दो राज्यों की पुलिस... एक नदी... एक कुआं और एक महिला नेता। महाराष्ट्र के नागपुर से लेकर मध्य प्रदेश के जबलपुर तक इस वक्त की सबसे बड़ी पहेली यही है। हालांकि पहेली भी बेहद अजीब है। अजीब इसलिए कि कातिल कहता है कि उसने महिला नेता को मार डाला। कातिल ये भी बताता है कि कत्ल के बाद उसने लाश जबलपुर की हिरन नदी में फेंक दी थी। लेकिन कातिल के इकरार-ए-जुर्म के बाद लाश निकलती है एक कुएं से। अब सवाल ये है कि जबलपुर की उफनती हिरन नदी से लाश तैरती बहती दूर सिवनी के एक खेत के बीचो बीच कुएं तक कैसे पहुंची? जबकि नदी का रुख ना तो उस खेत की तरफ है। ना कुएं की तरफ।
सिसायत में
था सना का रसूख
इस पहेली को
सुलझाने के लिए इस पूरी कहानी को सुनना और समझना जरूरी है। ये कहानी है सना खान की।
उम्र होगी यही कोई 35-36 साल। सना महाराषट्र के नागपुर शहर के एक कारोबारी की बेटी
थी। सना की मां महरुंनिसा नागपुर में कांग्रेस की कार्यकर्ता और सोशल वर्कर हैं। मां
की देखादेखी सना भी राजनीति में दिलचस्पी लेने लगी थी। उसने बीजेपी ज्वाइन कर ली थी।
देखते ही देखते वो शहर की एक अच्छी खासी नेता बन चुकी थी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी
भी नागपुर शहर से आते हैं। सना की गडकरी से भी अच्छी जान-पहचान थी। राजनीति में सना
की ठीक ठाक पैठ को देखते हुए पार्टी ने उसे नागपुर की भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा
का महामंत्री बना दिया था।
कहानी में नए
किरदार की एंट्री
अब तक सबकुछ
ठीक चल रहा था। सना तेजी से राजनीति में आगे बढ रही थी। लेकिन फिर तभी दो अगस्त की
सुबह सना के तीनों मोबाइल एक साथ बंद हो जाते हैं और बस यहीं से एक नई कहानी की शुरुआत
होती है। और इस कहानी में एक नए किरदार की एंट्री होती है।
बंद आ रहे थे
सना के तीनों मोबाइल
सना एक अगस्त
को दिन में नागपुर से जबलपुर के लिए निकलती है। घर में अपनी मां को जबलपुर जाने की
जानकारी वो दे चुकी थी। जबलपुर में सना का एक दोस्त रहता था। नाम था अमित साहू। अमित
साहू जबलपुर में एक ढाबे का मालिक था। 2 अगस्त की सुबह सना की मां ने सना को फोन किया।
फोन बंद था। सना हमेशा अपने साथ 3 मोबाइल रखती थी। हैरतअंगेज तौर पर उसके तीनों मोबाइल
बंद थे। ऐसा इससे पहले कभी नहीं हुआ था।
जबलपुर पुलिस
ने नहीं लिखी थी FIR
पूरा दिन बीत
जाता है। सना से कोई संपर्क नहीं हो पाता। 3 अगस्त को भी जब सना का मोबाइल बंद रहता
है। घबराए घरवाले अब जबलपुर पहुंचते हैं। वो अमित से मिलते हैं। लेकिन अमित यही बताता
है कि सना आई तो थी लेकिन 2 अगस्त को ही लौट गई थी। ये सुनने के बाद घरवाले जबलपुर
पुलिस में सना की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने जाते हैं। लेकिन जबलपुर पुलिस रिपोर्ट
लिखने की बजाय सना के घरवालों को ये कहकर टरका देती है कि मामला नागपुर पुलिस का बनता
है।
सना के दोस्त
अमित साहू से पूछताछ
जबलपुर पुलिस
से मायूस परिवार वापस नागपुर पहुंचता है। नागपुर पुलिस में सना की गुमशुदगी की रिपोर्ट
लिखाता है। चूंकि सना शहर की बीजेपी की एक उभरती हुई नेता थी। लिहाजा पुलिस भी फौरन
हरकत में आती है। नागपुर पुलिस की एक टीम अब जबलपुर पहुंचती है। लेकिन तमाम कोशिशों
के बावजूद सना का कोई सुराग नहीं मिलता। अब तक कई दिन बीत चुके थे। नागपुर पुलिस अमित
साहू से भी पूछताछ कर चुकी थी पर कोई फायदा नहीं।
ऐसे पुलिस के
रडार पर आया अमित साहू
अब नागपुर पुलिस
तय करती है कि वो अमित साहू के बयान का क्रॉस चेक करेगी। इसी सिलसिले में पुलिस अब
अमति साहू के घर और ढाबे के इर्द गिर्द लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगालने का फैसला करती
है। पहली कामयाबी हाथ लगती है। अमित साहू के बयान के उलट सना खान 1 और 2 अगस्त को अमित
के इसी घर में आती दिखाई देती है। लेकिन वो घर से जाती दिखाई नहीं देती। यहीं पुलिस
को अमित पर पहला शक होता है। अब पुलिस अमित के कॉल डीटेल रिकॉर्ड यानी सीडीआर को खंगालती
है। पता चलता है कि दोनों महीनों से एक-दूसरे के संपर्क में थे।
अमित के ढाबे
से मिला सुराग
उधर, अमित को
भी पुलिस की इस जांच की भनक लग चुकी थी। अब अमित अचानक गायब हो जाता है। अब नागपुर
पुलिस के साथ-साथ जबलपुर पुलिस घबरा उठती है। सना पहले ही से गायब थी अब अमित भी गायब।
कहीं दोनों की गुमशुदगी की वजह एक तो नहीं। अब अमित के सुराग की तलाश में पुलिस अमित
साहू के ढाबे पर पहुंचती है। सना की तलाश को अब लगभग हफ्ता हो चुका था। तभी ढाबे के
एक मुलाजिम ने पुलिस को एक ऐसी बात बताई।। जिसने पूरी कहानी का रूख ही मोड़ दिया।
कार की डिग्गी
में मौजूद थे खून के निशान
ढाबे के मुलाजिम
ने पुलिस को बताया कि अमित साहू 2 अगस्त की देर शाम अपनी कार में ढाबे पर आए थे। इसके
बाद अमित साहू ने उसी मुलाजिम से कहा कि कार की डिग्गी को अच्छे से धो दे। वो कर्मचारी
जब डिग्गी को धोने लगा तभी उसकी नजर डिग्गी के अंदर खून के कुछ छींटों पर पड़ी। उसने
अमित से पूछा ये क्या है? अमित ने उसे झिड़क दिया और कहा कि बस गाड़ी साफ कर दे। इसके
बाद अमित अपनी कार लेकर वहां से चला गया था।
क्या था सना
के कत्ल का राज
तो क्या गुमशुदा
सना खान का कत्ल हो चुका है? क्या अमित ने ही सना को मार डाला? लेकिन क्यों।।आखिर दोनों
दोस्त थे। अब पुलिस ने अपनी तफ्तीश की लाइन सना और अमित के रिश्तों की तरफ घुमा दी।
सना के घरवालों से अमित के बारे में पूछा। तब सना की मां ने एक कहानी सुनाई। जिसे लेकर
वो अब तक खामोश थी। सना की मां के मुताबिक करीब साल भर पहले सना और अमित की दोस्ती
हुई थी। दोस्ती प्यार में बदली। इसके बाद करीब 6 महीने पहले सना और अमित ने कोर्ट मैरिज
कर ली थी। दोनों की शादी का सर्टिफिकेट भी उनके पास है। तो सना की मां और इस मैरिज
सर्टिफिकेट के हिसाब से सना और अमित पति-पत्नी थे। तो फिर अमित ने अपनी उस पत्नी का
कत्ल क्यों किया होगा? जिससे सिर्फ 6 महीने पहले उसने कोर्ट में शादी की थी।
सना ने अमित
को दिए थे 50 लाख रुपये
इस सवाल का
जवाब भी सना की मां महरूंनिसा ने दिया। इस जवाब के हिसाब से अमित जबलपुर में ही एक
होटल खोलने जा रहा था। ढाबा चलाने का तजुर्बा उसे पहले से था ये बात सना को भी मालूम
थी। इसलिए सना ने इस होटल में अमित के साथ पार्टनरशिप करने का फैसला किया। सना ने अमित
को 50 लाख रुपये दिये थे। वो भी घरवालों को बिना बताए। पैसे देने के बाद से ही कई ऐसी
चीजें हुई जिससे जल्द ही अमित और सना के रिश्ते खराब होने शुरु हो गए थे।
अमित से पैसे
वापस लेने जबलपुर गई थी सना
उधर, अमित के
होटल का काम अब तक शुरु नहीं हुआ था। सना अब अमित से अपने पैसे वापस मांगने लगी। एक
रोज जब वो फोन पर पैसे की बात कर रही थी तब सना की मां ने ये बातचीत सुन ली। जब उन्हें
पता चला कि सना ने अमित को 50 लाख रुपये दिये तो उन्होंने कहा कि वो अमित से पैसे वापस
मांगले। इसी के बाद 1 अगस्त को अमित से अपने पैसे वापस लेने के लिए सना नागपुर से जबलपुर
जाती है वो भी अकेले। लेकिन जबलपुर जाते ही वो गायब हो जाती है।
ऐसे पकड़ा गया
अमित साहू
अब पुलिस के
सामने कुछ-कुछ तस्वीर साफ होने लगी थी। बस इंतजार था अमित के हाथ आने का। पुलिस ने
अमित के करीबी रिश्तेदारों और दोस्तों के फोन नंबर सर्विलांस पर लगा दिए थे। तरकीब
काम कर गई। 11 अगस्त को अमित ने अपने एक रिश्तेदार को फोन किया। ये फोन पुलिस भी सुन
रही थी। इस फोन के जरिए अमित की लोकेशन फौरन पता चल गया। तुरंत नागपुर और जबलपुर की
एक पुलिस टीम उस लोकेशन पर पहुंची और अमित को दबोच लिया।
हिरन नदी में
सना की तलाश
अब आगे की कहानी
अमित को सुनानी थी। सना की गुमशुदगी से लेकर कार की डिग्गी में खून के छींटों तक की
पहेली अब वही सुलझा सकता था। उसने बोलना शुरु किया। पहेली सुलझनी शुरु हुई लेकिन पहेली
खत्म नहीं हुई थी। अमित साहू ने जैसे ही अपना मुंह खोला, फौरन पुलिस की एक टीम जबलपुर
की मशहूर हिरन नदी पर जा पहुंची। टीम में कुछ गोताखोर और कुछ पुलिसवाले थे। ये सभी
मिलकर उस गुमशुदा सना खान को वहां ढूंढ़ रहे थे, जो 2 अगस्त से गायब थी। अब सवाल ये
था कि सना उस हिरन नदी तक कैसे पहुंची?
अमित ने दोस्तों
के साथ मिलकर नदी में फेंकी थी लाश
बकौल अमित ये
सच है कि उसने और सना ने शादी की, सना ने उसे 50 लाख रुपये भी दिए थे। लेकिन किसी वजह
से होटल का काम शुरू नहीं हो सका था। बाद में सना उससे अपने पैसे वापस मांगने लगी।
इस बात को लेकर दोनों में अक्सर झगड़ा हुआ करता था। 2 अगस्त को सना जबलपुर में उसके
घर आई थी। पैसों को लेकर दोनों में फिर झगड़ा हुआ। इसी झगड़े के दौरान अमित ने सना
के सिर पर डंडा दे मारा। जिससे सना की मौत हो गई।
इसके बाद अमित
अपने दो दोस्तों को सना की मौत की खबर दी। फिर दोनों दोस्तों के साथ मिलकर लाश को अपनी
कार की डिक्की में रखा। इसके बाद वो कार हिरन नदी की तरफ ले जाता है। हिरन नदी उसके
घर से लगभग 45 किमी दूर थी। इत्तेफाक से 2 अगस्त को सुबह से ही मूसलाधार बारिश हो रही
थी। ये वही वक़्त था जब हिमाचल और पंजाब में बाढ़ आई हुई थी। हिरन नदी उफान पर थी।
पानी का बहाव बेहद तेज था। सना की लाश नदी में फेंककर तीनों लौट जाते हैं।
सना की लाश
मिलना मुश्किल
अमित के इस
बयान के बाद ही पुलिस गोताखोरों के साथ हिरन नदी पहुंची। लेकिन कई दिनों की तलाशी के
बावजूद सना की लाश नहीं मिली। अगस्त के पहले हफ्ते में हिरन नदी में पानी के बहाव को
देखते हुए अब खुद पुलिस का मानना है कि लाश मिलने की उम्मीद बहुत कम है। उधर, सना की
गुमशुदगी के बाद से ही उसके भाई मोहसिन को भी इस बात का अंदेशा था कि सना का कत्ल हो
चुका है।
हरदा जिले के
कुएं में मिली थी महिला की लाश
अब इत्तेफाक
से 9 अगस्त को जबलपुर के करीब ही हरदा जिले में एक खेत में मौजूद कुएं से एक लाश मिली।
लाश एक लड़की की थी। लाश को हरदा जिला अस्पताल के मुर्दाघर में रखवा दिया जाता है।
उधर, हरदा पुलिस को भी सना की कहानी मालूम थी। हरदा पुलिस जबलपुर पुलिस को इस लावारिस
लाश की जानकारी देती है। जबलपुर पुलिस मुर्दाघर पहुंचती है। इसके बाद सना के भाई मोहसिन
को भी मुर्दाघर बुलाया जाता है। ताकि वो लाश की शिनाख्त कर सके। लेकिन मोहसिन लाश देखते
ही साफ इनकार कर देता है। उसका कहना था कि ये सना नहीं हो सकती।
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