भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV) के जरिए एक नेविगेशन उपग्रह NVS-01 को लॉन्च किया। यह दूसरी पीढ़ी के नेविगेशन सैटेलाइट की श्रृंखला का पहला उपग्रह है, जो जीपीएस की तरह भारत की स्वदेशी नौवहन प्रणाली की निरंतरता सुनिश्चित करेगा। यह उपग्रह भारत और मुख्य भूमि के आसपास लगभग 1,500 किलोमीटर के क्षेत्र में तात्कालिक स्थिति और समय संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा। बता दें कि यह मिशन स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण के साथ जीएसएलवी (GSLV-F12) की छठी परिचालन उड़ान है।

नौवहन उपग्रह लॉन्च

इसरो के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सोमवार पूर्वाह्न 10 बजकर 42 मिनट पर 51.7 मीटर लंबा जीएसएलवी अपनी 15वीं उड़ान में 2,232 किलोग्राम वजनी एनवीएस-01 नौवहन उपग्रह को लेकर रवाना हुआ। प्रक्षेपण के करीब 20 मिनट बाद, रॉकेट ने लगभग 251 किमी की ऊंचाई पर भू-स्थिर स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में उपग्रह को स्थापित किया। एनवीएस-01 अपने साथ एल1, एल5 और एस बैंड उपकरण भी ले गया है।

स्वदेशी रुबिडियम परमाणु घड़ी

इस दूसरी पीढ़ी के उपग्रह में स्वदेश में विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी भी लगी है। इसरो ने बताया कि यह पहली बार है जब स्वदेश में विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी का प्रक्षेपण में इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे पहले आयातित रुबिडियम परमाणु घड़ियों का इस्तेमाल किया जाता था। इस घड़ी को अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र द्वारा विकसित किया गया है। यह एक महत्वपूर्ण तकनीक है, जो कुछ ही देशों के पास है।

चंद्रयान-3 की प्लानिंग

इस सफलता से उत्साहित इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने बताया कि इसी साल जुलाई में चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जाएगा। ये अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की एक और बड़ी कामयाबी होगी।

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