इंदौर क्राइम ब्रांच द्वारा ऑनलाइन ठगी के एक बड़े नेटवर्क का खुलासा किया गया, जिसमें आरोपियों ने डिजिटल धोखाधड़ी से करोड़ों रुपये की ठगी की। इंदौर निवासी 59 वर्षीय महिला ने एनसीआरपी पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई थी कि अज्ञात व्यक्तियों ने स्वयं को सरकारी अधिकारी (CBI, RBI, पुलिस) बताकर स्काइप और व्हाट्सएप के माध्यम से उनसे संपर्क किया। मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल जाने का डर दिखाकर उनकी निजी और बैंकिंग जानकारी प्राप्त की गई। इसके बाद बैंक अकाउंट, एफडी और शेयरों की जांच के बहाने महिला से 1.60 करोड़ रुपये की ठगी की गई। 

क्राइम ब्रांच इंदौर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष टीम गठित की और जांच शुरू की। पहले ही चरण में गुजरात और मध्यप्रदेश से प्रतीक जरीवाला, अभिषेक जरीवाला, चंद्रभान बंसल, राकेश कुमार बंसल, विवेक रंजन उर्फ पिंटू गिरी और अल्ताफ कुरैशी को गिरफ्तार किया गया। इनसे मिली जानकारी और तकनीकी जांच के आधार पर असम–बांग्लादेश बॉर्डर के कूच बेहर (पश्चिम बंगाल) में रहने वाले अभिषेक चक्रवर्ती को भी गिरफ्तार किया गया। 

अभिषेक ने पूछताछ में बताया कि वह एमजीएम कंप्यूटर क्लास का संचालक है और कोलकाता स्थित गैंग हेड के निर्देशों पर उसने फर्जी तरीके से बैंक ऑफ महाराष्ट्र में करेंट अकाउंट खोला था। ट्रांजैक्शन लिमिट बढ़ाने के लिए उसने अपने पिता के नाम पर एक फर्जी फर्म बनाकर बंधन बैंक में भी करेंट अकाउंट खुलवाया। गैंग के अन्य सदस्यों के साथ उसने देशभर में डिजिटल धोखाधड़ी की घटनाओं को अंजाम दिया। पुलिस को गुमराह करने के लिए उसने ट्रांजैक्शन पुणे से किए, जहां गैंग ने उसे फ्लाइट टिकट देकर भेजा था। पुणे में उसने होटल में पूरे सेटअप के तहत अन्य सदस्यों के साथ ठगी की राशि अपने खाते में ट्रांसफर की, जिसे बाद में अन्य खातों में स्थानांतरित कर दिया गया। 

ठगी के बाद आरोपी ने बैंक अकाउंट और मोबाइल सिमकार्ड बंद कर दिए ताकि पुलिस की नजरों से बच सके। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया है, और उससे पूछताछ जारी है। इस मामले में कई और खुलासे होने की संभावना है। इंदौर पुलिस वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर इस तरह के अपराधों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई कर रही है।

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