70 साल बाद भारतभूमि पर जन्म लेंगे नन्हें चीते

ग्वालियर। नामीबिया से दो सप्ताह पहले आए आठ चीतों में से जिस मादा चीता को पीएम मोदी ने आशा नाम दिया था उसने प्रोजेक्ट की सफलता की पहली उम्मीद बंंधा दी है। आशा गर्भवती है। चीतों की देखरेख कर रही टीम के अधिकारियों के अनुसार आशा में वह सभी प्रकार के लक्षण दिखाई दे रहे हैं जो गर्भवती मादा चीते में होते हैं। साढ़े तीन साल की आशा गर्भवती हो सकती है। संकेत नामीबिया से चीतों को भारत लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले चीता कन्जर्वेशन फंड की प्रमुख लौरी मार्कर ने भी दिए हैं। मार्कर के अनुसार चूंकि आशा नामीबिया में प्रकृतिक जंगली वातावरण में रह रही थी। इसलिए उसका गर्भाधान नामीबिया में ही हुआ है। यह भारत के लिए दोहरा उपहार जैसा है। मार्कर के अनुसार गर्भ अवधि के दौरान आशा को पूर्ण रूप से शांत माहौल की जरूरत होगी। उसके आसपास लोगों का जाना प्रतिबंधित करना होगा। जिससे उसका तनाव कम हो और वह अच्छे से चीतों को जन्म दे सके।


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