इंदौर में क्राइम ब्रांच और लसूड़िया पुलिस ने पकड़ी प्रतिबंधित दवाइयां

जवाबदेही @ इंदौर

प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान पुलिस को कहते हैं कि गुंडों-बदमाशों पर टूट पड़ों लाठियां लेकर। असल में होना एनकाउंटर चाहिए। जिस तरह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने गुंडों की अक्ल ठिकाने पर लगाई। ठीक उसी प्रकार मध्यप्रदेश में गुंडों और बदमाशों के हाल होने चाहिए। बदमाशों के मकान पर बुल्डोजर तो चलाया जा रहा है, लेकिन अब जिस तरह से नशे के कारोबार मध्यप्रदेश में जड़ जमा चुका हैं, ऐसे नशे को सौदागरों को अब ढेर करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। क्योंकि नशे से युवा पीढ़ी तिल-तिलकर मर रही है। ऑपरेशन प्रहार के तहत इंदौर में क्राइम ब्रांच और लसूड़िया पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई कर प्रतिबंधित दवा कोडीन फॉस्फेट सिरप की 150 बोतल बेचने वाले दो आरोपी वसीम पिता एहसान अब्बासी, समद पिता महमूद दोनों जूना रिसाला के रहने वाले हैं को पकड़ा। सवाल उठता है कि जब यह दवा एनडीपीएस एक्ट के तहत प्रतिबंधित हैं तो यह बनाई कहां गई? वहीं ये दोनों आरोपियों पर मादक पदार्थ तस्करी करने सहित 12 अपराध पंजबद्ध हैं...। ऐसे अपराधियों के हाथ-पैर तोड़कर मस्जिदों के बाहर भिख मंगवाने के लिए छोड़ देना चाहिए। इनके गले में तख्तियां भी होनी चाहिए कि ये लोग नशा बेचते थे, इस वजह से इनकी ये हालत की गई है। 

मध्यप्रदेश बना ड्रग पैडलर्स का हब!

जिस तरह मध्यप्रदेश हथियारों की तस्करी को लेकर कुख्यात है, ठीक उसी तरह इन दिनों ड्रग पैडलर की पसंदीदा जगह बना हुआ है। स्पेशल सेल से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी तक कह चुके हैं कि मध्य प्रदेश के दूरदराज के इलाकों में स्थित मेक शिफ्ट फैक्ट्री में हेरोइन को प्रोसेस करने का धंधा चल रहा है। मध्यप्रदेश का शिवपुरी ड्रग पैडलर की पसंदीदा जगह बना हुआ है। यहां पर कई सारी मेकशिफ्ट फैक्ट्रियां हैं, जहां हेरोइन को प्रोसेस किया जाता है। ईरान से समुद्र के रास्ते हेरोइन को मुंबई लाया जाता है और वहां से सड़क द्वारा मध्य प्रदेश के शिवपुरी सहित ऐसे तमाम शहरों जहां मेकशिफ्ट फैक्ट्रियां हैं, जहां इन्हें प्रोसेस किया जाता है। हेरोइन को प्रोसेस करने के बाद देश के दूसरे हिस्सों में भेजा जाता है। अब मध्य प्रदेश नशे का गढ़ बनता जा रहा है। यहां कई सारी मेक शिफ्ट फैक्ट्रियां हैं, जहां हेरोइन को प्रोसेस करने के बाद उन फैक्ट्रियों को दूसरी जगह इंस्टॉल किया जाता है ताकि किसी को शक न हो सके। जानकारी के अनुसार अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में उगाई जाने वाली अफीम को इम्पोर्ट किए जाने वाले जैसे टैल्क स्टोन, जिप्सम पाउडर में छिपाया जाता है। इसके बाद कंटेनरों में उसे ईरान के चाबहार बंदरगाह तक पहुंचाया जाता है। वहां से हेरोइन की ये खेप जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट मुंबई भेज दी जाती है।  वैसे स्पेशल सेल की एक टीम लंबे समय से ड्रग पेडलर के खिलाफ काम कर रही है।

दूर-दराज इलाकों में बनी फैक्ट्री से हो रहा हेरोइन का धंधा

इन रास्तों से मध्यप्रदेश लाई जा रही है स्मैक

दूसरी तरफ राजस्थान के शहरों से स्मैक सप्लाई की जाती रही है। जबकि इस बीच करीब 17 चेक पोस्ट तस्कर पार कर जाते हैं। इसके लिए तस्कर राजस्थान से सीधे डग बड़ौद होते हुए आगर की ओर से होते हुए उज्जैन पहुंचते हैं। दूसरा रास्ता नीमच से मंदसौर और फिर उज्जैन स्मैक की कंसाइमेंट ड्रग पेडलर तक पहुंच रही है। 

नशेड़ियों की बढ़ रही संख्या

इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, नीमच मंदसौर, रतलाम, झाबुआ और रीवा शामिल हैं। इन जिलों में सर्वाधिक समस्या नशीला पदार्थ सूंघकर नशा करने की है। बच्चों में पाए जाने वाले नशों में इस तरह के नशेडियों की संख्या पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ी है।

देशभर में 4.5 लाख बच्चे सूंघने के नशे के शिकार 

देशभर में व्हाइटनर, पंक्चर बनाने का सॉल्यूशन, सुलोचन जैसे नशीले पदार्थ सूंघ कर नशा करने वाले 17 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या लगभग 4.5 लाख है। ये बच्चे रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, सार्वजनिक पार्कों में समूह बनाकर नशा करते पाए जाते हैं। मप्र में ऐसा लगभग 50 हजार बच्चे होने की बात सामने आई है। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में नशे की लत के शिकार 10 से 17 वर्ष के 18 लाख किशोरों को तत्काल इलाज की जरूरत है।


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