प्रसंगवश : डॉक्टर, इंजीनियर बनाना कठिन, नेता बनाना आसान
जवाबदेही @ इंदौर
जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो उसके जन्म लेते ही मां-बाप उसके भविष्य को लेकर चिंतित हो जाते हैं। एक साल का भी नहीं होता तो मां-बाप के ख्यालों में उनका बच्चा डॉक्टर, इंजीनियर, वकील और न जाने कौन-कौन से पद उनके मन में आते रहते हैं। कड़ी मेहनत और मशक्कत कर वह बच्चे को जो सोचा है वो बनाने में कामयाब हो जाते हैं... तो कुछ लोगों के सपने अधूरे रह जाते हैं। वैसे बच्चों को डॉक्टर और इंजीनियर बनाने में लोगों की कमर टूट जाती है। वहीं अगर मां-बाप यह ठान ले तो कि उनके बेटे को नेता बनाना है तो फिर स्कूल भी भेजने की आवश्यकता नहीं है...। दरी-चद्दर उठाते-उठाते वह पार्षद, विधायक, मंत्री सहित तमाम पदों पर आसानी से पहुंच सकता है...., अनुभव भी कोई मायना रखता ह! भारत में डॉक्टर या इंजीनियर बनना भले ही कठिन हो, लेकिन नेता बनना बहुत आसान है।
देश में कई नेता कम पढ़े-लिखें हैं और सरकारें चला रहे हैं। अब हम नगर सरकार की बात करें तो कई ऐसे पार्षद महोदय हैं जो कम पढ़े-लिखे हैं, लेकिन नगर की सरकार चलाएंगे..., क्योंकि अनुभव भी मायने रखता है! अब क्या करें, जनता ने ही इन्हें अवसर दिया है, नगर सेवा करने का तो फिर किसी को क्या आपत्ती आ सकती है और आपत्ती लेनी भी नहीं चाहिए, क्योंकि सब साफ-साफ दिखता है...., सबको पता कि पार्षद महोदय भले ही डिग्रीधारी नहीं हो, लेकिन अनुभवधारी तो है ही...., इनकी दांव-बाजी में तो नगर निगम में बैठे पढ़े-लिखे अफसर भी गच्चा खा जाएंगे...। खैर अंत भला तो सब भला। अब लोगों को महंगाई को ध्यान में रखते हुए, ज्यादा बड़े सपने नहीं देखने चाहिए, क्योंकि जीवनभर हाड़तोड़ मेहनत करने के बाद यदि बच्चा बड़े पदों पर भी पहुंच जाता है तो कई काम उसे हमारे देश के कम पढ़े-लिखे नेताओं, पार्षदों और मंत्रियों, पार्षदों के हाथ की कठपुतली बनकर काम पड़ते हैं, जो उसे उचित नहीं लगता है, लेकिन फिर भी करना पड़ता है, क्योंकि जो काम करवा रहा है, वह जनप्रतिनिधि हैं, उन्हें जनता ने चुना है और आपको आपके परिवार ने उस पद तक पहुंचाया है। बहुमत मायने रखता है! देशभर के कई नेता हैं, जिन्होंने कोई डिग्री नहीं ली और देश चला रहे हैं या चला चुके हैं...!
कोई 10वीं पास तो कोई है अनपढ़
भारत में कई ऐसे नेता हैं, जिन्होंने 12वीं भी पास नहीं की है। वहीं, कुछ ऐसे भी हैं जिनका स्कूल से पाला तक नहीं पड़ा है। आज के इस लेख में हम आपको ऐसे नेताओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने कम पढ़े-लिखे होने के बावजूद राजनीति में नाम कमाया है। भारत में कई ऐसे नेता हैं जिन्होंने 12वीं भी पास नहीं की है। वहीं, कुछ ऐसे भी हैं जिनका स्कूल से पाला तक नहीं पड़ा है। आज के इस लेख में हम आपको 10 ऐसे नेताओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने कम पढ़े-लिखे होने के बावजूद राजनीति में नाम कमाया है -
राबड़ी देवी : लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और बिहार विधान परिषद की सदस्य भी। राबड़ी देवी की 14 साल की उम्र में शादी हो गई थी और उनके पास किसी भी तरह की औपचारिक शिक्षा नहीं है। उनकी नियुक्ति भारी विवादों में आई क्योंकि राबड़ी में न तो योग्यता थी और न ही राजनीति के लिए झुकाव।
विजयकांत : तमिल अभिनेता से राजनेता बने विजयकांत ने तमिलनाडु विधानसभा चुनाव जीता था। उन्हें कैप्टन प्रभाकरन की भूमिका निभाने के बाद कैप्टन के रूप में जाना जाता है। विजयकांत सिर्फ 12वीं कक्षा तक पढ़ें हैं क्योंकि इसके बाद उन्हें अपने पिता की चावल मिल में शामिल होना पड़ा था।
जयललिता : तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक की प्रमुख, जयललिता ने मैट्रिक के बाद अपनी पढ़ाई रोक दी थी क्योंकि वह फिल्मों में अपना करियर बनाना चाहती थीं। हालाँकि, उन्होंने फिल्मों में काम करने के बाद राजनीति में कदम रखा था।
एम करुणानिधि : द्रमुक प्रमुख और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने भी ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे। । करुणानिधि ने तमिल फिल्म उद्योग में एक पटकथा लेखक के रूप में अपना करियर शुरू करने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी।
गोलमा देवी : मीणा समुदाय के एक प्रमुख नेता किरोड़ी लाल मीणा की पत्नी गोलमा देवी केवल अपने पति के संबंधों के कारण विधायक बनीं। आपको जानकर हैरानी होगी कि गोलमा देवी कभी स्कूल नहीं गईं। यहाँ तक की अपने शपथ ग्रहण समारोह में दौरान वह अपनी शपथ भी नहीं पढ़ पाई थीं।
उमा भारती : मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री रहीं उमाभारती ने केवल कक्षा छटी तक अपनी औपचारिक शिक्षा पूरी की है। इसके साथ ही वह कई पदों पर रहीं।
मेनका गांधी : मेनिका गांधी ने केवल 12वीं कक्षा तक अपनी शिक्षा पूरी की है। हालाँकि, गांधी ने व्युत्पत्ति, कानून और पशु कल्याण में कई पुस्तकें लिखी हैं। मेनका गांधी, संजय गाँधी की पत्नी हैं।
तेजस्वी यादव : लालू यादव के छोटे बेटे और आरजेडी सुप्रीमो तेजस्वी यादव केवल 9वीं पास है। वहीं, उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव ने भी सिर्फ 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की है।
जाफर शरीफ : पूर्व रेल मंत्री ने सिर्फ मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष एस निजलिंगप्पा के लिए एक ड्राइवर के रूप में अपना करियर शुरू किया था और बाद में उनके नक्शेकदम पर चलते हुए राजनीति में शामिल हुए।
Post a Comment