जगजीतसिंह भाटिया

प्रधान संपादक

गत दिनों केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी चित्रा रामकृष्णा से पूछताछ की और चित्रा सहित एनएसई के तीन पूर्व अधिकारियों के देश छोड़कर जाने से रोकने के लिए उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है। मामला यह है कि कथित वित्तीय अनियमितताएं एवं कर चोरी के आरोपों के साक्ष्य जुटाने के लिए चित्रा और सुब्रमण्यन के परिसरों पर छापा मारा था। आयकर की यह कार्रवाई भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की रिपोर्ट से हुए खुलासे के बाद की गई थी। सेबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि चित्रा ने 2013 से 2016 के बीच एनएसई के अहम निर्णय एक अज्ञात `हिमालयन योगी’ की सलाह पर किए थे, जिसे वह कभी मिली नहीं थी। हालांकि उसके निर्देश पर ही सुब्रमण्यन को समूह परिचालन अधिकारी नियुक्त किया गया था। 

बात विश्वास की है, क्योंकि पूरे भारत की अर्थव्यवस्था नैशनल स्टॉक एक्सचैंज (एनएसई) पर टिकी हुई है और यहां गड़बड़ी होना अर्थात देश के लोगों के साथ विश्वासघात होना ही है। आरोप है कि मुख्य कार्याधिकारी चित्रा रामकृष्णा ने अहम निर्णय एक अज्ञात हिमालयन योगी की सलाह पर किए थे, अर्थात महत्वपूर्ण गोपनीय जानकारी भी यहां की बाहर चली गई।  अब बात करते हैं आईपीओ की। नए स्टार्टअप आईपीओ शुरुआती दौर में 2 हजार से 2100 रुपए तक के होते हैं और धीरे-धीरे इनके रेट में एकदम कमी आ रही है और इन शेयरों के दाम मात्र 800, 700 रुपए तक रह गए हैं। पेटीएम का आईपीओ गत वर्ष 8 से 10 नवंबर के बीच खुला था। पेटीएम की आईपीओ के जरिए कंपनी 18,300 करोड़ रुपये जुटाने की योजना थी जो कि सफल रही। पेटीएम का आईपीओ 1.89 गुना सब्सक्राइब हुआ था। इसमें खुदरा निवेशकों का का कोटा 1.66 गुना और क्यूआईबी का कोटा 2.79 गुना सब्सक्राइब हुआ था। 52 सप्ताह पहले पेटीएम का शेयर 1955 रुपए का था। 21 फरवरी 2022 को इसके दाम 807 रुपए रह गए हैं। इसी प्रकार 52 सप्ताह पहले नायका का शेयर 2573.70 रुपए था, जो 21 फरवरी 2022 को 1341.30 रुपए रहा।  इसी तरह पॉलिसी बाजार गत वर्ष 15 नवंबर को 1150 रुपए पर लिस्टिंग हुआ, जिसकी 21 फरवरी को इसकी कीमत 729.55 रुपए रह गई है। अर्थात निवेशकों की रकम आधी रह गई है। इसी तरह ऐसे कई तकनीकी शेयर हैं, जिनकी शुरुआत काफी अच्छी रही और साल-छह महीने में ही ये शेयर धड़ाम से औंधे मुंह गिर गए और निवेशकों को करोड़ों की चपत लगी।  

तकनीकी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आने के पीछे का कारण गड़बड़ी ही है, क्योंकि इन कंपनियों का सही आकलन नहीं करके बस इनके आईपीओ बाजार में ऊंचे दामों पर ले-देकर उतार दिए गए। सबसे बड़ी बात की उपरोक्त कंपनियों के आईपीओ जिन तारीखों पर नैशनल स्टॉक एक्सचैंज में उतारे गए, उस दिन अच्छी-खासी कमाई कर ली गई और लोगों के एक ही दिन में करोड़पति बनने की खबरें प्रकाशित हुई। इसके बाद आज के हालात देखकर लगता है कि ये कोई सोची-समझी साजिश है, जिसके तहत निवेशकों के साथ धोखा किया गया है। अब जब धांधली सामने आ रही है तो ऐसी कंपनियों को लेकर नियम कड़े करने की बातें एनएसई कर रहा है, लेकिन जिन निवेशकों ने अपना धन खोया है, वह अब कैसे लौटेगा, क्योंकि उक्त कंपनियों के शेयरों का फिर से रफ्तार पकड़ना अब संभव नहीं दिख रहा है। वहीं, दूसरी ओर एनएसई अपनी साख बचाने में लगा हुआ है। जानकारी के अनुसार एक्सचैंज का प्रबंधन पिछले एक हफ्ते के दौरान कई प्रमुख हितधारकों के साथ मुलाकात कर चुका है, जिनमें वित्त मंत्रालय, अन्य सरकारी विभागों और सेबी के अधिकारियों के साथ ही प्रमुख शेयरधारक और ट्रेडिंग सदस्य शामिल हैं। एनएसई इस विवाद से खुद को दूर रखने का प्रयास कर रहा है। एक्सचैंज की योजना आने वाले हफ्ते में ऐसी और बैठकें करने की है ताकि ट्रेडिंग वॉल्यूम और एक्सचेंज के विश्वास पर किसी तरह की आंच न आए।

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