हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने छात्राओं की याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि हिजाब धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। स्कूल-कॉलेज में छात्र यूनिफॉर्म पहनने से मना नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि इस्लाम में हिजाब पहनना अनिवार्य नहीं है।
कर्नाटक हाईकोर्ट में उडुपी की लड़कियों ने याचिका दायर कर स्कूलों में हिजाब पहनने की इजाजत की मांग की थी। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस मामले में 25 फरवरी को सुनवाई पूरी कर ली थी। साथ ही कोर्ट ने अपना फैसला भी सुरक्षित रख लिया था।
क्या है हिजाब विवाद?
इस विवाद की शुरुआत पिछले साल 31 दिसंबर को हुई थी जब उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेज में 6 छात्राओं ने हिजाब पहनकर कॉलेज पहुंची थी। उन छात्राओं को कक्षा में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। इसके बाद कॉलेज के बाहर प्रदर्शन भी हुआ था। कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं को हिजाब पहन कर आने से मना किया। लेकिन लड़कियों ने प्रशासन का विरोध किया और वे हिजाब पहन कर कॉलेज आने लगीं। कॉलेज प्रशासन ने 19 जनवरी 2022 को छात्राओं, उनके माता-पिता और अधिकारियों के साथ बैठक की थी। लेकिन उस बैठक का कोई परिणाम नहीं निकला था।
ये मामला तब और बढ़ गया जब उडुपी जिले के कॉलेज में लड़कियों के हिजाब के जवाब में कुछ छात्र भगवा शॉल पहन कर चले आए थे। मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने के विरोध में हिंदू छात्र-छात्राएं भगवा शॉल और स्कार्फ पहन कर कॉलेज में पहुंचने लगे। देखते-देखते पूरे कर्नाटक में हिजाब विवाद फैल गया। हिजाब के समर्थन और विरोध में प्रदर्शन होने लगे।
विवाद को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने पांच फरवरी को कर्नाटक शिक्षा अधिनियम 1983 की धारा 133(2) लागू कर दी गई। इसके अनुसार सभी छात्र-छात्राओं के लिए कॉलेज में तय यूनिफॉर्म पहनना अनिवार्य कर दिया गया। यह आदेश सरकारी और निजी, दोनों कॉलेजों पर लागू किया गया। कई राजनीतिक दलों ने राज्य सरकार के इस फैसले की आलोचना भी की।
हिजाब पर रोक को लेकर कुछ छात्राओं ने कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया। लेकिन हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने इसे तीन जजों की बेंच में ट्रांसफर कर दिया था। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अगले आदेश तक स्कूल-कॉलेजों में धार्मिक पोशाक पहनकर आने पर रोक लगा दी थी।
विवाद हिंसक हुआ
आठ फरवरी को विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। कर्नाटक में कई जगहों पर झड़पें हुईं। कई जगहों से पथराव की खबरें भी सामने आईं। शिवमोगा का एक वीडियो सामने आया जिसमें एक कॉलेज छात्र तिरंगे के पोल पर भगवा झंडा लगा रहे थे।
मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा था कि पहले इस मामले की सुनवाई कर्नाटक हाई कोर्ट को करनी चाहिए।
हिजाब विवाद की आंच दूसरे राज्यों में भी पहुंची
कर्नाटक से शुरू हुए विवाद की आंच दूसरे राज्यों में पहुंची। इनमें उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, महाराष्ट्र और पुडुचेरी शामिल हैं। कर्नाटक की तरह इन राज्यों में भी मुस्लिम लड़कियां क्लास में हिजाब पहनने की मांग करने लगीं।
दुनिया में हिजाब को लेकर कहां-कहां विवाद और पाबंदी?
सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां हिजाब, इस्लामिक नकाबों और सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढकने को लेकर विवाद हुआ और उस पर रोक लगाई गई है। कुछ देशों में इस नियम के उल्लंघन को लेकर मोटा जुर्माना भी लगाया जाता है।
फ्रांस
- 11 अप्रैल 2011 को सार्वजनिक स्थानों पर पूरे चेहरे को ढकने वाले इस्लामी नकाबों पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला फ्रांस पहला यूरोपीय देश बना। तब निकोला सारकोजी फ्रांस के राष्ट्रपति थे। वे मानते थे कि पर्दा महिलाओं के साथ अत्याचार के समान है और फ्रांस में इसकी मंजूरी नहीं दी जाएगी। उनके इस फैसले का विरोध भी हुआ और विवाद भी, लेकिन फ्रांस ने यह कड़ा प्रतिबंध लगाया।
- 2016 में फ्रांस में इसी से जुड़ा एक और शुरू हुआ जब बुर्किनी के नाम से मशहूर महिलाओं के पूरे शरीर ढंकने वाले स्विम सूट पर बैन लगाने के लिए कानून बनाया गया। हालांकि, बाद में देश की शीर्ष अदालत ने इस कानून को रद्द कर दिया।
नीदरलैंड्स
- नवंबर 2016 में नीदरलैंड्स के कई सांसदों स्कूल-अस्पतालों जैसे सार्वजनिक स्थलों और सार्वजनिक परिवहन में पूरा चेहरा ढकने वाले इस्लामिक नकाबों पर रोक का समर्थन किया।
हालांकि, इस प्रतिबंध को कानून की शक्ल देने के लिए संसद से बिल पास होना जरूरी था। कुछ विरोध के बाद जून 2018 में नीदरलैंड्स ने चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगा दिया।
बेल्जियम
- जुलाई 2011 में देश में पूरा चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। नए कानून में सार्वजनिक स्थलों पर ऐसे किसी भी पहनावे पर रोक थी जिससे पहनने वाले की पहचान जाहिर नहीं हो रही हो।
दिसंबर 2012 में इस कानून के खिलाफ बेल्जियम की संवैधानिक अदालत में इस प्रतिबंध को रद्द करने के खिलाफ याचिका दायर की गई जिसे खारिज कर दिया गया।
इटली
पूरे देश में बुर्का पहनने पर पाबंदी नहीं है, लेकिन इसके नोवारा जैसे कुछ शहरों में चेहरा ढकने वाले नकाबों की मनाही है। इटली के लोंबार्डी क्षेत्र में दिसंबर 2015 में बुर्का पर प्रतिबंध को लेकर सहमति बनी और ये जनवरी 2016 से लागू हुआ।
ऑस्ट्रिया
अक्टूबर 2017 में ऑस्ट्रिया में स्कूलों और अदालतों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
नॉर्वे
शिक्षण संस्थानों में चेहरा ढकने वाले कपड़े पहनने पर रोक को लेकर नार्वे में जून 2018 में एक विधेयक पारित किया गया। जिसके बाद यह कानून बन गया।
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