इंदौर। मध्यप्रदेश विधानसभा में व्यावसायिक परीक्षा मंडल और बेरोजगारों को लेकर मुद्दा कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने उठाया।  इसमें सरकार की ओर से बताया गया कि व्यापमं को पिछले 10 सालों में 1046 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई हुई है। इस दौरान तमाम कार्यों में 502 करोड़ रुपए खर्च हुए, वहीं 404 करोड़ रुपए की FD (फिक्सड डिपॉजिट) बैंक में जमा है। FD के ब्याज से ही हर साल फ्री में परीक्षा कराई जा सकती है।सवाल वाजिब है, क्योंकि सरकारी नौकरी की आस में बेरोजगार युवकों के लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं, लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिलती और इधर शासन के खजाने में इजाफा होते जा रहा है। 

नौकरी की उम्मीद में कितना कुछ खोता है बेरोजगार

विडंबना यह भी है कि परीक्षाएं आयोजित होती है, कहीं विवाद होते हैं तो परीक्षाएं रद्द हो जाती है। इसके अलावा बेरोजगारों का दर्द यह है कि दर्जनों भर्तियां अटक जाती हैं। न समय से परीक्षा न रिजल्ट। अगर सबकुछ हो भी गया तो पर्चा आउट, नकल से लेकर तमाम ऐसी गड़बड़ियों से परीक्षा पर सवाल खड़े हो जाते हैं। बेचारा बेरोजगार, जिसने आवेदन के समय मोटी फीस चुकाई, तैयारी में अपना समय और पैसा लगाया, उसके हाथ आती है मायूसी। सरकारी तंत्र का एक क्रूर छलावा। हां, इन सबके बीच एग्जाम कराने वाले बोर्ड, एजेंसियां जरूर मालामाल हो जाती हैं। एक-एक बेरोजगार युवा हर साल औसतन करीब डेढ़ लाख रुपए खर्च कर रहा है। 

एक अदद नौकरी की उम्मीद में। सरकारी नौकरी में भविष्य तलाश रहे युवा घर से कोसों दूर रहते हैं। कोचिंग सेंटर की महंगी फीस चुकाते हैं। फॉर्म भरने से लेकर हर महीने रहने, खाने-पीने पर हजारों रुपए खर्च होते हैं। पेपर आउट होने से लेकर छोटे-छोटे कारणों से 90% भर्तियां अटक जाती हैं। सिलेक्शन होने के बावजूद अभ्यर्थियों को सालों इंतजार करना पड़ता है। भर्ती परीक्षा रद्द हो जाए तो बेरोजगारों के आवेदनों से ही परीक्षा कराने वाली एजेंसियां करोड़ों की कमाई कर लेती हैं। इसके विपरीत सरकारी नौकरी की तैयारी करते-करते कैंडिडेट की उम्र निकल जाती है। पढ़ाई और नौकरी के बीच लंबा गैप होने पर प्राइवेट नौकरी मिलनी भी मुश्किल हो जाती है। सरकारी नौकरी के बिना किसी की शादी नहीं हो पाती, तो किसी को ताने झेलने पड़ते हैं।

विडंबना

परीक्षार्थी का नौकरी पाने के चक्कर में सालभर में खर्च हो रहा एक लाख रुपए, पर नौकरी नहीं मिलती...

दर्द

परीक्षाएं अचानक हो जाती है स्थगित

परीक्षा में लाखों छात्र और बेरोजगार युवा होते हैं शामिल

तीन सब्जेक्ट में एमएम के बाद B.Ed कर चुके रमेश के पास इतनी डिग्रियां हैं, जितनी उसके खानदान में किसी के पास नहीं। सरकारी नौकरी के लिए 8 साल तक कोचिंग की। चपरासी की भर्ती निकली, उसमें भी फॉर्म भरा। सिलेक्शन नहीं हुआ। उम्र जब 36 क्रॉस हुई तो भविष्य की चिंता और बढ़ गई। आखिरकार डिलीवरी ब्वॉय बनना पड़ा। यहां रमेश एक काल्पनिक पात्र हैं। यकीन मानिए, मध्यप्रदेश सहित देश के लाखों रोजगार यहां रमेश की जगह अपना-अपना नाम फिट करेंगे, तब भी कहानी नहीं बदलेगी। जीतू पटवारी के अनुसार सिर्फ भर्ती परीक्षाओं की बात करें तो पिछले पांच साल में इससे 238 करोड़ से ज्यादा की आमदनी व्यापमं को हुई। व्यापमं हर साल कई प्रवेश परीक्षाएं और एंट्रेंस एग्जाम आयोजित करता है। इसमें लाखों छात्र और बेरोजगार युवा शामिल होते हैं। सब रोजगार की आशा में अपने माता-पिता से फीस मांग कर परीक्षा में बैठते हैं। बाद में उनको पता चलता है कि जिस सीट या जिस पद के लिए वे परीक्षा दे रहे थे, वह तो भाजपा की सरकार पहले ही बेच चुकी है।

प्रदेश में 30.23 लाख रजिस्टर्ड बेरोजगार

पटवारी ने कहा कि राजस्थान की तरह यहां भी बेरोजगारों से परीक्षा फीस लेना बंद किया जाए। परीक्षाएं नि:शुल्क ली जाए। आगामी परीक्षा में भी शुल्क ना लेने की व्यवस्था बनाई जाए। 2021-22 के आर्थिक सर्वेक्षण में सामने आया कि प्रदेश में इस दौरान 5.51 लाख बेरोजगार बढ़े हैं। इसमें शिक्षित बेरोजगारों की संख्या में 1.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2020 के अंत तक रोजगार कार्यालय में 24.72 लाख रजिस्ट्रेशन हुए। रजिस्टर्ड बेरोजगारों की संख्या 2021 के अंत तक बढ़कर 30.23 लाख हो गई है।

चपरासी बनने पीएचडी वालों ने भी दी थी परीक्षा


सरकारी नौकरी पाने की चाहत में पीएचडी, एमएससी, एमबीए, बीई व बीएड के डिग्रीधारी बेरोजगार चपरासी बनने के लिए लाइन में लगे भी दिखाई दिए थे। गत वर्षों में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) द्वारा आयोजित चपरासी भर्ती परीक्षा में ऐसे डिग्रीधारी परीक्षार्थी शामिल हुए जिनके पास प्रोफेशनल डिग्री थी। चपरासी के पद 1332, शामिल हुए थे 4 लाख : अलग-अलग विभागों में 1332 पदों पर चपरासी की भर्ती की जानी है। जबकि प्रदेश के 50 जिलों में आयोजित इस परीक्षा में लगभग 4 लाख परीक्षार्थी शामिल हुए हैं। एक पद के लिए 75 आवेदक दावेदार हैं। ग्वालियर के 59 परीक्षा केंद्रों में परीक्षा आयोजित की गई। इस परीक्षा में 23407 आवेदक शामिल हुए। जबकि 3094 अनुपस्थित रहे।


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