- बेचारा घायल तेंदुआं
बेचारा तेंदुआं...,
घायल क्या हुआ और वन विभाग के हत्थे क्या चढ़ा, उसकी तो फजीहत ही हो गई? बुरहानपुर से
पकड़कर यहां लाया गया और पिंजरे से कब उड़नछू हो गया, किसी को पता नहीं चला...। वैसे
अब पकड़ा गया तो तो खैर-खबर ली जाएगी।
सवाल अफसरों पर दागे
जा रहे हैं? वन विभाग के अफसरों ने एक-दूसरे के खिलाफ भौंहें तान ली थी..। एक कदम ये
बेचारा तेंदुआ चल नहीं सकता था, 6 दिन से भूखा था..., चिड़ियाघर से नवरतनबाग तक कैसे
पहुंच गया... (ढाई किलोमीटर चलकर या जिस गति से दौड़ने के लिए जाना जाता है... वैसा)
और न जाने-जाने जो-जो सवाल (कारतूस रूपी) मन में कौंध रहे थे, सब दाग दिए...। वो तो
पता नहीं कैसे नवरतन बाग नर्सरी के माली नत्थू काका बादाम की गिरी खाने का मन हुआ और
बाग में बादाम तोड़ने गए और इतने दिन से भूखा तेंदुआं इन पर लपका तो काका के साथ-साथ
वन विभाग के सारे इंदौरवासियों को पता चल गया कि घायल तेंदुआं यहां तक पहुंच गया है।
भिया ऐसे-ऐसे तुक्के
लगाए कि क्या बताएं...
-
तब
: जू के प्रभारी डॉ. उत्तम यादव का दावा :
पहले दिन से कह रहे थे कि तेंदुआं इंदौर आया ही नहीं। वनकर्मी खाली पिंजरा चिड़ियाघर
में छोड़ गए।
-
अब – वनकर्मी
पिंजरा नवरतन बाग ले गए थे। वहां से ही तेंदुआं भागा होगा और खाली पिंजरा चिड़ियाघर
में रख दिया। एक कदम वह चल नहीं सकता, क्योंकि घायल है, ढाई किमी कैसे चल सकता है।
-
रेस्क्यू
प्रभारी नेपानगर : रेस्क्यू प्रभारी दिनेश वास्कले, नेपानगर एसडीओ दिनेश यादव का दावा
किया है कि तेंदुआ शातिर व छिपने में माहिर होता है। चिड़ियाघर से ही भागा होगा...।
-
मुख्य
वन संरक्षक एसएस मोहंता कह रहे हैं कि जू से रेसीडेंसी कोठी लगी हुई, संभवत: तेंदुआं
वहां से गया है। हमारे यहां मिलना वाकई आश्चर्यजनक है।
मजेदार
बात तो यह भी....
-
जब तक
बेचारा यह घायल तेंदुआं नहीं पकड़ाया तब तक मादा के नाम प्रसिद्ध हो चुका था। अब जब
इस तेंदुएं को पकड़ा तो वह नर निकला... अफसरों ने फिर अपने-अपने तुक्के लगाए। मुख्य
वन संरक्षक एसएस मोहंता का कहना है कि हम सर्चिंग के दौरान जानवर की जांच नहीं करते।
वहीं, इंदौर के चिड़ियाघर प्रभारी डॉ. उत्तम यादव का कहना है कि हमें जो कागज सौंपे
गए हैं, उसमें मादा तेंदुए का जिक्र है और जो मंगलवार को पकड़ा गया वह नर तेंदुआ है।
Post a Comment