जवाबदेही @ इंदौर

Live in Relationship वर्तमान युवा पीढ़ी लिव इन रिलेशनशिप जैसे गैर सामाजिक संबंधों के प्रति अत्याधिक आकर्षित दिखाई दे रही है। इसके पीछे उनका तर्क यह है कि विवाह के बंधन में बंधने से पहले एक-दूसरे को अच्छी तरह से समझ लिया जाए तो वैवाहिक जीवन में ताल-मेल बैठा पाना और आसान हो जाता है. हालांकि हमारा परंपरावादी समाज महिला और पुरुष को विवाह से पहले साथ रहने की इजाजत नहीं देता किंतु अब हमारे युवाओं की मानसिकता ऐसी सोच को नकारने लगी है जो उन्हें किसी भी प्रकार के बंधन में बांध कर रख पाए। इसलिए युवा लिव इन में जाने से बिल्कुल हीं हिचकिचाते।

महिलाएं और पुरुष जब प्रेम संबंध में पड़ते हैं तो उन्हें लगता है कि विवाह से पहले एक साथ रहना बहुत जरूरी है। क्योंकि एक-दूसरे के साथ को लेकर सहज हो जाने से आगामी जीवन बिना किसी परेशानी के काटा जा सकता है। लेकिन यहां यह प्रश्न उठता है कि क्या लिव इन रिलेशनशिप, विवाह की गारंटी लेता है? शायद नहीं, अनेक ऐसे उदाहरण हैं हमारे सामने जो लिव इन रिलेशनशिप की हकीकत बयां करते हैं। ऐसे संबंध प्रेम पर नहीं शारीरिक आकर्षण पर निर्भर होते हैं और जब यह आकर्षण समाप्त होने लगता है तो तथाकथित प्रेम बोझ लगने लगता है। झगड़े शुरू हो जाते हैं, एक-दूसरे की उपस्थिति तक सहन नहीं की जाती। अंतत: लिव इन रिलेशनशिप के साथ प्रेम भी समाप्त हो जाता है।

पूरे देश में लिवइन के मामले बढ़ते जा रहे हैं। मामूली-खटपट होने पर लिव इन में रहने वाली महिलाओं द्वारा अपने ही पार्टनर के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करा दिया जाता है और बाद में बयान बदलने के मामले में पूर्व पार्टनर से लाखों रुपयों की वसूली तक कर ली जाती है। 

दरअसल, इस तरह के मामलों में पुरुष को कानूनी रूप से संरक्षण देने के लिए कोई भी प्रावधान नहीं होने से महिलाओं द्वारा मिले कानूनी हक का दुरुपयोग किया जाता है। यही वजह है कि अब प्रदेश में इस तरह के बहुत से मामले देखे जा रहे हैं। जानकारों की मानें तो अधिकांश मामलों में दोनों के बीच किसी बात को लेकर सहमति न बन पाना या फिर अनबन हो जाना मुख्य वजह रहती है। जिसके बाद महिला पार्टनर पुरुष पार्टनर पर बलात्कार और अन्य धाराओं में प्रकरण तक दर्ज करवा देती है। इस तरह के सर्वाधिक मामले भोपाल सहित पूरे प्रदेश में सामने आ रहे हैं। इनमें से अधिकांश पुरुषों के खिलाफ बलात्कार के मामले दर्ज कराए गए हैं। ज्यादातर मामलों में शादी को लेकर विवाद मुख्य वजह बताई जाती है। इसी तरह से अधिकांश मामलों में देखा गया है कि मध्य प्रदेश अपराध पीड़ित प्रतिकार योजना के तहत महिलाएं पुनर्वास की राशि प्राप्त कर लेती हैं और बाद में अपने बयान बदल कर समझौता कर लेती हैं। इस दौरान तो कई बार महिलाएं आरोपी से भी गुपचुप सौदा तक कर लेती हैं। इसके बाद वे फिर से अपने लिव-इन पार्टनर के साथ रहने लगती हैं। भोपाल में पुरुषों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था  ने सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर बताया, कि अप्रैल 2020 से जून 2021 तक भोपाल में 51 मामलो में लगभग 90 लाख से ज्यादा का भुगतान महिलाओं को किया गया। 3 मामलों में सजा हुई और ज्यादातर मामलों में समझौता हो गया और फिर से दोनों साथ रहने लगे।

लिव इन रिलेशनशिप सदियों से चली आ रही रखैल व्यवस्था का आधुनिक स्वरूप है, जिसे बड़े ही आकर्षक ढंग से हमारे युवाओं के सामने प्रस्तुत किया जा रहा है।” ऐसी व्यवस्था में पुरुष द्वारा महिलाओं का भरपूर शारीरिक शोषण किया जाता है, लेकिन उन्हें किसी भी प्रकार का पारिवारिक दर्जा या सामाजिक दर्जा देने का कोई रिवाज नहीं है। हम हमेशा भारतीय संस्कृति और परंपराओं की दुहाई देकर लिव इन रिलेशनशिप को गैर परंपरावादी मानकर गलत कहते हैं, जबकि हमारा इतिहास इस बात का गवाह है कि महिलाओं को अपने अधीन रखना, उनका शोषण करना भारतीय पुरुषों का बहुत पुराना शौक है, जिसे परंपरा स्वरूप बेरोकटोक आज भी अपनाया जा रहा है।

करीबियों पर बलात्कार के आरोप अधिक

जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश में शादी का झांसा देकर बलात्कार के कुल मामलों में साल 2019 में 2485 केस सामने आए थे, जिसमें से शादी के नाम पर झांसा देकर मामलों की संख्या 1187 थी। 2020 में पूरे प्रदेश में बलात्कार के कुल मामले 2339 थे, जिसमें शादी के नाम पर झांसा देकर बलात्कार के कुल मामले 1042 थे। एनसीआरबी की एक रिपोर्ट के अनुसार बलात्कार के मामलों में अनजान लोगों पर मामले दर्ज होने की संख्या में कमी आई है। मध्यप्रदेश में 2020 में बलात्कार के सब मामलों में परिचितों द्वारा बलात्कार के मामले 98.6 फीसदी हैं। इसमें सबसे अधिक संख्या लिवइन रिलेशन में रहने वाले लोगों की है। दरअसल महिलाओं द्वारा पुरुषों पर दबाव बनाने के लिए इस तरह के मामले दर्ज कराए जाते हैं। इसका उदाहरण संजय नाम युवक है। वह दो बच्चों के पिता हैं। वे बीते 3 साल से एक महिला के साथ लिव इन रिलेशन में रह रहे थे। बाद में महिला ने उससे परिवार छोड़ने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। जब उसने बात नहीं मानी तो महिला ने उनके खिलाफ शादी का झांसा देकर बलात्कार करने का प्रकरण दर्ज करा दिया। इस मामले में संजय जब जेल से रिहा हो पाया जब उसने महिला की शर्त मान ली, जब कहीं जाकर महिला ने यह प्रकरण वापस लिया। अब दोनों साथ में रह रहे हैं।

10 लाख में किया समझौता

संस्था भाई के अध्यक्ष जाकिर के मुताबिक लिवइन रिलेशन में रहने वाले लोगों के कई सारे मामले उनके पास आ रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसे ही एक मामले में  एक युवक महिला के साथ लिवइन रिलेशन में रहता था। उस युवक ने महिला पर काफी पैसा खर्च किया। इस बीच उनमें खटपट हो गई, तो महिला ने पार्टनर के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया। गिरफ्तारी के बाद युवक को 90 दिन तक जेल में रहना पड़ा। बाद में महिला ने 10 लाख रुपए देकर समझौता किया। उनका कहना है कि प्रदेश में महिलाओं को सरकार के द्वारा काफी पैसा दिया जा रहा है। वे पूरे प्रदेश से इसकी जानकारी जुटा रहे हैं कि किस जिले में कितना पैसा ऐसे मामलों को दिया गया है। उसके बाद कोर्ट में इन मामलों का क्या हुआ। जाकिर ने बताया कि सरकार की योजना बहुत अच्छी है। पीड़ित महिला को आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए, लेकिन अधिकतर मामलों में यह देखा गया है कि उनमें समझौता हो जाता है और वह सरकार से भी पैसे ले लिए जाते हैं।

महिला का भविष्य अंधकारमय हो जाता है

हम इस बात को कतई नकार नहीं सकते कि लिव इन जैसे संबंधों के टूटने का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव महिलाओं पर पड़ता है। हमारा समाज एक ऐसी महिला को कभी सम्मान नहीं दे सकता जो विवाह पूर्व किसी पुरुष के साथ एक ही घर में रह चुकी हो। ऐसे हालातों में संबंध जब टूटता है तो उसका भविष्य अंधकारमय हो जाता है।

दासता की आदत पड़ी

महिलाओं को भी अब दासता की आदत पड़ चुकी है, इसलिए वह लिव इन को भी अपनी आजादी के रूप में बड़े शौक से स्वीकार कर लेती हैं. जबकि यह सीधे-सीधे पुरुषों को उनका दमन करने का एक अन्य मौका दे देता है। यह कहना कदापि गलत नहीं होगा कि महिलाओं का शोषण करने का ट्रेंड नए स्वरूप में एक बार फिर अपनी जड़ें जमा चुका है और अपनी आंखों पर आधुनिकता की पट्टी  बांधे हमारे मॉडर्न युवा इस बात को सोचना तो दूर, सुनना भी पसंद नहीं करतेे।

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