जगजीतसिंह भाटिया
प्रधान संपादक

शिवराज सरकार भले ही मध्यप्रदेश को शांति का टापू कहे, लेकिन हकीकत इसके उलट है। प्रदेशभर में अपराध ग्राफ बढ़ता जा रहा है, लेकिन फिर भी शांति का टापू कहते-कहते जुबान नहीं थक रही है। प्रदेशभर में पुलिस को खुली छूट नहीं दी गई है, उन पर दबाव है तो वह शासन के कहे अनुसार काम कर रही ह। ये भी कह सकते हैं कि पुलिस  पूरी तरह व्यावसाियक बन चुकी है। गुंडे-बदमाश लोगों की प्रॉपर्टियों पर कब्जे कर रहे हैं, लेकिन नेता और बदमाशों इस जुगलबंदी पर अफसर भी राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह से विराम नहीं लगा रहे हैं। मध्यप्रदेश में आईटी क्षेत्र की आड़ में युवाओं ने ठगोरी गैंग खड़ी कर ली है, लेकिन पुलिस कुछ नहीं कर पा रही है। लोगों के करोड़ों रुपए ये पढ़े-लिखे ठगोरे हजम कर चुके हैं, लेकिन शासन चुप्पी साधे बैठा है।

जब दिग्विजयसिंह मुख्यमंत्री थे, तब अफसरशाही भी सिर चढ़कर बोलती थी, और सारा मध्यप्रदेश अफसर ही चला रहे थे और दिग्गी राजा ने पूरा भरोसा किया था कि सारे अफसर उनके अपने हैं, लेकिन अफसरों ने ही उनकी लुटिया डूबोने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी...और मि. बंटाढार का तमगा अलग मिल गया...। ठीक उसी तरह इन दिनों मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान चैन की बंसी बजा रहे हैं, मध्यप्रदेश के अफसरों के भरोसे, क्योंकि मध्यप्रदेश का शासन तो सरकारी अफसर ही चला रहे हैं और अब जल्द ही शिवराजसिंह को भी दरकिनार करने की तैयारी अफसरों ने कर ली है, कब इन्हें गच्चा दे जाएंगे पता भी नहीं चलेगा। योगी सरकार जैसा साहस शिवराज सिंह नहीं दिखा पाए। गुंडे सिर्फ गुंडे है, ये योगी ने समझा और एनकाउंटर करने में कोई कोताही नहीं बरती.... मध्यप्रदेश में सिमी आतंकवादियों को मार गिराने के अलावा कोई ऐसी कार्रवाई नहीं हुई। मकानों को जमींदोज किया गया। अभी हाल ही में भोपाल में आतंकवादी पकड़ाए, जिस मकान में अातंकवादी ठहरे थे, क्या अब उस मकान को तोड़ा जाएगा? है इतना साहस...। छोटे-छोटे अपराधियों के तो मकान तुड़वा दिए...। इस मकान में तो आतंकवादी ठहरे थे?  उत्तर प्रदेश के अपराधियों ने योगी बाबा से डरकर मध्यप्रदेश में घुसपैठ की और प्रदेश में अपराध बढ़ गए। मध्यप्रदेश की हालत यह है कि जिन गुडों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है, उनकी दया याचिकाओं पर निर्णय नहीं लिया है और वह मजे से जेल में मुफ्त रोटियां तोड़कर सरकार का खर्च ही बढ़ा रहे हैं।  

पिछले दो सालों में प्रदेश के राजस्व में पेट्रोल-डीजल,रजिस्ट्री एवं सभी तरफ से बहुत ज्यादा आय बड़ी है लेकिन फिर भी प्रदेश पर कर्ज बढ़ ही रहा है क्योंकि सरकार द्वारा खर्च करते वक्त सही तरीके से ध्यान नहीं दिया जा रहा। सरकार की जो ऑडिट रिपोर्ट का सिस्टम भी बहुत कमजोर चल रहा है उसकी रिपोर्ट आने में दो-तीन साल लग जाते है तब तक शासन-प्रशासन अधिकारी बदल चुके होते है, शासन को इस तरफ भी ध्यान देने की जरूरत है। शासन द्वारा राजस्व को गलत योजनाएं पर खर्च किया जा रहा है। 

भोपाल में शराब दुकान पर उमा भारती की पत्थरबाजी को सामान्य ना समझे..., इस एक पत्थर ने मध्यप्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है..., उमा भारती के इस तेवर को बगावत का बिगुल बजाना भी कहा जा सकता है। आपको ये बता दे कि मध्यप्रदेश में दिग्विजयसिंह को राजनीति से बाहर करने का दम भी उमा भारती ने ही दिखाया था...।  प्रदेशभर में रिश्वतखोर अफसर बढ़ चुके हैं। बैंक जैसी संस्थाओं में लोग बिना रिश्वत के काम नहीं कर रहे हैं। इस सप्ताह सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का मैनेजर मांगीलाल 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़ाया था। िरश्वत लेने का क्रम टूट नहीं रहा और ऐसे भ्रष्ट अफसरों की रोज ईओडब्ल्यू तक शिकायत पहुंच रही हैं और कार्रवाई भी हो रही है। इसी क्रम में लोकायुक्त पुलिस सागर ने टीकमगढ़ निवासी डिप्टी रेंजर गोपाल सिंह मुवेल को 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा है। उसने एक फॉरेस्ट गार्ड के पक्ष में जांच करने के लिए रिश्वत मांगी थी। इससे साफ समझा जा सकता है कि प्रदेश में कोई भी काम कराना हो तो रिश्वत तो देना ही पड़ेगी, बिना लिए-दिए कोई काम नहीं हो सकता। अगर प्रदेश को वास्तव में शांति का टापू बनाना है तो जनता के हितों की रक्षा करना होगी। अफसरों पर सख्ती करना होगी, गुंडे-बदमाशों के एनकाउंटर करना होंगे। रिश्वतखोर अफसरों के भी मकान जमींदोज करना होंगे, तब जाकर प्रदेश की जनता को शांति के टापू पर रहने जैसा अहसास होगा....।

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