जगजीतसिंह भाटिया
प्रधान संपादक
शहर में लोगों को सड़क, लाइट, सुविधाघर जैसी मुलभूत सुविधाएं मिलती रहे, इसके लिए नगर निगम की जिम्मेदारी है। इसके बदले नगर निगम लोगों से टैक्स लेता है। आला अधिकारियों के मंसूबे भले ही नेक हो, लेकिन फील्ड में रहने वाले अफसर लापरवाही बरतते ही हैं। चाहे उन पर कितनी भी सख्ती करो, लेकिन गैर जिम्मेदाराना कार्य करना उनकी फितरत में शामिल हो गया है। गत दिनों विजय नगर क्षेत्र में दो पहिया वाहन का पहिया गड्ढे में उतर गया और चालक के पीछे बैठी युवती गिर पड़ी, जिससे उसकी मौत हो गई। वकीलों का कहना है कि इसके लिए नगर जान-माल की नुकसानी के लिए निगम जिम्मेदार है, और भरपाई नगर निगम से की जानी चाहिए और ये बात जायज भी है। वहीं, पुलिस प्रशासन का भी रवैया इस दौरान मानवीयता वाला होना चाहिए और पीड़ित पक्ष, जिनके परिवार का कोई सदस्य हताहत हुआ है तो उसके पक्ष में बात होनी चाहिए, लेकिन यहां भी पीड़ितों को न्याय की उम्मीद कम ही लगती है...। वहीं, शहर में समस्याएं हैं कि कम होने का नाम नहीं ले रही है। यातायात की समस्या कभी कम नहीं होने वाली दिखाई पड़ती है। अतिक्रमण सड़कों और फुटपाथों पर हो रहे हैं, जो नगर निगम और ट्रैफिक विभाग को दिखाई नहीं देते। मीडिया लगातार शहर की समस्याओं को फोटो सहित प्रकाशित कर रहा है, लेकिन नगर निगम और ट्रैफिक विभाग के गैर जिम्मेदार अफसरों की जुबान पर 100 रुपए रोज का जो चस्का लगा हुआ, उसी का परिणाम है कि शहर की समस्याओं का निपटारा मुश्किल होता जा रहा है। अगर समस्या का निपटारा कर दिया गया तो इन्हें हजारों रुपए रोज का नुकसान उठाना पड़ेगा। जनता का क्या? वह तो है ही समस्या से दो-चार होने के लिए। अभी गत दिनों जिला प्रशासन ने आदेश जारी किए कि शहर के फुटपाथों पर सामान बेचने वाले लाउड स्पीकर का उपयोग नहीं करेंगे। इसके लिए नगर निगम को जिम्मेदारी दी गई है कि वह लाउड स्पीकर बजाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें। लेकिन इसका असर हो ही नहीं रहा है। शाम होते ही बाजारों में इन ठेलेवालों द्वारा शोर मचाया जा रहा है और जिम्मेदार कुछ कर नहीं पा रहे।
Post a Comment