इंदौर। इंटरनेशनल टाइगर डे पर आज बात शहर के प्राणी संग्रहालय की। यहां 2021 में 9 टाइगर थे यह संख्या 2022 में बढ़कर 14 हो गई थी। लेकिन अब साल 2023 में एक बार फिर इनकी संख्या 8 रह गई है। टाइगर की संख्या कम होने का कारण ऐनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम है। इस प्रोग्राम के तहत जनवरी 2023 में इंदौर से 6 टाइगर को मुकेश अंबानी के गुजरात के जामनगर में बनाए गए ग्रीन जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहेबिलिटेशन सेंटर पार्क भेजा गया है।

इंदौर कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय में मौजूद 8 टाइगर में से 4 बड़े टाइगर और 4 शावक हैं। खास बात यह है कि यहां व्हाइट, यलो और ब्लैक तीनों ही रंग के टाइगर हैं। चिड़ियाघर प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार चिड़ियाघर प्रबंधन प्रति टाइगर पर 4 लाख रुपए सालाना खर्च करता है, इसमें उनकी डाइट और मेडिकल ट्रिटमैंट शामिल हैं।

जू क्यूरेटर निहार पारूलेकर के अनुसार चिड़ियाघर में मौजूद 8 में से 6 टाइगर ने यहीं जन्म लिया है। इन सभी पर लगभग 30 से 32 लाख रुपए सालाना खर्च किया जा रहा है। वहीं 8 टाइगर में से 3 को अलग-अलग संस्था ने गोद ले रखा है। 2 टाइगर नव और पेहर को पाथ संस्था ने तो वहीं शूरी को पोस्टल विभाग ने गोद लिया हुआ है।

8 टाइगर में सबसे बड़ी रागिनी

इंदौर चिड़ियाघर में मौजूद 8 टाइगर में से सबसे बड़ी मादा टाइगर रागिनी है। रागिनी की उम्र 11 साल है। वहीं इसके बाद विक्की और नव है जिनकी उम्र 6 और 5 साल है। वहीं जमना की उम्र 4.5 साल है। 4 बड़े टाइगर के अलावा चिड़ियाघर में 4 शावक हैं, जिसमें से पेहर और नव 7 माह के हैं। जबकि शूरी 4 माह का है। एक अन्य शावक भी 4 माह का है, जिसका नामकरण अभी बाकी है।

भारत के पहले मैलेस्टिक टाइगर सहित देश का तीन रंग वाला टाइगर भी इंदौर में मौजूद

इंदौर चिड़ियाघर संभवत देश का पहला ऐसा चिड़ियाघर हैं जहां पर भारत में जन्म लेने वाले सबसे पहले मैलेस्टिक टाइगर का एक शावक और दुर्लभ तीन कलर वाला शावक मौजूद है। जू क्यूरेटर निहार पारूलेकर ने बताया कि चिड़ियाघर में विक्की नाम का ब्लैक टाइगर है जिसकी ख़ासियत यह है कि यह देश में जन्मे पहले 4 मैलेस्टिक टाइगर में से एक है। टाइगर रागिनी ने द्वारा जन्मा एक शावक व्हाइट, यलो और ब्लैक तीनों कलर का हैं। इनके अलावा एक शावक व्हाइट कलर का है। यह सभी टाइगर और शावक दुर्लभ प्रजाति के है।

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