जगजीतसिंह भाटिया
प्रधान संपादक

सीबीआई ने रविवार को मध्यप्रदेश सहित दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, गुजरात और उत्तर प्रदेश में 22 ठिकानों पर एक साथ छापे मारे। छापे राष्ट्रीय राजमार्ग  प्राधिकरण (एनएचएआई) की तीन परियोजनाओं में अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से आर्थिक अनियमितता के कारण मारे गए। इस दौरान एक करोड़ से ज्यादा नकदी बरामद की गई। इस पूरी गड़बड़ी में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के महाप्रबंधक, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, मैनेजर जैसे नौ अधिकारी शामिल थे और 13 अन्य कंपनी के अधिकारी व अज्ञात लोग भी इस आर्थिक गड़बड़ी के मामले में एनएचआई अफसरों के साथ सहभागी पाए गए।

कुलमिलाकर देशभर में अफसरों का एक ही काम बचा है कि कैसे अनियमितता करना, गड़बड़ी करना और भ्रष्टाचार करके अकूत दौलत कमाना। एनएचएआई की जिम्मेदारी रहती है कि लोगों को आवागमन के लिए अच्छी सड़कें, मजबूत पुल आदि बनाना, लेकिन जब इस विभाग से जुड़ेे अफसर भ्रष्टाचार के आकंठ में इतने डूूबे हुए हैं तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनके द्वारा किए गए निर्माण कितने घटिया स्तर के रहे होंगे या किए जा रहे होंगे। कुछ दिनों तक ये मामला सुर्खियां बटोरेगा, इसके बाद फाइलें ठंडे बस्ते में डाल दी जाएगी। 

दुख इस बात का है कि जब कहा जाता है कि हमारा देश भारत आर्थिक रूप से मजबूत होता जा रहा है तो ये सहज ही समझ आता है कि ईमानदार जनता जो अपनी कमाई में से सरकार को जो टैक्स देती है, उसी का नतीजा है कि देश आर्थिक रूप से मजबूत दिखाई देता है और सरकारी आंकड़ें परोसने वाले और बताने वाले जनता के टैक्स में धांधली, भ्रष्टाचार करते आ रहे हैं। आज हालात यह है कि देशभर में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। न कोई अपना न कोई पराया, सभी का एक ही सपना रुपया मिलना चाहिए। राजनेता तो भ्रष्ट है ही, सरकारी नौकर तो लूट मचाए हुए हैं। जो धन देश के विकास के लिए आवंटित होता है, उस पर गिद्ध निगाहें इन अफसरों और नेताओं की रहती है। सरकार चाहे तो भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सकती है। आज लगभग हर विभाग में कोई न कोई काम निजी ठेकेदारों द्वारा कराया जा रहा है। निजी ठेकेदार के लिए टेंडर प्रक्रिया रहती है, टेंडर उसी का पास होता है, जिसकी अफसरों और नेताओं से सांठगांठ रहती है। ठेकेदार रिश्वत देकर घटिया ही निर्माण करता है, निम्न स्तर की सामग्री पहुंचाता है।  वर्तमान में हम देख रहे हैं कि देश में बेरोजगारों की संख्या बढ़ी हुई हैं। सरकार को बेरोजगारों को रोजगार देकर खाली पदों को भरना चाहिए। वहीं जो काम निजी संस्थाओं से कराए जा रहे हैं, उन्हें सरकार ने ही करने चाहिए। इसका अच्छा ही परिणाम आएगा, क्योंकि जब ठेका प्रणाली ही नहीं रहेगी तो भ्रष्टाचार होने की गुंजाइश भी न के बराबर रहेगी। सरकार काम करने का जितना पैसा निजी ठेकेदार कंपनियों को देती है, उससे कम लागत में निर्माण कार्य हो सकते हैं। बशर्तें जिन लोगों को सरकारी नौकरी मिली है, वो अपना काम ईमानदारी से करें...।

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