इंदौर। केंद्र सरकार ने गुरुवार को देशभर में जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनलों की स्थापना की अधिसूचना जारी कर दी। अधिसूचना जारी होने के साथ मप्र की उम्मीदों को झटका लगा और इंदौर ठगा महसूस कर रहा है। मप्र में सिर्फ एक जीएसटी ट्रिब्यूनल बेंच भोपाल में गठित करने का आदेश दिया गया है। गुजरात, गोआ, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और केरल जैसे तमाम राज्यों में एक से ज्यादा शहरों में जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल की बेंच होगी। मध्य प्रदेश में इंदौर में बेंच को मंजूूरी नहीं दी गई।
मप्र की जीएसटी
अपीलेट ट्रिब्यूनल को इंदौर में गठित करने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। इसके
लिए ठोस वजह भी बताई जा रही है कि इंदौर मप्र की न केवल व्यवसायिक राजधानी के तौर पर
मशहूर है बल्कि यहीं पर सबसे ज्यादा संख्या में और बड़े करदाता पंजीकृत है। कर सलाहकारों
व चार्टर्ड अकाउंटेंट के संगठनों ने केंद्र व राज्य के जीएसटी आयुक्तों को लगातार ज्ञापन
सौंपकर इंदौर में जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल की बेंच बनाने की मांग की थी।
और तो और सांसद
शंकर लालवानी ने इस बारे में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी। सांसद
ने दावा किया था कि केंद्रीय मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया है कि बेंच इंदौर में बनेगी।
हालांकि इसके बावजूद अब जब नोटिफिकेशन जारी किया जो मप्र व इंदौर के साथ सौतेला व्यवहार
नजर आ रहा है।
इंदौर सौतेला
ट्रिब्यूनल की सूची पर नजर डाले तो साफ हो जाएगा कि केंद्र ने इंदौर व मध्य प्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार किया है। आंध्र प्रदेश में ट्रिब्यूनल विशाखापट्टनम और विजयवाड़ा में होगी। छत्तीसगढ़ के लिए रायपुर और बिलासपुर। गुजरात में अहमदाबाद, सूरत और राजकोट तीनों शहरों में बेंच होगी। हरियाणा की बेंच गुरुग्राम और हिसार में। केरल की एर्नाकुलम और त्रिवेंद्रम, महाराष्ट्र की बेंच मुंबई, पुणे, ठाणे, नागपुर और ओरंगाबाद में होगी। उप्र की बेंच लखनऊ, वाराणसी, गाजियाबाद, आगरा और प्रयागराज में स्थापित होगी।
हैरानी की बात है कि अन्य तमाम प्रदेशों में जरुरत को देखते हुए एक से ज्यादा जगह बेंच स्थापित की जा रही है। इसके बावजूद इंदौर के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है। जबकि शहर में एकजुट होकर मांग की थी। टैक्स प्रेक्टिशनर्स एसोसिएशन के सचिव सीए मनोजपी गुप्ता के अनुसार, केंद्र का यह रवैया हैरान कर रहा है। जबकि इंदौर में बेंच की मांग करदाताओं की सुविधा और इंदौर से मिल रहे राजस्व को देखते हुए ही की गई थी।
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