विचार प्रवाह साहित्य मंच का आयोजन 



जवाबदेही @ इंदौर

लघुकथा आज के दौर की सबसे लोकप्रिय विधा है। यह आम लोगों और साहित्य के बीच अब सेतु का काम कर रही है।  इस विधा को आसमान-सी ऊंचाई देने में इंदौर का बड़ा योगदान है। यह बात विचार प्रवाह साहित्य मंच इंदौर द्वारा आयोजित संगोष्ठी में उभरकर आई। संगोष्ठी का आयोजन गुरुवार शाम शासकीय श्री अहिल्या केंद्रीय पुस्तकालय में किया गया था। वरिष्ठ लघुकथाकार डाॅ. योगेंद्र नाथ शुक्ल की लघुकथा रचनाधर्मिता के बहाने लघुकथा की दशा और दिशा पर संगोष्ठी में चिंतन किया गया। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार हरेराम वाजपेयी ने कहा कि लघुकथा का जब भी इतिहास लिखा जाएगा तो उसमें इंदौर और यहां के लघुकथाकारों के योगदान को प्रमुखता से स्थान मिलेगा। इंदौर ने लघुकथा को धरती तो दी ही, आसमान-सी ऊंचाई भी दी है। डाॅक्टर योगेन्द्रनाथ शुक्ल सरीखे इंदौर के कई लघुकथाकारों ने देश ही नहीं,  विदेश में भी शहर का नाम रोशन किया है। वरिष्ठ कहानीकार प्रताप सिंह सोढ़ी ने कहा कि जीवन के एकांश का साक्षात्कार और किसी एक घटनाक्रम से निकली चिंगारी की तरह होती है लघुकथा।

वरिष्ठ लघुकथाकार डाॅक्टर योगेन्द्रनाथ शुक्ल ने कहा  कि आमजन और साहित्य के मध्य सेतु का जो काम अब तक कविता करती आई थी, वह आज लघुकथा कर रही है। नए लेखकों को अधीरता को त्याग कर, धैर्य रखते हुए अपनी अनुभूतियों को पकाना, तपाना चाहिए तभी लघुकथा विधा का भला हो पाएगा। विचार प्रवाह साहित्य मंच की अध्यक्ष सुषमा दुबे ने डाॅक्टर शुक्ल की कई लघुकथाओं का जिक्र करते हुए कहा लघुकथा के क्षेत्र में इंदौर का स्थान सर्वोपरि है। उन्होंने बताया विचार प्रवाह साहित्य मंच नवोदित लघुकथाकारों प्रोत्साहित करने के लिए लगातार गतिविधियां संचालित कर रहा है। 

  मंच के महासचिव देवेंद्रसिंह सिसौदिया, उपाध्यक्ष  विजयसिंह चौहान,  राधेश्याम यादव ने अतिथियों का स्वागत किया।  वाणी अमित जोशी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।  संचालन मंच के संयोजक मुकेश तिवारी ने किया। आभार सहसचिव रश्मि चौधरी ने माना। इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार  सूर्यकांत नागर,   प्रदीप नवीन,  संतोष मोहंती,  रामचंद्र अवस्थी,  सदाशिव कौतुक,  जीडी अग्रवाल,  प्रभु त्रिवेदी, डाॅक्टर सुनीता श्रीवास्तव,  विश्वास त्रिवेदी, डाॅक्टर विजया त्रिवेदी,  अनिल त्रिवेदी, डाॅ. प्रणव श्रोत्रिय,   मनीष व्यास,  अनिल ओझा,  मुकेश इंदौरी,  अनिल कुमार धड़वईवाले, शमित जोशी सहित अनेक साहित्य प्रेमी मौजूद थे।

 


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