श्रीनगर। बाबा अमरनाथ की यात्रा आज 31 अगस्त को छड़ी मुबारक के दर्शन के साथ समाप्त होगी। छड़ी मुबारक भगवा कपड़े में लिपटी भगवान शिव की पवित्र छड़ी है। जो 26 अगस्त को श्रीनगर के एक अखाड़े से बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए निकली थी। महात्माओं और साधु संतों के साथ 30 अगस्त को वो शेषनाग से पंजतरणी के लिए रवाना हुई थी। आज वो पवित्र गुफा पहुंचेगी और पूजा-अर्जना करके दर्शन करेगी। महंत दीपेंद्र गिरि के नेतृत्व में उगते सूरज के साथ उसकी पवित्र गुफा में स्थापना की जाएगी।
इसके बाद उसे
वापस श्रीनगर स्थित अखाड़े में ले जाया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल
पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए हैं।
यात्रा संपन्न होने के बाद दोनों रास्तों पर सफाई अभियान चलेगा
रिपोर्ट के मुताबिक, अमरनाथ यात्रा संपन्न होने के बाद इसके दोनों रास्तों पर सफाई का अभियान चलेगा। अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के सदस्य और स्थानीय लोग रास्तों को साफ करेंगे। बाबा बर्फानी की गुफा तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। पहला पहलगाम, ये पारंपरिक रास्ता है, जिसकी चढ़ाई आसान है। करीब 47 किमी के इस रास्ते को तय करने में 2-3 तीन दिन लग जाते हैं।
दूसरा रास्ता है वाया बालटाल। ये नया ट्रैकिंग रूट है, जो 14 किमी यानी पहलगाम के मुकाबले आधे से भी कम है। इसकी चढ़ाई एक दिन में की जा सकती है।
पिछले साल दर्शन
करने आए श्रद्धालुओं का रिकॉर्ड 6 अगस्त को टूटा था
इस साल 1 जुलाई
को शुरू हुई अमरनाथ यात्रा ने 37 दिन बाद 6 अगस्त को पिछले साल दर्शन करने आए श्रद्धालुओं
का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस तारीख तक लगभग 4 लाख 17 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन
किए थे। जबकि पिछले साल पूरे सीजन में 3 लाख 65 हजार यात्रियों ने बाबा बर्फानी के
दर्शन किए थे।
क्या है अमरनाथ
धाम और उसका महत्व?
अमरनाथ धाम
जम्मू-कश्मीर में हिमालय की गोद में स्थित एक पवित्र गुफा है, जो हिंदुओं का सबसे पवित्र
स्थल है। माना जाता है कि अमरनाथ स्थित पवित्र गुफा में भगवान शिव एक बर्फ-लिंगम यानी
बर्फ के शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। बर्फ से शिवलिंग बनने की वजह से इसे 'बाबा
बर्फानी' भी कहते हैं।
पवित्र गुफा ग्लेशियरों, बर्फीले
पहाड़ों से घिरी हुई है। गर्मियों के कुछ दिनों को छोड़कर यह गुफा साल के अधिकांश समय
बर्फ से ढकी रहती है। गर्मियों के उन्हीं दिनों में यह दर्शन के लिए खुली रहती है।
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