ट्रैफिक समस्या से मिल सकती है राहत
रोटरी हटाने या छोटी करने से नहीं होगा समस्या का निदान
स्कीम नं. 140 को व्यवस्थित बसाया है
मुख्य मार्ग के चौराहों पर अंडरपास की दरकार
आने वाले समय में इंदौर में ट्रैफिक की समस्या और बढ़ेगी। इसे देखते हुए शहर में कई जगह अंडरपास बनाने की आवश्यकता है। इंदौर में कभी इस विषय पर सोचा नहीं गया। महाराष्ट्र के कई शहरों और दिल्ली में सड़कों का विस्तार कॉलोनियों में रह रहे रहवासियों की सुविधाओं और मेन रोड पर जाम न लगे इसे ध्यान में रखते हुए अंडरपास बनाए गए। इस दिशा में कभी भी इंदौर में सोचा ही नहीं गया। जब भी विकास को लेकर कोई योजना बनाई जाती है तो सबसे पहले ट्रैफिक का दबाव कम करने के लिए फ्लायओवर की ही बात की जाती है। गत 10-20 सालों में शहर में कई जगह चौड़ी सड़कों के लिए कई स्थायी मकानों दुकानों को तोड़ा गया और सड़कें चौड़ी हो गई, लेकिन ट्रैफिक की समस्या से निजात नहीं मिला।
वर्तमान में शहर के बाहरी हिस्से जो विकसित हो रहे हैं या जो हो चुके हैं, वहां धीरे-धीरे आबादी बढ़ती जा रही है और आने वाले समय में यहां ट्रैफिक की समस्या बीच शहर जैसी हो जाएगी। आपको बता दे कि स्कीम नं. 140 का इलाका कुछ सालों पहले विकसित हुआ है। इस रोड पर इतना ट्रैफिक नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे इस क्षेत्र में ट्रैफिक बढ़ रहा है। स्कीम नं. 140 की मेन रोड के दोनों ओर इंदौर विकास प्राधिकरण की कई कॉलोनियां विकसित हो चुकी है और हाईटेंशन लाइन के नीचे लंबी-चौड़ी सड़कें बन चुकी है, लेकिन फिर भी कई बार जाम की स्थिति बनती है।
इस मुख्य मार्ग पर कई चौराहे आ रहे हैं, जो इस रोड के आसपास की कॉलोनियों से जुड़ते हैं। जब रहवासी वाहनों से इन चौराहों पर पहुंचते हैं तो आपस में गुत्थमगुत्था हो जाते हैं। कुछ सालों बाद जब इस क्षेत्र में बसाहट बढ़ेगी तो स्वाभाविक है कि वाहनों की संख्या भी बढ़ेगी। इसलिए इस रोड पर जितने भी चौराहे आ रहे हैं, वहां अंडरपास बनाने की आवश्यकता है। इसका फायदा यह होगा कि रहवासियों को मेन रोड पर आना नहीं पड़ेगा और जिन्हें लेफ्ट जाना है वो लेफ्ट निकल जाएगा और जिन्हें राइट में जाना है वो राइट में वाहन मोड़ लेगा। इस विषय पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।
पांच साल बाद बिगड़ेंगे हालात
अगर वर्तमान में इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो आने वाले पांच सालों बाद हालात और बिगड़ेंगे...। वर्तमान में आरई-2 पर फोकस किया जा रहा है। इसके चलते लोगों से बेटरमेंट चार्ज वसूला जा रहा है। इस क्षेत्र में जहां भी आरई-2 को चौड़ा किया जा रहा है तो इस दौरान इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जहां भी जाम की समस्या आ रही है, वहां अंडरपास बना देना चाहिए। अगर अभी ध्यान नहीं दिया तो जब जाम की समस्या से लोग परेशान होंगे, तब सड़कें खोदी जाएगी और डबल खर्चा किया जाएगा। ऐसा पहले से ही होता आ रहा है। केबल डालने के लिए अच्छी-खासी सड़क की बलि ले ली जाती है। इसके बाद फिर उसे टुकड़े-टुकड़ों में बनाया जाता है। इसके बाद पानी की लाइन डालना है तो फिर सड़क को छलनी किया जाता है। ऐसा ही पैवर्स लगाने के दौरान होता है। एक तरफ से पैवर्स लगाना शुरू किया जाता है, तो दूसरी तरफ से उखाड़ना शुरू किया जाता है। पुराने पैवर्स पर रंगरोगन कर नया बनाकर फिर चिपका दिया जाता है। यही कारण है कि नगर निगम का खजाना खाली होता जा रहा है। लाखों-करोड़ों खर्चा करने के बाद सड़कों का बैलेंस भी बिगड़ जाता है।
इस सड़क पर नेताओं की नजर
स्कीम नं. 140 वाली मुख्य सड़क पर अभी से नेताओं की नजर पड़ गई है और कोई बड़ी बात नहीं है कि इन चौराहों पर भी किसी स्व. नेता के नाम की रोटरी बन जाए या फिर सौंदर्यीकरण के नाम पर गार्डन जैसी रोटरी बना दी जाए। ...और अगर लोगों की समस्या को अनदेखी कर नेताओं के मंसूबे कामयाब हो गए तो िफर जिस तरह के हालात बीच शहर में है वैसे ही हालात स्कीम नं. 140 में आपको दिखाई देंगे।
इन चौराहों पर अंडरपास ही विकल्प
मालवा मिल से लेकर पाटनीपुरा और भमोरी तक की समस्या लोगों के लिए नासूर बन चुकी है। इस सड़क पर यातायात सुचारू रूप से चले इसके लिए इन दोनों चौराहों पर अंडरपास की महती आवश्यकता है। ट्रैफिक विभाग, नगर निगम लाख कोशिश करें, रोटरी हटाए, छोटी करे इससे कुछ भी नहीं होने वाला। अगर इन दोनों जगह अंडरपास बन जाता है तो हमेशा की मुसीबत खत्म हो जाएगी।
नेता-अफसर चाहे तो सब हो सकता है...
परदेशीपुरा चौराहा : कलश की रोटरी देगी दिक्कत
इंदौर में कई ऐसे चौराहे हैं, िजन पर अक्सर जाम के हालात बनते हैं। कई ऐस चौराहे भी रहे हैं, जहां रोटरी बड़ी थी या किसी महापुरुष की प्रतिमा लगी थी, उसे ऐसी जगह लगाया गया, जहां से लोगों को वह आसानी से दिखाई दे। हम बात शुरू करते हैं महूनाका चौराहे से। इस चौराहे पर महाराणा प्रताप की घोड़े पर बैठी प्रतिमा चौराहे की शान थी। कहा गया कि इस चौराहे पर इस प्रतिमा की वजह से जाम लगता है तो महाराणा प्रताप की प्रतिमा को गार्डन बनाकर अन्यत्र स्थापित कर दिया। अब चौराहे पर यातायात बाधित नहीं होता।
पाटनीपुरा चौराहा: प्रतिमा को चौराहे के आसपास लगा सकते हैं
मालवा मिल चौराहे पर संत बालिनाथ महाराज की प्रतिमा लगाने के लिए कई सालों से समाजजन प्रयासरस थे। प्रतिमा बीच चौराहे पर लगा दी गई। कुछेक साल ही बीते होंगे कि इस प्रतिमा के कारण भी चौराहे पर जाम की समस्या नजर आने लगी। इसके बाद 15 दिन पहले इस प्रतिमा को हटाकर चौराहे के कोने पर सुरक्षित जगह स्थापित कर दिया गया। पाटनीपुरा चौराहे की हालत जस-की-तस है। यहां की रोटरी को भी हटाना अब जरूरी हो गया है। पाटनीपुरा चौराहे पर दो जगह ऐसी है, जहां प्रतिमा को स्थापित किया जा सकता है, जिससे समस्या हल होगी।
सुभाष नगर और परदेशीपुरा की रोटरी भी हटाना जरूरी
इसी क्षेत्र में अभी कुलकर्णी भट्टे का पुल बनकर तैयार हो रहा है। जैसे ही यह पुल बनेगा इस सड़क पर ट्रैफिक का दबाव अत्यधिक होगा और जब यह ट्रैफिक सुभाष नगर के चौराहे पर आएगा तो बीच चौराहे पर कमल के फुल वाली रोटरी ट्रैफिक के लिए बाधा बनेगी, जैसे-तैसे इस रोटरी से वाहन चालक का छुटकारा होगा तो आगे जाकर परदेशीपुरा पर कलश वाली रोटरी स्वागत करने के लिए तैयार रहेगी और जैसे ही इस इन दोनों चौराहों पर सिटी बस आई तो फिर वाहनों के पहिए भी थमेंगे ही। क्योंिक एक तरफ से कुलकर्णी के भट्टे से आने वाला ट्रैफिक और दूसरा मालवा मिल मुक्तिधाम के सामने से सुभाष नगर चौराहे की ओर जाने वाला ट्रैफिक भी इसी चौराहे पर आएगा...। इन्हीं हालातों को देखते हुए सुभाष नगर और पाटनीपुरा की रोटरी को हटाना भी बहुत जरूरी हो गया है। इन चौराहों के अलावा छावनी चौराहा, अनोप टॉकीज, लेंटर्न चौराहा पर भी अंडरपास की आवश्यकता है।
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