अगर जनता को ही ट्रैफिक व्यवस्था संभालनी है तो फिर अमले की आवश्यकता क्या है? बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि तेज रफ्तार वाहन चालकों के वीडियो बनाने की अपील ट्रैफिक विभाग ने जनता से की है.., इसके लिए वाट्सएप नंबर जारी किए हैं। गत दिनों भी ट्रैफिक विभाग ने जनता को ही कहा था कि कोई आपसे रिश्वत मांगे तो वाट्सएप पर िशकायत करे, जबकि विभाग में सुधार की जरूरत है...। ट्रैफिक विभाग के पास रडार मशीन है, जिससे कार तेजी से चलाने वालों पर कार्रवाई होती है, जिनका उपयोग रिंग रोड और बायपास पर किया जाता है। इन मशीनों का उपयोग अब भीतरी क्षेत्रों में भी किया जाए...तो वाहन चालकों मंें डर बनेगा। हर बार जनता को ही क्यों जिम्मेदारी सौंपी जाती है कि वह शिकायत करें...। शहर में वाहन टकराने पर ही लोगों ने एक-दूसरे को जान से मार दिया है...। कई घटनाएं हो चुकी हैं। अब आम आदमी अपने काम-धंधे के लिए निकला है..., पहले ही तो वह जाम से दुखी है...और आपके कहने पर शहर में देखें कि कौन तेजी से वाहन चला रहा है, उसका वीडियो बनाए और आपको भेजे...। शहर में यूपी -बिहार के अपराधी आ चुके हैं और इनके पास चोरी के दो पहिया वाहन है। ये अपराधी चाकू के साथ अन्य हथियार भी रखते हैं। इनके वाहनों के नंबर ही सीसीटीवी कैमरे में नहीं आ पाते...। तीन-तीन लोग बाइक पर आड़े-टेढ़े बैठे रहते हैं... लंबे-लंबे बाल और बाइक चलाते समय हरकत करते हैं....। यदि किसी आम आदमी ने इनका वीडियो बनाया और अपराधियों ने देख लिया तो उसकी जान तो गई...। आपके जवान चौराहों पर मौज-मस्ती करते रहे और जनता आपको ट्रैफिक बिगाड़ने वालों के वीडियो भेजे..., और जान गंवाए...। कमाल का आइडिया है! अब तो हाईटैक कैमरे आ चुके हैं, जिन्हें हेलमेट पर लगाकर वीडियो बनाए जाते हैं। विभाग इन कैमरों के साथ जवानों को बाइक पर ड्यूटी करने का कहे। तेज वाहन चलाने वाले हाथोंहाथ पकड़े जाएंगे...। जनता को मुसीबत में मत डालिए..., मुहावरा भी है कि जिसका काम उसी को साजे, दूजा करे तो डंडा बाजे...!
जगजीतसिंह भाटिया
प्रधान संपादक
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