नई दिल्ली | रूस-यूक्रेन युद्ध को आज यानी कि 24 फरवरी को दो साल पूरे हो गए हैं, लेकिन अब भी यह संघर्ष पूरी तरह से थमा नहीं है. यूक्रेन में साटेलाइट से ली गई तस्वीरों में युद्धग्रस्त क्षेत्र और लगातार बमबारी की वजह से हुई तबाही के निशान देखे जा सकते हैं. दनों देशों के बीच बातचीत का रास्ता भी नजर नहीं आ रहा है. साल 2022 में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ था.
हालही में सामने आईं पुतिन की टिप्पणियों से ये तो साफ है कि मॉस्को कोई भी बातचीत अपनी शर्तों पर ही करना चाहता है, जिसकी वजह से समझौते की गुंजाइश बहुत ही कम है. व्लादिमीर पुतिन की सेना ने यूक्रेन में युद्धग्रस्त अवदीवका के इंडस्ट्रियल सेंटर पर कब्जा कर लिया, जो ईस्ट से 30 किलोमीटर (20 मील) की दूरी पर था. अवदीवका के आसपास, खासकर प्रोग्रेस गांव के पास, यूक्रेनी सैनिक सक्रिय रूप से नई रक्षात्मक लाइनें बना रहे हैं. ये फॉर्टिफाइड स्थितियां यूक्रेनी सुरक्षा में सेंध लगाने की कोशिश करने वाली रूसी सेनाओं के लिए नई बाधा बनेंगी.
विश्लेषक और राजनयिक इस बात से सहमत हैं कि 2024 का साल भी संघर्षभरा रहेगा. इस दौरान यूक्रेन रूस द्वारा कब्जाए गए अपने इलाकों को फिर से वापस लेने के दृढ़ संकल्प के साथ पुतिन की कीव के बिना शर्त आत्मसमर्पण की मांग से टकराएगा. क्रेमलिन-लिंक्ड काउंसिल ऑन फॉरेन एंड डिफेंस पॉलिसी थिंक टैंक के प्रमुख फ्योडोर लुक्यानोव ने दोनों देशों के बीच भविष्य में बातचीत की संभावना को खारिज करते हुए कहा कि मॉस्को और कीव के बीच बातचीत करने के लिए कुछ भी नहीं है. जबकि आक्रमण के पहले साल में यूक्रेन ने रूस को बुरी तरह से खदेड़ दिया था, लेकिन अब कीव कमजोर पड़ता दिख रहा है. यूक्रेनी सैनिकों की थकावट, अमेरिका से सैन्य सहायता में देरी और कीव के भीतर राजनीतिक तनाव से चिंताएं बढ़ गई हैं.
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