इंदौर मेें शनिवार को घर-घर गणपति पप्पा विराजे। परिवार उन्हें खुशी और हर्षोउल्लास के साथ घर लाए और मोदक, लड्डू का भोग व आरती कर उनकी स्थापना की। इंदौर मेें विजय नगर, पाटनीपुरा, राजवाड़ा, मालवा मिल, परदेशीपुरा, पाटनीपुरा, मूसाखेड़ी, तिलक नगर सहित कई स्थानों पर गणेश प्रतिमा व पूजन सामग्री की अस्थाई दुकानें लगी थी। उधर राजवाड़ा के दरबार हाॅल में होलकर राजवंश के गणेश विराजे।
शुक्रवार सुबह शुभ मुुर्हूत में गणेश प्रति जूनी इंदौर से होलकरी गणेश को पालकी में पारंपरिक अंदाज में लाया गया। राजपरिवार से जुड़े सदस्य व पूजारी पगड़ी व अंगरखा पहक कर गणेशजी को राजवाड़ा लाए और पूजन के बाद प्रतिमा दरबार हाॅल में स्थापित की गई। अब पांच दिनों के बाद इस प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा। इंदौर का खरगोनकर परिवार बीते ढाई सौ वर्षों से होलकर शैली के गणेश जी बनाते है। उनके हाथ के बनाए गणेशजी राजवाड़ा में विराजते है। इसके अलावा जमींदार परिवार भी बड़ा रावला में उनसे ही गणेशजी लेता है।
मूर्तीकार श्याम खरगोनकर बताते है कि उन्हें गणेश प्रतिमा बनाने की कला अपने पिता से मिली हैै। उनके पुरखे मोरपंत खरगोनकर देवी अहिल्या के राज दरबार के मूर्तिकार थे। तब से ही होलकर राजपरिवार की गणेश प्रतिमा बनाने का जिम्मा हमारा परिवार उठाता है। इस प्रतिमा को होलकर शैली की पगड़ी पहनाई जाती हैै। मूर्ति बनाने का काम बसंत पंचमी के दिन शुभ मुर्हूत मेें किया जाता हैै। प्रतिमा में पीली मिट्टी और प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल होता हैै।
गणेश उत्सव के पहले दिन इंदौर के आटोमोबाइल सेक्टर मेें भी धूूम रही। कई परिवारों ने दो व चार पहिया वाहन खरीदे। इंदौर में गणेश उत्सव के दस दिनों मेें तीन सौ करोड़ के व्यापार की उम्मीद है। कई लोगों ने वाहनों की बुकिंग कराई और सुबह वाहनों की डिलेवरी ली और नए वाहन का उपयोग गणेश प्रतिमा लाने के लिए किया।
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