मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर है। यहां डेढ़ लाख से ज्यादा कर्मचारी ईएसआई के हितग्राही है, लेकिन उन्हें चिकित्सा सुविधा लेने इंदौर आना पड़ता है। पीथमपुर में अब तक ईएसआई अस्पताल ही नहीं बन पाया। कर्मचारी राज्य बीमा निगम वहां निजी बिल्डिंग लेकर भी अस्पताल शुरू कर सकता है, लेकिन इस तरह की कवायद नहीं हो रही है।
आश्चर्य की बात यह है कि पीथमपुर में अस्पताल के लिए इंडोरमा के पास आठ एकड़ जमीन मिल चुकी है। 100 बेड के अस्पताल के लिए बजट भी मंजूर है, लेकिन अस्पताल के पते नहीं। स्वास्थ्य सुविधा और के नाम पर पीथमपुर के डेढ़ लाख कर्मचारियों के वेतन से हर साल करीब 100 करोड़ रुपये की राशि कट रही है, लेकिन कर्मचारियों या उनके परिवार को बीमार होने पर कंपनी से छुट्टी लेकर इंदौर के कर्मचारी राज्य बीमा निगम के नंदानगर स्थित अस्पताल में आना पड़ता है।
तत्कालीन केंद्रीय श्रम मंत्री के. सुरेश ने वर्ष 2013 में अस्पताल के निर्माण की बात उठाई थी। इसके बाद वर्ष 2015 में अस्पताल का प्रोजेक्ट मंजूर हुआ, लेकिन 9 साल के बाद भी अस्पताल नहीं बन सका। वर्ष 2020 में अस्पताल के निर्माण के लिए 117 करोड़ रुपये मंजूर हुए, लेकिन अफसरों की दिलचस्पी यहां अस्पताल बनाने में नजर नहीं आ रही है। पीथमपुर में सबसे ज्यादा कर्मचारी है, लेकिन वहां कर्मचारी राज्य निगम ने सिर्फ डिस्पेंसरी खोल रखी है। वहां कर्मचारी जाते है तो उन्हें इंदौर के अस्पताल में इलाज के लिए जाने का कहा जाता है।
अक्टूबर माह में पीथमपुर में 100 बेड के अस्पताल के निर्माण का वर्चुअली शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। इसके बाद विभाग ने अस्पताल के निर्माण के लिए निविदाएं भी जारी की, लेकिन किसी ने निर्माण में रुचि नहीं दिखाई।
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