भोपाल। मध्यप्रदेश में मानसून मेहरबान है। प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में बारिश का दौर जारी है। रविवार को 26 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट भी जारी किया है। उधर मौसम वैज्ञानिक बता रहे हैं कि एक-दो दिन बाद मानसून की गति थोड़ी धीमी रहेगी, 15 जुलाई से फिर प्रदेश में तेज बारिश का दौर शुरू हो सकता है। हालांकि अगले 48 घंटों में कई इलाकों में तेज बारिश के आसार हैं।

मौसम केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक बीते 24 घंटों के दौरान प्रदेश के जबलपुर, शहडोल, सागर, उज्जैन, चंबल व ग्वालियर संभागों के जिलों में अधिकांश स्थानों पर, इंदौर, नर्मदापुरम व उज्जैन संभाग के जिलों में अनेक स्थानों पर तथा भोपाल संभाग के जिलों में कुछ स्थानों पर वर्षा हुई। इस दौरान वेंकटनगर, सुवासरा में 120, कायमपुर में 110, अमरकंटक में 10, पनागर, जयसिंहनगर, करंजिया, जावरा में 90 मिलीमीटर तक पानी गिरा है।

अगले कुछ घंटों के लिए मौसम विभाग का पूर्वानुमान कहता है कि रीवा, शहडोल, जबलपुर, सागर, नर्मदापुरम, चंबल एवं उज्जैन संभाग के जिलों में अनेक स्थानों पर वर्षा या गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं। विभाग की चेतावनी कहती है कि अनूपपुर, रतलाम, मंदसौर जिलों में कहीं-कहीं भारी बारिश की संभावना है। वहीं उमरिया, शहडोल, डिंडौरी, सतना, कटनी, जबलपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, मंडला, बालाघाट, पन्ना, दमोह, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, बैतूल, उज्जैन, आगर, नीमच, गुना, अशोकनगर, शिवपुरी जिलों में भारी बारिश हो सकती है।

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार मानसून द्रोणिका वर्तमान में जैसलमेर, कोटा, शिवपुरी, सीधी, बालसोर से होते हुए बंगाल की खाड़ी तक जा रही है। गुजरात और उससे लगे अरब सागर पर हवा के ऊपरी भाग में बना चक्रवात अब और ऊर्जावान होकर दक्षिण-पश्चिम राजस्थान पर सक्रिय हो गया है। राजस्थान पर ही एक पश्चिमी विक्षोभ भी बना हुआ है। इसके अतिरिक्त गुजरात के तट से लेकर केरल के तट तक एक अपतटीय द्रोणिका भी बनी हुई है।  बंगाल की खाड़ी और उसके आसपास अभी कोई प्रभावी मौसम प्रणाली सक्रिय नहीं है। मानसून द्रोणिका के भी ऊपर की तरफ खिसकने के आसार हैं। इस वजह से प्रदेश में फिलहाल मानसून की गतिविधियों में कमी आने लगेगी। हालांकि राजस्थान पर बने चक्रवात के कारण कुछ नमी मिलते रहने के कारण कहीं-कहीं बौछारें पड़ सकती हैं, लेकिन भारी वर्षा की उम्मीद फिलहाल नहीं है। 14 जुलाई को बंगाल की खाड़ी में एक चक्रवात बनने के संकेत मिले हैं। उसके प्रभाव से 15 जुलाई से प्रदेश में एक बार फिर रुक-रुककर वर्षा का दौर शुरू हो सकता है।

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