सर्वोच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय किसी को गिरफ्तार करता है तो उसके लिए अनिवार्य है कि वो लिखित में आरोपी को इसकी वजह बताए। पंजाब एंड हरियाणा कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील में शीर्ष कोर्ट ने ये बात कही। कोर्ट का कहना था कि कानून कहता है कि आप उस शख्स को गिरफ्तार करने की वजह लिखित में बताए जिसे आप अपने शिकंजे में लेना चाहते हैं।
ये फैसला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ
अपील पर सामने आया। सर्वोच्च न्यायालय की बेंच M3M रियल इस्टेट ग्रुप के पंकज बंसल
और बसंत बंसल की शिकायत पर सुनवाई कर रही थी। दोनों ने हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ
गुहार लगाई थी जिसमें उन दोनों की गिरफ्तारी को रोकने से इनकार कर दिया गया था।
ईडी मनी लांड्रिंग के आरोप के तहत कर रही थी जांच
दोनों के खिलाफ ईडी मनी लांड्रिंग के आरोप के तहत जांच कर रही थी। ईडी ने दोनों को गिरफ्तार करने की कवायद शुरू कर दी थी। अरेस्ट को रुकवाने के लिए ही दोनों ने हाईकोर्ट का रुख किया था। लेकिन वहां से ना होने के बाद दोनों ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया।
अगर ईडी किसी को बगैर कारण बताए गिरफ्तार करती है तो
ये गैरकानूनी माना जाएगा। उनका कहना था कि घटना का क्रम इशारा कर रहा है कि ईडी का
कृत्य नेगेटिव नहीं तो गलत जरूर था।
बेंच का कहना था कि केवल आरोपी को पढ़कर उसकी गिरफ्तारी
का कारण बताना संविधान के आर्टिकल 22 (1) और PMLA के सेक्शन 19 (1) के अनुरूप नहीं
है। पारदर्शी तरीके से काम के लिए जरूरी है कि आरोपियों को गिरफ्तारी का कारण लिखित
में दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि ईडी का काम जांच के बाद तथ्यों के आधार पर अगली कार्रवाई
करना है। ना कि मनमाने तरीके से अपना काम करना।
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