगर संजय शुक्ला महापौर बनते हैं तो जवाबदेही उनसे यह अपील करता है कि जितना रुपया आप ब्रिज पर खर्च करना चाहते हों, उससे आधे में शहर के कई हिस्सों में अंडर पास बन जाएंगे और शहर में ट्रैफिक व्यवस्था सुधर जाएगी...।
जवाबदेही भी सामाजिक सरोकार के तहत आपको शहर की उन तमाम समस्याओं से रूबरू करवा रहा है, जिसका हल होना जरूरी है। शहर में सबसे बड़ी समस्या पार्किंग को लेकर है, और इसके लिए जिम्मेदार है अवैध अतिक्रमण और अवैध निर्माण, जो रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं और इसके लिए सीधे-सीधे जिम्मेदार नगर निगम के कथित अफसर ही हैं, जो रुपयों के लालच में शहर का नक्शा ही बिगाड़ते चले जा रहे हैं।
अवैध निर्माण को रोकना जरूरी
कोई शिकायत करता है तो निर्माणों को तोड़ा जाता है...। और ये खेल बरसों से नगर निगम के माध्यम से किया जा रहा है। आला अफसरों को तो भनक ही नहीं लगती और ले-देकर आवासीय नक्शों पर कमर्शियल स्वीकृति दे दी जा रही है। कमर्शियल और आवासीय सड़कों की जानकारी तो नगर निगम में होगी ही, तो जो भी प्रत्याशी महापौर बने तो इस तरफ ईमानदारी से नजर भी दौड़ाएं और आवासीय स्वीकृति पर कैसे कमर्शियल निर्माण हो गया इसकी जांच कराकर बेईमानों को बाहर का रास्ता दिखाएं और अवैध निर्माणों को नेस्तनाबूद किया जाए, क्योंकि सख्ती जरूरी है।
ट्रैफिक बिगड़ने का कारण ही है अवैध निर्माण
शहर में ट्रैफिक बिगड़ने का प्रमुख कारण अवैध निर्माण ही है। लोगों ने जिस तरह से आवासीय निर्माण की स्वीकृति लेकर कमर्शियल बिल्डिंगे तान दी है, उससे वाहनों की पार्किंग सड़क पर होने लगी है, जिससे जाम के हालात बनने लगे हैं। शहर तेजी से बढ़ता जा रहा है। पुरानी बसाहट के साथ-साथ शहर के बाहरी हिस्सों में नई बसाहट होती जा रही है। कई जगह सड़कें संकरी हैं और जहां सड़कें चौड़ी हैं, वहां अवैध रूप से हो रही पार्किंग ने व्यवस्था खराब कर रखी है।
भीतरी व्यवस्था तो है ही गड़बड़
शहर के ट्रैफिक को सुधारने को लेकर कई ओवरब्रिज बनाए जा रहे हैं। कुछ बन चुके हैं और कुछ की तैयारी चल रही है। शहर के ट्रैफिक को रफ्तार देने के लिए बनने वाले 11 फ्लाय ओवर ब्रिज फोर की जगह सिक्स लेन बनाने के लिए हरी झंडी मिल चुकी हैं। शहर में वाहनों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अगले 25 वर्ष की जरूरतों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। इसके तहत लवकुश चौराहा, देपालपुर चौराहा, विजय नगर चौराहा, रेडीसन चौराहा, एमआर 9 चौराहा, महू नाका चौराहा, रीगल तिराहा, खजराना चौराहा, मूसाखेड़ी चौराहा, गोपुर चौराहा, भंवरकुआं चौराहा पर ओवरब्रिज बनाए जाएंगे। अगले 25 सालों की जरूरतों को देखते हुए यह निर्णय सही है। वहीं, शहर के अंदरुनी भागों में यदि ट्रैफिक व्यवस्था सुचारू करने के उपायों पर ध्यान दिया जाएगा तो जीवनभर शहर का ट्रैफिक सुचारू रूप से चलता रहेगा और इसके लिए अंडरपास बनाने पर ध्यान देना जरूरी हो गया है। जो ब्रिज बनाए जा रहे हैं उससे शहर से बाहर जाने और आने वाले ट्रैफिक को कंट्रोल किया जाएगा, लेकिन भीतरी व्यवस्था तो गड़बड़ ही रहेगी।
बीआरटीएस और रिंग रोड पर देना होगा ध्यान
बीआरटीएस और रिंग रोड पर कई चौराहों पर अंडरपास की आवश्यकता है। अंडरपास बनने से जाम के हालात खत्म होंगे। इस दिशा में काम करना शुरू कर देना चाहिए। अंडरपास बनाने में लागत भी कम ही आती है।
अंडरपास ही विकल्प
शहर के अंदरुनी हिस्से में ट्रैफिक समस्या काफी बढ़ गई है। लाख उपाय करने के बाद भी सुगम यातायात शहर में देखने को नहीं मिलता। इसके लिए अब शहर को नई दिशा में सोचना होगा और शहर के भीतरी और अंदरुनी हिस्से में अंडरपास ही विकल्प है, क्योंकि हर जगह फ्लायरओवर ब्रिज तो बनाया नहीं जा सकता। अब शहर में मेट्रो भी जल्द चलने लगेगी। इसके रूट में भी कई बाधाएं अभी से सामने आने लगी है।
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