असमंजस में जनता!
जवाबदेही @ इंदौर
सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि महंगाई कम हो रही है, लेकिन लोगों को महसूस नहीं हो रही है, क्योंकि बाजार में खाद्य सामग्री से लेकर कोई भी सामान व्यक्ति खरीद रहा है तो उसे महंगे दाम ही देना पड़ रहे हैं। पेट्रोल-डीजल में मामूली घटत हुई है, लेकिन फिर भी पेट्रोल 100 रुपए के पार तो है ही और आने वाले दिनों में ऐसी कोई उम्मीद नहीं दिख रही है कि भाव 100 रुपए के नीचे जाएंगे। खाद्य सामग्री से लेकर अन्य सामानों में भी बेहतहाशा वृद्धि हो चुकी है, ऐसे में लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि आिखर महंगाई कम कहां हुई...?
400 रुपए तक जा सकते हैं सीमेंट के भाव
घर बनाना हुआ सस्ता कहना और सुनना आसान और आनंदमयी हो सकता है, लेकिन सीमेंट, सरिए और ईंट, रेती, गिट्टी की कीमत सुनकर ही लोगों के होश उड़ जाते हैं। वर्तमान में सीमेंट की प्रति बोरी की कीमत 320 रुपए के आसपास चल रही है। वहीं, सरिया करीब 62 हजार रुपए क्विंटल हो गया है। (9 दिसंबर) तक के रेट। वहीं, एक खबर और सामने आई कि सीमेंट का भाव 400 रुपए प्रति बोरी तक जा सकता है। सीमेंट की कीमतें रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकती है।
रियल एस्टेट पर पड़ेगा असर
अगस्त से अब तक पूरे देश में सीमेंट का भाव 10 से 15 रुपए बोरी बढ़ गया है। अब आने वाले दिनों में ये दाम 15 से 20 रुपए बोरी और बढ़ सकते हैं। इसके साथ ही अधिकांश कंपनियों की सीमेंट 400 रुपए प्रति बैग बिकेगी। इसका सीधा असर रियल एस्टेट पर पड़ेगा। कोरोना काल के बाद से यह सेक्टर संघर्ष कर रहा है। दिवाली के बाद तेजी आई थी, लेकिन सीमेंट और सरिया के दाम फिर खेल बिगाड़ सकते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, यह पेट्रोल-डीजल और कोयले के दामों का असर है। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि यदि डिमांड बढ़ती है तो भाव में कुछ राहत मिल सकती है।
मांग बढ़ने की उम्मीद, लेकिन फिर भी नहीं घटेंगे दाम
क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, सीमेंट निर्माताओं की आय में इस वित्त वर्ष में 100-150 रुपए प्रति टन की गिरावट आएगी क्योंकि लागत बढ़ गई है। सीमेंट की बिक्री इस वित्त वर्ष में सालाना आधार पर 11-13% बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन मांग में यह बढ़ोत्तरी नाकाफी है। भारत में 75% की वॉल्यूम मार्केट शेयर वाली 17 सीमेंट कंपनियों के अध्ययन के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई है।
कोरोना वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था बिगड़ चुकी है। कई उद्योग-धंधे बंद हो गए हैं या ठप हो चुके हैं। लोगों का रोजगार चला गया है। जैसे-तैसे स्थिित सुधरने की ओर है तो ये महंगाई लोगों को संभलने नहीं दे रही है।
चुनौतियों से जूझ रहा रेस्तरां कारोबार
इंदौैर का रेस्तरां और होटल कारोबार चुनौतियों से जूझ रहा है। अच्छे खाने और बेहतर माहौल के लिए जो लोग परिवार सहित होटलों और रेस्तरां में पहुंचते रहे हैं, वो धीरे-धीरे बड़ी होटलों से दूर होते जा रहे हैं। कारण महंगाई और कोरोना के कारण होटल-रेस्तरां पर सीधा असर पड़ा। कई कंपनियों के तो आउटलेट ही बंद हो गए हैं। महानगरों में हालात बिगड़ चुके हैं।
मुंबई : मुंबई जैसे महानगर में अपने अच्छे खाने और बेहतर माहौल के लिए ‘इंडिगो डेलिकेटसन’ मशहूर है जो ‘इंडिगो डेली’ के नाम से भी जाना जाता है। इसके करीब 10 आउटलेट भी मुंबई में ही है, जो तबाह हो चुके हैं। रेस्तरां ब्रांड इंडिगो हॉस्पिटैलिटी के संस्थापक और निदेशक अनुराग कटरियार कहते हैं, ‘मैं अपने नुकसान के बोझ तले मरना नहीं चाहता और इसी वजह से मैंने बहुत बहादुरी दिखाने का फैसला नहीं किया। अगर मैं जिंदा रहा तो फिर से कारोबार को तैयार कर सकता हूं।’ इसीलिए मैंने कोलाबा, बांद्रा, अंधेरी, नेरुल ईस्ट (नवी मुंबई), परेल और यहां तक कि दिल्ली और पुणे में भी आउटलेट को बंद कर दिया।
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