मध्यप्रदेश सरकार चाहे तो उसका खजाना भर सकता है। प्रदेश सरकार का एक अकेला विभाग आबकारी इतनी कमाई कर सकता है कि सालभर में प्रदेश सरकार की झोली में 3000 हजार करोड़ रुपए आ सकता है। इसके लिए प्रदेश सरकार को शराब नीति को लेकर उचित कदम उठाना पड़ेंगे। राजस्व कैसे बढ़े इसके लिए ठोस नीति शराब को लेकर अपनानी होगी। क्योंकि सरकार के राजस्व को चपत लगाने के पीछे कथित अफसरी ही जिम्मेदार है।खाद्य विभाग की बात करें तो प्रदेशभर में राशन के खेल में खुद की जेबें तो भरी जा रही है, लेकिन सरकार की अनदेखी कर प्रदेश सरकार को चपत लगा दी जा रही है।
जैसा कि हम पहले पेज पर सरकारी चावल से जुड़ी धांधली को सरकार के सामने ला रहे हैं कि किस तरह नागरिक आपूर्ति निगम में बैठे अफसर और चावल उठाने वाले मिलर्स सरकार को पनपने नहीं दे रहे हैं और आपसी सांठगांठ से सरकार के राजस्व को अपनी जेब में भर रहे हैं। सरकार पेट्रोल-डीजल के रेट बढ़ाकर राजस्व बढ़ाना चाह रही है। लेकिन पेट्रोल और डीजल की वृद्धि से अन्य खाद्य सामग्री महंगी हो रही है, जिसका असर सीधे जनता पर पड़ रहा है और जनता परेशान हो रही है। आइए जानते हैं कैसे बढ़ सकता है आबकारी नीति में बदलाव कर प्रदेश सरकार का राजस्व।
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