जगजीतसिंह भाटिया
प्रधान संपादक

झारखंड में गत सप्ताह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आईएएस पूजा सिंघल  उसके करीबियों के खिलाफ रेड मारी। पूजा सिंघल के घर से 19.31 करोड़ रुपए और 150 करोड़ की संपत्ति के दस्वाजे बरामद किए थे। जैसा कि हमें बताया और पढ़ाया जाता रहा है कि हमारे देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था। मुगलों ने लूटमार की कई सालों तक राज किया। अंग्रेज आए उन्होंने भी कोई कसर नहीं छोड़ी और सोने की चिड़िया कहलाने वाले हमारे देश को गुलाम तक बना दिया...। समय बदलता रहा, लेकिन लूटखसोट करने वाले कभी कम नहीं हुए। भारत आजाद तो हो गया, लेकिन भ्रष्टाचार का दामन कोई नहीं छोड़ रहा है। मुगल चले गए, अंग्रेज चले गए, लेकिन लालफीताशाही की घूसखोरी कभी खत्म नहीं हो रही है। पूजा सिंघल जैसे कई “पुजारी’’ हमारे देश को खोखला करते जा रहे हैं।  सरकारी पदों पर बैठकर ये लोग सिर्फ भ्रष्टाचार ही कर रहे हैं। ऐसा कोई सरकारी विभाग बचा नहीं है, जहां ये रिश्वत लेने वाला पुजारी न बैठा हो।

 ऐसा नहीं है कि सिर्फ झारखंड में ही रिश्वतखोर मगरमच्छ बैठे हैं, पूरे देश में इस तरह के मगरमच्छ राज कर रहे हैं और भ्रष्टाचार का आंकड़ा बढ़ाते ही जा रहे हैं। कुछेक को छोड़ दे तो ऐसा कोई अफसर नहीं है कि वह अरबपति नहीं होगा। अगर सरकार सही मंशा से लगातार बड़े अफसरों की कॉलर पर हाथ डालेगी तो कई विभाग ऐसे अफसरों से खाली हो जाएंगे। जिस तरह से देश में उन्नति और प्रगति को लेकर बातें की जाती है, और देश सभी क्षेत्र में प्रगति के पथ पर अग्रसर होता दिखाई देता है, लेकिन जब भ्रष्टाचार की बातें सामने आती है तो ये सारी कवायद थोथी नजर आने लगती है। सरकारें बदल जाती है, लेकिन भ्रष्टाचार अड़िग है, उसे कोई अपनी जगह से नहीं हिला पाया है।  भ्रष्टाचार कहीं हो नहीं रहा है, इसे झुठलाने का साहस हमारे देश में किसी भी नेता या अफसर के पास नहीं है। अजीब बात तो ये है कि देश में भ्रष्टाचार रोकने के लिए नियम बने किसके लिए हैं, देने वाले के लिए या लेने वाले के लिए..., आज तक समझ मेें नहीं आया। भ्रष्ट अधिकारियों को सरकार या सजा का कोई डर नहीं है। यहां किसी भी सरकार पर दोष मढ़ना गलत साबित होगा, क्योंकि जनता को सरकार से नहीं जो लोग सरकारी नौकरी में पदों पर आसीन है, उनसे काम करवाना पड़ता है और जनता को हर कदम पर भ्रष्ट तंत्र से सामना करना पड़ रहा है। देखा जाए तो भ्रष्टाचार किसी भी राज्य को कई स्तर पर कमजोर करता है।  इस वजह से काम में देरी होती है, क्योंकि जब तक इन लक्ष्मी के पुजारी अफसरों को लक्ष्मी दर्शन नहीं हो जाते, तब तक काम लटकाए रखते हैं। इसका असर उत्पादन से लेकर अन्य परिणामों पर पड़ता है। हालात ये बन पड़े हैं कि योग्य लोगों को  नजरअंदाज कर अयोग्य के हाथों में कमान आते रहती है। हम कानून की बात करें तो भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाते समय सामने कौन है यह देखा जाना जरूरी नहीं है, बल्कि उसने क्या गुनाह किया है और उसे सजा के लिए सलाखों के पीछे डाला गया है, इस बात पर सच्चाई दिखाना जरूरी है। लेकिन, विडंबना है कि हमारे देश में रिश्वतखोर पर कार्रवाई तो होती है, लेकिन मात्र निलंबन की...इस दौरान दूसरे विभाग का जिम्मा दे दिया जाता है..., जहां फिर “लक्ष्मीपूजन’’ होता रहता है।


Post a Comment

Previous Post Next Post