इंदौर की एक महिला के शरीर से 23 सेमी 1.5 किलो का ट्यूमर निकालने का मामला सामने आया है। लाखों लोगों में से किसी एक को होने वाला ऐसा ट्यूमर है। दावा किया जा रहा है कि ये पेट के जिस हिस्से में ये ट्यूमर था, उस जगह इतना बड़ा ट्यूमर आज तक नहीं मिला है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 41 वर्षीय महिला मरीज मूलरूप से इंदौर की रहने वाली है। बीते कुछ दिनों से पेट दर्द की शिकायत लेकर डॉक्टरों के चक्कर काट रही थी। कई अस्पताल में इलाज के बाद भी उसे आराम नहीं मिला था। पिछले एक साल से पेट दर्द की परेशानी थी। वह कमजोर होती गई और खाना पीना कम हो गया। जब उसकी हालत बिगड़ी तो उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। सोनोग्राफी, एमआरआई, खून के साथ विभिन्न जांच की रिपोर्ट से पता चला कि मरीज के पेट में 21 बाय 19 बाय 12 सेंटीमीटर का ट्यूमर है, जो किडनी और मोटी खून की नस, जो सीधे दिल को रक्त की सप्लाई करती है, से चिपका हुआ है। करीब 3 घंटे तक ऑपरेशन चलने के बाद मरीज के पेट से बिना ब्लड लॉस 23 सेमी का ट्यूमर निकाला गया। मरीज की किडनी और मोटी खून की नस को भी फटने से बचा लिया गया। अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है।
रेयर केस, फ्री किया इलाज
डॉक्टर की मानें तो शरीर के इस हिस्से में एक प्रतिशत से भी कम मरीजों में इस तरह का ट्यूमर मिलता है। डॉ. अनिता इनानी माहेश्वरी ने बताया कि 24 वर्षों से सर्जरी के केस कर रही हूं, लेकिन इस तरह के जटिल ट्यूमर कम ही मिलते हैं। शरीर के इस हिस्से में अभी तक विश्व में 15 सेमी से कम और 700 से 800 ग्राम वजन तक के ट्यूमर मिला है। शरीर के इस हिस्से में 1 प्रतिशत से भी कम मरीजों में ब्रॅाड लिगामेंट फाइब्रॉएड ट्यूमर मिलता है। हमारी टीम ने विश्व में मिलने वाले सबसे दुर्लभ 23 सेमी और 1.5 किलो वजनी इस बेनाइन ट्यूमर का सफल निःशुल्क ऑपरेशन किया है। इस ट्यूमर से मरीज को जान का खतरा भी होता है। कई बार यह कैंसर के ट्यूमर में बदल सकता है। बड़ी आंत सहित शरीर के मुख्य अंगों के साथ किडनी, यूरेटर और दिल को खून सप्लाय करने वाली नसों से चिपका होने के कारण नस फटने का जोखिम अधिक रहता है। इन स्थितियों में ये सर्जरी करना काफी जटिल होता है। इस जटिल आपरेशन में डॉ. प्रियंका राठौर, डॉ. गौरव सक्सेना, यूरोलॅाजिस्ट डॉ. निलेश गुरु पीजी डॉ. उर्विजा, डॉ. अश्विनी, डॉ. शिल्पी सहित एनेस्थिसिया की टीम शामिल थी।
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